वाणिज्यिक गतिविधियों पर रोक के लिए जनहित याचिका पर कल हुई थी सुनवाई
उदयपुर। झीलों के शहर उदयपुर के मध्य स्थित करोड़ों रुपए की सैकड़ों बीघा आलीशान सरकारी जमीन पर अवैध रूप से कब्जा कर अनैतिक व समाज विरोधी गतिविधियां संचालित कर रहे ‘फील्ड क्लब’ उदयपुर के पदाधिकारियों से उक्त भूखण्ड खाली कराने तथा क्लब में चल रही अनैतिक व वाणिज्यिक गतिविधियों को रोकने के लिये सिविल न्यायाधीश (कख), शहर (उत्तर) उदयपुर की अदालत में दायर की गई एक जनहित याचिका पर सोमवार को हुई सुनवाई के बाद न्यायाधीश ने अपना फैसला बुधवार तक सुरक्षित रखा है। इससे पहले वादीगण की ओर से अधिवक्ता शान्तिलाल पामेचा व प्रतिवादी फील्ड क्लब की ओर से उनके अधिवक्ता महेन्द्र मेहता ने अपना अपना पक्ष रखा।
याचिका में वादीगण की ओर से अधिवक्ता शान्तिलाल पामेचा ने अपना पक्ष रखते हुये फील्ड क्लब, उदयपुर के विरूद्ध उनके द्वारा चलाई जा रही तमाम गतिविधियों को रोकने के मामले में स्टे दिये जाने तथा सरकार व उसके विभिन्न विभागों को विधिक प्रक्रिया अपना कर तत्काल फील्ड क्लब, उदयपुर के चंद पदाधिकारियों के कब्जे से उक्त भूमि को मुक्त कराये जाने के आदेश पारित किये जाने का आग्रह किया।
सिविल न्यायाधीश (कख), शहर (उत्तर) की अदालत में एडवोकेट शान्तिलाल पामेचा ने यह जनहित याचिका वादीगण अधिवक्ता रमेश नन्दवाना, अधिवक्ता श भूसिंह राठौड, अधिवक्ता हरीश पालीवाल एवं प्रवीण खण्डेलवाल की ओर से प्रतिवादीगण फील्ड क्लब सोसायटी, फतहपुरा जरिये अध्यक्ष व सचिव, राजस्थान राज्य जरिये जिला कलक्टर, नगर विकास प्रन्यास, नगर निगम, अधिशासी अभियन्ता सार्वजनिक निर्माण विभाग, तहसीलदार, बडग़ांव, जिला आबकारी अधिकारी एवं मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी के विरुद्ध प्रस्तुत की है।
वादीगण ने उक्त जनहित याचिका में बताया कि वे सभी पेेशे से अधिवक्ता होकर बार एसोसिएशन, उदयपुर के सदस्य, शहर के जागरूक एवं संवेदनशील नागरिक हैं, जो कि इस क्षेत्र की विभिन्न जन-समस्याओं व जनहित के मुद्दों के लिए सदैव संघर्ष करते रहे हंैं। वादानुसार राजस्व ग्राम देवाली तहसील बडग़ांव जिला उदयपुर में सुखाडिय़ा सर्कल से फतहपुरा राष्ट्रीय राजमार्ग राजकीय आबादी भूमि स्थित है जो कि वर्तमान में प्रतिवादी फील्ड क्लब के अध्यक्ष व सचिव के आधिपत्य में है। उक्त भूमि का क्षेत्रफल 31 बीघा 5 बिस्वा है जो कि निजी खातेदारी की भूमि थी, जिसे तत्कालीन मेवाड़ रियासत ने सरकारी कोष से विधिवत मुआवजा अदा कर सन् 1931 में ’’क्लबघर’’ के रूप में राजस्व अभिलेखों में अंकित की। इस भूमि को 15 अप्रेल 1989 को जिला कलक्टर, उदयपुर के आदेशानुसार प्रतिवादी नगर विकास प्रन्यास, उदयपुर को हस्तान्तरित की गई, तब से सरकारी अभिेलखों में यह भूमि नगर विकास प्रन्यास, उदयपुर के नाम पर दर्ज है। मेवाड़ सरकार ने सन् 1931 में इस पर बाउण्ड्रीवॉल ‘‘क्लबघर’’ एवं अन्य निर्माण करवाए।
वादानुसार इसके अलावा इसी राजकीय आबादी भूमि के सन्निकट दक्षिण में एक भूखण्ड और स्थित है जिसे भी तत्कालीन मेवाड़ राज्य ने मेवाड़ सिविल सर्विस एसोसिएशन को संस्था का कार्यालय बनाने हेतु नि:शुल्क इस शर्त पर आवंटित किया था, कि शर्तो की पालना नहीं होने पर यह भूखण्ड़ सरकार में निहित हो जावेगा। मेवाड सिविल सर्विस एसोसिएशन ने भी इस भूमि का कभी अपने घोषित उदेश्यों की पूर्ति के लिए उपयोग नहीं किया, अत: यह भूमि स्वत: सरकार ने निहित हो गई। इस भूमि पर भी अध्यक्ष, फील्ड क्लब ने अवैधानिक रूप से कब्जा कर रखा है।
