आचार्य तुलसी का जन्मशताब्दी समारोह
उदयपुर। आचार्य तुलसी ने अपने जीवनकाल में कई अवदान दिए। चाहे वे अणुव्रत के हों, प्रेक्षाध्यान हों या फिर ज्ञानशाला के। इन सबको अगर अपने जीवन में व्यक्ति अपना ले तो निश्चय ही उसका जीवन सफल है। आचार्य तुलसी ने नैतिक जागरण के लिए काम किया। उन्होंने मानववाद को अपनाया।
ऐसे ही कुछ विचार उभरकर आए रविवार सुबह आचार्य तुलसी के जन्म शताब्दी समारोह के समापन पर अणुव्रत चौक स्थित तेरापंथ भवन में जैन श्वेताम्बर तेरापंथी सभा की ओर से आयोजित धर्मसभा में जहां विभिन्न समाजजनों ने अपने विचार व्यक्त किए।
बहुश्रुत परिषद की सदस्या साध्वी कनकश्रीजी के सान्निध्य में हुए कार्यक्रम में हंसराज बोहरा ने आचार्य तुलसी के दो पद्य सुनाते हुए कहा कि समस्याएं आजादी के पहले भी थीं और आज भी हैं। आचार्य तुलसी ने प्रेक्षाध्यान, जीवन विज्ञान जैसे अवदान दिए। इसके बावजूद अनैतिकता का दुष्चक्र बढ़ गया है। पहले की तुलना में आज समस्याएं अधिक हो गई हैं। मंत्री जेल में जा रहे हैं। आखिर क्यों? खुद तो अणुव्रती, अहिंसक हो सकते हैं लेकिन दूसरों को कैसे बनाएं? यहां अणुव्रत काम आता है। छोटे छोटे संकल्पों से हम इसे समझ सकते हैं। आचार्य तुलसी के प्रयासों को विस्मृत न होने दें। उन्हें आगे बढ़ाएं।
साध्वी कनकश्रीजी ने कहा कि आचार्य तुलसी, आचार्य महाप्रज्ञ और अब आचार्य महाश्रमण.. इनका पराक्रम ही है कि श्रावक समाज निरंतर प्रगति पर है। आचार्य तुलसी की व्यापक सोच, व्यापक परिश्रम से तेरापंथ कहां शिखर की ओर बढ़ रहा है। द्वितीया तिथि के दिन उनका जन्म हुआ। भाई बीज यानी विश्व के बंधुत्व के रूप में वे इस धरती पर अवतरित हुए। गुरु और शिष्य का सम्बन्ध तो ऐसा होना चाहिए कि शिष्य सोचे और गुरु पूरा करे।
तेरापंथ युवक परिषद के अध्यक्ष अभिषेक पोखरना ने कहा कि आचार्य ने संसार को एक सूत्र में बांधा। जीवित रहते हुए भी आचार्य पद पर युवाचार्य को सुशोभित किया और खुद मानव कल्याण की राह पर निकल पड़े। उन्होंने गीतिका तुलसी तुमने जन्म लिया, धरती हिन्दुस्तान की.. प्रस्तुत की।
साध्वीवृंदों मधुलता, साध्वी मधुलेखा, साध्वी वीणा कुमारी एवं साध्वी समितिप्रभा ने अलौकिक संस्कार के नमन आचार्य तुलसी को.. प्रवर्तक अणुव्रत मिशन के, नमन आचार्य तुलसी को सामूहिक सुंदर गीतिका प्रस्तुत की। एलएल धाकड़ ने कहा कि आचार्य की कार्य करने की निष्ठा गंगा जैसी पवित्र थी। तेरापंथ किसी व्यक्ति विशेष के लिए नहीं यह तो तेरा यानि सभी का है और हमें जैन एकता को बनाए रखने का संकल्प करना चाहिए।
ज्ञानशाला के बच्चों ने भाव से वंदन है, नाम अमर तेरा.. समूह गीत प्रस्तुत किया। ज्ञानशाला की प्रशिक्षिकाओं ने सुनीता बैंगानी के नेतृत्व में प्राणदेवता, तुलसी को शत शत नमन गीतिका प्रस्तुत की। साध्वी मधुलता ने बताया कि राजस्थान के छोटे से कस्बे लाडनूं में एक दीप के रूप मे आचार्य तुलसी का अवतरण हुआ। साधारण परिवार में जन्म लेकर सम्पूर्ण विश्व में अपनी प्रतिष्ठा बनाई और विश्व संत के रूप में उजागर हुए। आचार्य तुलसी ने 11 वर्ष की उम्र में दीक्षा ली, 11 वर्ष संयम जीवन जीने के पश्चात् 22 वर्ष की उम्र में तेरापंथ धर्मसंघ के नवें आचार्य बने।
सभाध्यक्ष राजकुमार फत्तावत ने आचार्य तुलसी का संक्षिप्त जीवन परिचय देते हुए कहा कि आज उस महामानव के जन्म शताब्दी वर्ष के समापन पर हम उनके बताए कार्यों को पूरा करने और उनके पथ पर चलने का संकल्प करते हैं। आचार्य ने श्रमण श्रेणी की स्थापना की। गंगापुर में आचार्य पद संभाला। 10 वर्षों में पूरे आगम ग्रंथों का स्मरण किया। आत्म कल्याण से जीव कल्याण की बातें कहीं। श्रमण शक्ति का विकास किया। पूरे वर्ष भर आचार्य श्री की स्मृति में हमने विविध आयोजन किए। विज्ञान समिति के अध्यक्ष केएल कोठारी ने तुलसी तुम न होते पर गीत प्रस्तुत किया।
देश भर से चयनित अणुव्रत की आठ प्रचेताओं में शामिल अलका सांखला ने भी सभा को संबोधित किया। शशि चह्वाण एवं सरिता कोठारी ने शताब्दी गीत की प्रस्तुति दी वहीं ज्ञानशाला के बच्चों ने मधुर गीतिका प्रस्तुत की। समापन समारोह मे आभार तेरापंथ युवक परिषद के मंत्री अजीत छाजेड़ ने जताया। संचालन सभा मंत्री सूर्यप्रकाश मेहता ने किया।