उदयपुर। उप प्रांतपाल द्वितीय लॉयन अरविन्द चतुर ने कहा कि जीवन में किया गया रक्तदान निश्चित रूप से किसी न किसी की जिन्दगी को बचाता है। इसका अहसास हमें तब होता है जब हमारा ही कोई अपना खून के लिए जिंदगी और मौत के बीच जूझता है ओर बमुश्किल उसके लिए खून का इंतजाम हो पाता है।
वे आज लायंस क्लब अमन एवं आलोक स्कूल हिरणमगरी के संयुक्त तत्वाधान में आलोक स्कूल ऑडिटोरियम में आयोजित लायंस चित्रकला प्रतियोगिता एंव स्वैच्छिक रक्तदान जागरूकता कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में बोल रहे थे।
कार्यक्रम में स्कूली विद्यार्थियों ने रक्तदान के महत्व विषय पर आयोजित चित्रकला प्रतियोगिता में बच्चों ने अपनी कल्पनाओं का बखूबी प्रदर्शन कर आयोजकों को अचंभित कर दिया। लायंस क्लब अमन के अध्यक्ष संजीव मेहता ने कहा कि यदि हम सभी संकल्प लें कि कम से कम हम स्वयं रक्तदान अवश्य करेंगे,तो निश्चित रूप से रक्त के अभाव में किसी की मृत्यु नहीं होगी।
देशभर में रक्तदान हेतु कई संस्थाएँ लोगों में रक्तदान के प्रति जागरूकता फैलाने का प्रयास कर रही है परंतु इनके प्रयास तभी सार्थक होंगे, जब हम स्वयं रक्तदान करने के लिए न केवल आगे आऐंगे वरन् अपने मित्रों व रिश्तेदारों को भी इस हेतु आगे आने के लिए प्रेरित करेंगे। उन्होंने कहा कि रक्त को खरीदा नहीं जा सकता लेकिन रक्तदान कर करोड़ो जिन्दगियों को बचाया जरूर जा सकता है। लायंस क्लब अमन द्वारा निरन्तर ब्लड डोनेशन के केम्प आयोजित कर मानवता के इस कार्य मे अपना सहयोग देने का प्रयास कर रहा है।
कार्यक्रम के विशिष्ठ अतिथि आलोक संस्थान के निदेशक डॉ. प्रदीप कुमावत ने कहा कि अनायास दुर्घटना या बीमारी का शिकार हममें से कोई भी हो सकता है। आज हम सभी शिक्षित व सभ्य समाज के नागरिक है, जो केवल अपनी नहीं बल्कि दूसरों की भलाई के लिए भी सोचते हैं, तो क्यों नहीं हम रक्तदान के पुनीत कार्य में अपना सहयोग प्रदान करें और लोगों को जीवनदान दें।
कुमावत ने उप प्रांतपाल द्वितीय अरविन्द चतुर को रक्त क्रान्तिकारी की संज्ञा देते हुए बताया कि चतुर अब तक करीब 50 हजार लोगों को रक्तदान करने के लिए प्रेरित कर चुके है एवं 25 हजार युनिट रक्त संग्रह करवाने में इनका अहम योगदान रहा है, उन्होंने इसे एक क्रान्तिकारी कदम बताया।
पूर्व प्रान्तपाल एवं सरल ब्लड बैंक के मानद सचिव लायंन श्याम एस. सिंघवी ने कहा कि सामान्य व्यक्ति को वर्ष में 2 बार रक्तदान करना चाहिए ताकि शरीर में नये रक्त का संचार हो सकें। रक्तदान करने से रक्त प्रवाह की गति सामान्य रहती है। उन्होंने कहा कि कोई भी स्वस्थ व्यक्ति जिसकी आयु 18 से 68 वर्ष के बीच हो, जिसका वजन 45 किलोग्राम से अधिक हो, जिसके रक्त में हिमोग्लोबिन का प्रतिशत 12 प्रतिशत से अधिक हो वह रक्तदान कर सकता है।
कार्यक्रम में आयोजित लॉयंस चित्रकला प्रतियोगिता में आलोक संस्था के 300 बच्चों ने ब्लड डोनेशन को प्रेरित करने की थीम पर चित्रकारी कर अपनी कल्पना को कागज पर उकेरा। निर्णायकों मिनाक्षी कालरा, मिनाक्षी शर्मा एवं क्लब सचिव गोपाल काबरा द्वारा इनमें से 12 सर्वश्रेष्ठ चित्रकला का चयन कर ईशा माहेश्वरी को प्रथम, निशपंत शर्मा को द्वितीय एवं प्राची मेहता को तृतीय पुरूस्कार स्वरूप क्रमश: 5001, 3001 एवं 1001 रू नकद राशि ,शील्ड एंव प्रशस्ति पत्र प्रदान कर सम्मानित किया।
कार्यक्रम मे रक्तदान जागरूकता पर आधारित फिल्म प्रदर्शन किया गया। बच्चों के मन मे रक्तदान के प्रति जागरूकता को बढ़ाने एवं भ्रांतियों को दूर करने व बच्चों के मन में बैठे डर को निकालने के लिए आलोक संस्था के मनमोहन भटनागर ने शुरूआत में रक्तदान कर इसका लाइव डेमोस्ट्रेशन किया। लायन संयम सिंघवी, सचिव लॉयन गोपाल काबरा, लायन राहुल जैन, निश्चय कुमावत ने भी ब्लड डोनेशन के प्रति जागरूकता पर अपने विचार व्यकत किये।