वादानुसार सरकार द्वारा ‘क्लबघर’ का निर्माण मेवाड रियासत व ब्रिटिश शासन के अधिकारियों के आमोद-प्रमोद व खेलकूद के प्रयोजन से किया गया था और कालान्तर में मेवाड़ सोसायटीज रजिस्ट्रेशन एक्ट 1941 के अन्तर्गत पंजीकृत संस्था ‘‘फील्ड क्लब सोसायटी’’ के अनुरोध पर यह भूमि शहर के नागरिकों के आमोद-प्रमोद व खेलकूद संबंधी कार्यक्रमों में उपयोग के लिए सन् 1941 में इस सोसायटी को दी गई। तत्कालीन मेवाड़ रियासत अथवा राजस्थान सरकार ने इस भूमि को फील्ड क्लब, उदयपुर को किसी भी विधि से हस्तान्तरण, आवंटन, लीज, दान या अनुदान नहीं दी। सरकार ने ‘क्लबघर’ संचालित करने के लिये ही दिया था। इसका स्वामित्व सन् 1931 से लेकर अद्यतन प्रतिवादी राजस्थान सरकार अथवा प्रतिवादी नगर विकास प्रन्यास, उदयपुर में ही निहित चला आ रहा है।
‘‘फील्ड क्लब सोसायटी उदयपुर’’ का इस भूमि पर कभी कोई स्वामित्व नहीं रहा है। न उस भूमि व उसके भवन पर कभी भी अपना स्वत्व व स्वामित्व क्लेम हीं किया। इस भूमि की अवाप्ति के मुआवजे से लेकर इस पर ‘क्लबघर’ सर्वेन्ट स्वार्टर्स, हॉल, बाऊड्रीवाल, सडकों आदि के निर्माण पर संपूर्ण खर्च सरकारी कोष से किया गया। इस भूमि पर निर्मित भवनों व सडक़ों का रख-रखाव, मरम्मत आदि कार्य राज्य सरकार के सार्वजनिक निर्माण विभाग द्वारा किया जाता है। फील्ड क्लब सोसायटी मेवाड़ रियासत से लेकर आज तक क्लब की भूमि एवं इस पर कराये गए निर्माण पर राज्य सरकार के स्वामित्व को स्वीकार करती आ रही है।
दावे में बताया गया कि फील्ड क्लब’ उदयपुर के धनाढ्य व अभिजात्य वर्ग के कुछ लोगों की संस्था है, जिसकी सदस्यता का न्यूनतम मूल्य पांच लाख रुपए है और जिस प्रयोजन के लिये यह भूमि राज्य कोष से आवाप्त कर विकसित करवाई गयी एवं फील्ड क्लब, उदयपुर को इसके उपयोग की अनुमति दी गयी थी, वह प्रयोजन ही अब निष्फल हो चुका है, क्योंकि फील्ड क्लब ने इस भूमि का अनाधिकृत व अवैधानिक उपयोग करना शुरू कर दिया है।
याचिका में बताया गया कि ‘‘फील्ड क्लब’’ को अवैधानिक व वाणिज्यिक गतिविधियों का संचालन जारी रखने का कोई कानूनी अधिकार प्राप्त नहीं है, फिर भी फील्ड क्लब के नाम पर विभिन्न गतिविधियों का संचालन किया जा रहा है।
फील्ड क्लब का इस भूमि पर स्वत्व अथवा पट्टाधारी की हैसियत से काबिज नहीं है, फिर भी आबकारी विभाग से साठ-गाठ कर नियमों के विरूद्ध बार का लाईसेंस प्राप्त कर मदिरालय का अवैध संचालन किया जा रहा है। इस भूमि के गार्डन, लॉन, मैदान, गेस्ट हाउस, शादी आदि समारोह के लिये किराये पर दिये जाकर वाणिज्यिक उपयोग किया जा रहा है जो कि पूर्णतया अवैध है। जबकि फील्ड क्लब, उदयपुर का राजस्थान सोसायटीज रजिस्ट्रेशन एक्ट के अन्तर्गत पंजीकरण नहीं है तथा उसकी स्थिति एक अपंजीकृत संस्था के समान है।
इसके अलावा फील्ड क्लब के सदस्य अपने आमोद-प्रमोद के लिये शहर से दूर स्वयं अपने स्वामित्व की भूमि खरीदने में भी समर्थ हैं, इस भूमि का व्यापक जनहित में उपयोग किया जाना न केवल आवश्यक है, बल्कि परिवर्तित परिस्थितियों में समय की भी मांग है।