– रिटेलरों ने कहा, होलसेलरों को बंद करे
उदयपुर। सरकार बनाने को भले ही कितने कानून बना ले लेकिन जब तक उन्हें अमली जामा नहीं पहनाने वाली सरकारी मशीनरी ही काम नहीं करे तो फिर भला कानून बनाने वाले भी क्या करें? कुछ ऐसा ही हाल पॉलीथिन के उपयोग को लेकर है। सरकार ने 2010 में ही पॉलीथिन बैग पर प्रतिबंध लगा दिया लेकिन नगर निगम और जिला प्रशासन की ओर से प्लास्टिक निषेध पखवाड़े में सिर्फ और सिर्फ खानापूर्ति की गई।
विश्व के खूबसूरत शहरों में अपना स्थान बनाने वाले उदयपुर जैसी पर्यटन नगरी में पूरे पखवाड़े में निगम के जिम्मेदारों को सौ किलो पॉलीथिन बैग तक किसी के पास नहीं मिले जबकि कचरे में आज भी सर्वाधिक संख्या पॉलीथिन बैग्स की है।
होलसेलर पर ही कार्रवाई नहीं : निगम के अधिकारियों ने पखवाड़े में पॉलीथिन बैग्स के एक भी होलसेलर पर कार्रवाई नहीं की। इनकी कार्रवाई में ठेले वाले, सब्जी वाले या छोटे मोटे दुकानदार शामिल रहे जिनके पास अमूमन 2 से 3 या अधिक से अधिक 5 किलो पॉलीथिन मिल सकती है। क्रमददगारञ्ज ने कुछ दुकानदारों से पाबंदी के बावजूद पॉलीथिन उपयोग के बारे में पूछा तो इनका एक ही जवाब था कि जब तक होलसेलर उपलब्ध करवाएंगे तब तक सस्ता होने के कारण इसका उपयोग जारी रहेगा। अगर प्रशासन और नगर निगम को सही मानों में प्रतिबंधित करना है तो पहले उदयपुर में जितने भी होलसेलर है, उन पर रोक लगाएं।
साढ़े चार साल पहले भी लगाया था प्रतिबंध :
राज्य सरकार ने प्लास्टिक पॉलीथिन के गंभीर परिणामों को देखते हुए 21 जुलाई 2010 को पूरे प्रदेश में प्लास्टिक बैग का विनिर्माण, भंडारण, आयात, विक्रय, परिवहन उपभोग को प्रतिबंधित किया था। इसका उल्लंघन करने पर एक लाख रुपए तथा पांच वर्ष के कारावास तक का प्रावधान था। प्रतिबंध के बावजूद खुले आम प्लास्टिक की थैली का उपयोग किया जा रहा है।
कार्रवाई में न गंभीरता ना ही मॉनिटरिंग :
राज्य सरकार के सख्त आदेश के बावजूद पॉलीथिन और प्लास्टिक बैग पर रोकथाम में लीपापोती ही की जा रही है। सामान्य दिनों में तो नगर निगम ने कार्रवाई रोक रखी है। आदेश लागू होने के शुरुआती दिनों में जरूर कार्रवाई की गई, लेकिन बाद में इस आदेश को पूरी तरह से विस्मृत कर दिया गया। गत 1 से 15 दिसंबर तक पर्यावरण को स्वच्छ रखने के उद्देश्य से अभियान चलाया गया। इसमें निगम ने कार्रवाई में गंभीरता नहीं दिखाई तो जिला प्रशासन भी सही मॉनिटरिंग करने में नाकामयाब रहा।
सफाई के काम में पॉलीथिन सबसे बड़ी बाधा :
सफाई व्यवस्था तथा सीवरलाइन के काम में पॉलीथिन सबसे बड़ी बाधा है। अधिकांश जगहों पर पॉलीथिन की वजह से ही सीवरलाइन और नाले चॉक हो रहे हैं। पॉलीथिन डंप करने में भी दिक्कत आती है। नगर निगम के स्तर पर चलाए गए नाला सफाई अभियान में पॉलीथिन के कारण भी अधिक परेशानी का सामना करना पड़ा था।