ब्लड बैंक शुरू कराने में अहम योगदान
उदयपुर। पेशे से चिकित्सक 83 वर्षीय डॉ. नवरतनमल दुग्गरड़ ने जीते जी तो रोगियों की निशुल्क सेवा की ही। मृत्यु के बाद भी नवचिकित्सकों के लिए अनुसंधान हेतु देहदान कर समाज में एक अनुकरणीय उदारहण पेश किया। डॉ. दुग्गेड़ की अंतिम इच्छानुसार उनकी देह आरएनटी मेडीकल कॉलेज के एनाटोमी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. घनश्याम गुप्ता व सह प्राचार्य डॉ. परवीन ओझा को सुपुर्द की गई।
19 जुलाई 1931 को जोधपुर में जन्में डॉ. दुगड़ ने 1955 में कलकत्ता के आरजीकार मेडीकल कॉलेज में तथा बाद में 1958 में आरएनटी मेडकील कौलेज से मेडीकल की शिक्षा उर्तीण की। जीवन में डॉ. दुगड़ चिकित्सकीय विभाग द्वारा संचालित विभिन्न डिस्पेन्सरियों में विभिन्न पदों पर रहते हुए रोगियों की नि:शुल्क सेवा की। उदयपुर में ब्लड बैंक तथा नाथद्वारा में मन्दिर मण्डल द्वारा संचालित देश का प्रथम चल चिकित्सालय प्रारम्भ कराने में डॉ. दुगड़ का अविस्मरणीय योगदान रहा। 1982 में सेवानिवृत्ति के बाद डॉ.दुगड़ इस चल चिकित्सालय एवं राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों में विभिन्न संस्थाओं द्वारा संचालित विभिन्न चिकित्सालयों में सेवायें देते रहे। समाज सेवा में उनके द्वारा दिये गये अनुकरणीय योगदान को देखते हुए आचार्य महाप्रज्ञ ने उन्हें गृहृस्थ जीवन में रहते हुए एक संत तक बताया था। 1994 में देहदान करने का संकल्प पत्र भर दिया था।
इस अवसर पर डॉ. दुग्गबड़ के पुत्र सुधीर दुग्ग ड़, तेरापंथी सभा के अध्यक्ष राजकुमार फत्तावत, उदयपुर सेवा समिति के संस्थादपक गणेश डागलिया, रोटरी क्लब एलिट के अध्यक्ष पुनीत सक्सेना, प्रदीप गुप्ता सहित सैकड़ों समाजसेवी, उद्योगपति, रोटरी क्लब एलिट के सदस्य मौजूद थे। एनाटोमी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. घनश्याम गुप्ता ने बताया कि इस वर्ष विभाग को आठवीं देह प्राप्त हुईं है। प्रत्येक 15 छात्रों पर अनुसंधान के लिए एक देह की आवश्यकता होती है। प्रतिवर्ष कम से कम 10 देह की आवश्कयता होती है।