– वि़द्यापीठ में कंप्यूटेशनल, इंटेलिजेंस व कम्युनिकेशन नेटवर्क पर अंतरराष्ट्री य कांफ्रेंस का दूसरा दिन
उदयपुर। भारत में मोबाइल और इंटरनेट यूजर्स की संख्या जिस स्तर से बढी है, उसकी परिधि में क्लाउड कंप्यूटिंग का दायरा भी बढा है। क्लाउड कंप्यूटिंग का फायदा सिर्फ शहरी क्षेत्र तक ही सीमित नहीं है, बल्कि अब आदिवासी अंचल में भी इसकी उपयोगिता उभर रही है।
इस नेटवर्किंग के गुण-दोष दोनों को समझने की आवश्ययकता है। एक तरफ इस क्लाउड कंप्यूटिंग के माध्यम से हमे काफी फायदा मिला है, वहीं कई सारे साफटवेयर और हार्डवेयर भी हमारी पहुंच में आए हैं। ये विचार राजस्थान विद्यापीठ की ओर से कंप्यूटेशन, इंटेलिजेंस व कम्युनिकेशन नेटवर्क पर जारी अंतरराश्टीय कांफ्रेंस में षनिवार को हुए विभिन्न तकनीकी सत्रों में सामने आए। देश-विदेश से आए नेटवर्किंग विषेशज्ञों ने क्लाउड कंप्यूटिंग, वेब वर्ल्ड सहित अन्य इंटरनेट से जुडे तकनीकी पक्षों की विवेचना की।
निदेशक डॉ. मनीष श्रीमाली ने बताया कि कांफ्रेस में यह बात भी मुख्य रूप से उठी कि हमें नेटवर्किंग के गुण दोष की भी जानकारी होनी चाहिए। विषेशज्ञों के मुताबिक हमारे पास आईटी और कंप्यूटर इंजीनियरिंग में करने के लिए बहुत कुछ है, लेककिन हमारे पास रिर्सोस की कमी है। देश की विभिन्न इंजीनियरिंग संस्थाएं हर रोज नई तकनीकों की खोज कर रही है, लेकिन उसमें गुण दोशों की विवेचना करना प्राथमिकता रखा गया है। तकनीकी के जितने फायदे हैं, उतने ही नुकसान भी। इस कारण ऐसी तकनीकों का विकास किया जाना चाहिए, जिसक गुणों की संख्या अधिक हो। कांफ्रेंस में विभिन्न तकनीकी सत्रों में 40 से अधिक पत्रों का वाचन हुआ। इस अवसर पर गणेषचंद्र वेका, प्रो मुनेष त्रिवेदी, संजय मिश्रा, विशाल गौड़, परेश वीर, चंद्रेश छतलानी, डॉ. भारतसिंह देवड़ा, डॉ गौरव गर्ग डॉ बीपी सागर आदि ने भी विचार रखे।
पुस्तक विमोचन: कांफ्रेंस में वेब टेक्नोलॉजिस पर लिखित पुस्तक का विमोचन कुलाधिपति एचसी पारिख, कुलपति प्रो एसएस सारंगदेवोत ने किया। बताया गया कि इस पुस्तक में वेब टेक्नोलॉजी पर आधारित सारी जानकारी दी गई है।