एक माह तक कोई मुहूर्त नहीं
उदयपुर। देवउठनी एकादशी यानी छोटी (देव) दिवाली सोमवार को मनाई गई। इसके साथ ही विवाह आयोजन की शुरूआत हो गई। शाम को घरों व मंदिरों में दीप जलाए गए। देवालयों में विशेष पूजा अर्चना की गई।
देव दिवाली पर शहर के देवालयों में ठाकुरजी की प्रतिमाओं को पंचामृत स्नान कराकर विशेष श्रृंगार धराया गया। इसके बाद पूजा-अर्चना होगी तथा नानाविध मिष्ठानों का भोग धराकर आरती की गई। देव दिवाली को लेकर मंदिरों पर आकर्षक सजावट की गई है। देवउठनी एकादशी होने से मांगलिक रस्मों का धूमधड़ाका भी शुरू हो गया। तुलसी विवाह के मनोरथ भी होंगे। देवउठनी एकादशी पर अबूझ मुहूर्त होने से जिले में कई जोड़े परिणय सूत्र में बंधे।
हालांकि सावे शुरू होने के साथ ही शुक्र तारा अस्त होने से शादियों पर एक महीने का विराम लग जाएगा। इसके बाद दो दिसंबर से सावे शुरू होंगे। चातुर्मास समापन के बाद पहला अबूझ सावा होने से तीन नवंबर के लिए पंडित, हलवाई काफी व्यस्त रहे। शहर में शादी के लिए हॉल, टेंट, केटर्स, ब्यूटी पार्लर वालों के भी यही हाल है। तीन नवंबर को अबूझ सावा होने से गेस्ट हाउस, सामुदायिक भवन, रिसोर्टस भी बुक हो चुके है।
हिंदी कैलेंडर के अनुसार वर्ष 2015 में विवाह के 54 शुभ मुहूर्त हैं, जो पिछले वर्षों के मुकाबले आठ प्रतिशत तक कम है। सबसे अधिक मुहूर्त फरवरी 2015 में होंगे। पंडितों द्वारा विभिन्न पंचांगों का अध्ययन करने के बाद वर्ष 2015 में 54 विवाह के शुभ मुहूर्त दिन और रात दोनों समय के बताए गए हैं। दिन और रात की गणना के हिसाब से विवाह मुहूर्त की संख्या इससे भी कम हो सकती है। 14 दिसबंर से 15 जनवरी तक मलमास के कारण मांगलिक कार्य नहीं होंगे। विवाह मुहूर्तों का सिलसिला आठ दिसंबर तक जारी रहेगा, लेकिन 14 दिसंबर से सूर्य के धनु राशि में आने के कारण एक माह के लिए शुभ कार्यों पर विराम लग जाएगा। दान पुण्य करने वालों के लिए अगला साल एक महीने ज्यादा अवसर लेकर आएगा। आषाढ़ का अधिक मास 16 जुलाई तक रहेगा। इसके बाद चातुर्मास शुरू हो जाएंगे। देवशयनकाल प्रारंभ होने के साथ ही नक्षत्रों की स्थिति में भी काफी परिवर्तन बताया जा रहा है।