श्रमदान पश्चात हुए संवाद
उदयपुर। पेयजल की झीलों में मृत पशुओ ए पक्षियों के अवशेषए सडी मांसाहारी खाद्य सामग्री एप्लास्टिकएसाबुनए डिटर्जेंटएऑयल ग्रीस के भारी विसर्जन से शहर के नागरिक गंभीर खतरे की कगार पर है। उक्त चिंता रविवार को चांदपोल नागरिक समितिए झील संरक्षण समिति व डॉ. मोहनसिंह मेहता ट्रस्ट के संयुक्त तत्वावधान में रविवारीय श्रमदान पश्चात हुए संवाद में उभरे।
झील संरक्षण समिति के अनिल मेहता ने कहा कि झीलों में विसर्जित कचरे गंदगी के सूक्ष्म दुष्प्रभाव जलदाय विभाग के फिल्टर प्लांट भी दूर नहीं कर पाते है। चांदपोल नागरिक समिति के तेज शंकर पालीवाल ने कहा कि एक वर्ष से पिछोला झील में पशु पक्षियों के अवशेष मांस, हड्डियों, पंखों, बालों इत्यादि का विसर्जन तीव्र हुआ है। डॉ. मोहनसिंह मेहता मेमोरियल ट्रस्ट के नंदकिशोर शर्मा ने कहा कि कचरा गंदगी विसर्जन समाज की जागरूकता, संवेदनशीलता व प्रशासनिक सख्ती के संयोजन से ही रोका जा सकता है। श्रमदान में रमेश सिंह राजपूत, मोहन सिंह, बंटी कुमावत, विक्की कुमावत, कुलदीपक पालीवाल, राम गहलोत, डालु गमेतीएतेज शंकर पालीवाल, अनिल मेहता, नंद किशोर शर्मा ने भाग लिया तथा पिछोला झील के बारीघाट क्षेत्र से शराब बोतलें, जलीय घास, प्लास्टिक, पॉलीथिन, सड़ा मांस व सामग्री, घरेलू सामग्री व नारियल सहित पूजन सामग्री निकाली।