– माता-पिता की सेवा, हृदयरोगी हूं, नहीं जा सकता
उदयपुर। पंचायतीराज चुनाव में अभी कर्मचारियों की ड्यूटी लगी नहीं है और कर्मचारी ड्यूटी से बचाव के उपाय ढूंढने में लग गए हैं। बहाने भी ऐसे-ऐसे कि माता-पिता की सेवा, रिश्तेदार की शादी और तो और हृदयरोग भी इन दिनों में याद आ रहा है।
जिले के पहले चरण में छह पंचायत समितियों और जिला परिषद के 17 वार्डों के चुनाव 16 जनवरी को होने हैं। ड्यूटी लगाने का काम जोरों पर है। इस बार चुनाव में करीब दस हजार कर्मचारियों को ड्यूटी पर लगाना संभावित है।
यकायक याद आई माता-पिता की सेवा
जानकार सूत्रों की मानें तो चुनाव ड्यूटी से बचने के लिए कर्मचारियों ने तरह-तरह के बहाने लिखकर चुनाव ड्यूटी से बचने के जुगाड़ करना शुरू कर दिया है। हद तो यह हो कि गांव बसा नहीं और आ गए मांगने वाली कहावत चरितार्थ करते हुए कतिपय कर्मचारियों ने तो ड्यूटी लगने से पहले ही अपनी लाचारगी बतानी शुरू कर दी है। किसी को माता-पिता की सेवा याद आ रही है तो किसी को दिल के दौरे पडऩे की शिकायत, तो कोई शरीर में स्टील की रॉड लगने से ड्यूटी पर जाने में असमर्थ है। कुछ कर्मचारी तो रिश्तेदार की शादी की सारी जिम्मेदारी का बोझ खुद उठाए घूम रहे हैं वहीं किसी की पत्नी गंभीर बीमार है। जानकारी के अनुसार अब तक 250 से अधिक कर्मचारी चुनाव ड्यूटी निरस्त करवाने के लिए अग्रिम आवेदन कर चुके हैं। उधर निर्वाचन विभाग का कहना है कि मात्र अपनी समस्या बताने से ही अवकाश नहीं मिलने वाला है।
कहां कहां बचेंगे : बताया गया कि बीमारी से जुड़े मामलों को मेडिकल बोर्ड के समक्ष भेजा जा रहा है। जबकि आयोजन सम्बन्धित समस्याओं की भी सच्चाई सामने लाने के गोपनीय प्रयास किए जा रहे हैं। कुल दस हजार कर्मचारियों में से दो हजार रिजर्व ड्यूटी पर रहेंगे। बाकी को तीन भागों में तीन चरणों में चुनाव डयूटी में भेजा जाएगा, जिसकी ड्यूटी पहले चरण में लगेगी, उसे दूसरे व तीसरे चरण चुनाव ड्यूटी से मुक्त रखा जाएगा। एक कर्मचारी एक चरण में ही ड्यूटी करेगा। ऐसे में चुनाव ड्यूटी से बचने वाले कर्मचारियों को किसी न किसी चरण में तो भागीदारी निभानी ही होगी।