उदयपुर। छह महीने पहले जब मुझे खाने में दिक्कत होने लगी और मैंने आवाज़ में बदलाव महसूस किया तब मैं डॉक्टर के पास गया तो पता चला कि मुझे कैंसर है तब ऑपरेशन के बाद मेरी आवाज़ चली गई और उसके बाद न मैं किसी से बात कर पाता था न ही अपनी आवाज़ सुन पाता था। छह माह बाद गीतांजलि ने ऑपरेशन से मेरी आवाज लौटा दी है।
कुछ ऐसा ही मानना है कैंसर रोगी धुलेश्वर का जिसका ऑपरेशन गीतांजली हॉस्पीटल के डॉ सुभ्रत दास और डॉ. देवेन्द्र जैन ने किया। डॉ. दास ने बताया कि टीडी़ निवासी 52 वर्षीय धुलेश्वर मीना जुलाई में सांस लेने एवं खाने-पीने में दिक्कत के चलते सरकारी अस्पताल में गया जहां जांचों में पाया गया कि उसके गले में कैंसर की गांठ थी। वहां उपचार न होने के कारण उसे गीतांजली हॉस्पीटल में रेफर किया गया। यहां भर्ती के बाद कई जांचें की गई जिसमें पाया गया कि इसके स्वरपीठी में कैंसर की गाँठ है। इसके बाद टोटल लेरिन्जेक्टोमी विद पार्शियल फेरिन्जेक्टोमी, बाइलेट्रल नेक डिसेक्शन रेडियोथेरेपी प्रक्रिया द्वारा वाइसबॉक्स (स्वरपीटी) को हटा दिया गया। इसके पश्चात् रेडियोथैरेपी प्रक्रिया द्वारा स्वरपीठी निकालने के कारण जो छेद छोटा हो गया था, उसे सीरीयल डाइलेटलशन द्वारा बड़ा किया गया और फिर 5 महीने बाद जब छेद बड़ा हो गया तब 20 मिनट की सर्जरी में प्रोवोक्स प्रोस्थिसिस ( सिलिकोन की नली) द्वारा ग्रासनली व श्वासनली के बीच वाइस प्रोस्थिसिस को प्रत्यारोपित किया गया। डॉ. दास ने बताया कि अब वह स्वस्थ है और उसे बोलने में भी कोई दिक्कत नहीं है। यह प्रोवोक्स प्रोस्थिसिस प्रत्यारोपण की सफल प्रक्रिया संभाग में केवल गीतांजली हॉस्पीटल में ही उपलब्ध है। रोगी की जांच भी निशुल्क की गई।