उदयपुर। नाट्यांश सोसाइटी ऑफ़ ड्रामेटिक एंड परफोर्मिंग आर्ट्स द्वारा संविधान के मौलिक अधिकारों पर आधारित नुक्कड़ नाटक ‘हमारा’ के तीन मंचन किये गए। पहला मंचन गुलाब बाघ, दूसरा राजिव गाँधी उद्यान तथा तीसरा फतह सागर की पाल पर मंचित हुआ।
66 वर्ष पूर्व हमारे संविधान के निर्माताओ ने देश के भविष्य को ध्यान में रख कर हमारे संविधान का निर्माण किया था। साथ ही उन्होंने आम जनता को कुछ कर्त्तव्य तथा अधिकार भी दिए थे, लेकिन वर्तमान में मेरा फायदा मेरी तरक्की के स्वार्थ में हम देश के प्रति हमारे मौलिक अधिकारों को भूल चुके हैं।
नाटक के संयोजक मो. रिजवान मंसूरी ने बताया कि जहां आज देश प्रगति की ओर अग्रसर हो रहा है वही दूसरी ओर देश के नागरिक भारतीय संविधान में लिखित उनके मौलिक अधिकार तथा उन अधिकारों की शक्तियों से बेखबर है। वो उन अधिकारों को सिर्फ एक पाठ समझ कर भूल चुके है। नाट्यांश का नुक्कड़ नाटक ‘हमारा’ मूल रूप से भारतीय नागरिको के लिये संविधान में लिखित मौलिक अधिकार तथा उनकी शक्तियों पर केन्द्रित है। नुक्कड़ नाटक में छः मौलिक अधिकार तथा उनकी शक्तियों के बारे में जानकारी को बड़े ही कलात्मक ढंग से प्रदर्शित किया है। नाटक का लेखन एवम् निर्देशन अश्फाक नूर खान पठान ने किया। कलाकारों में अमित नागर, महेंद्र डांगी, देवप्रभा जोशी, अरुण जैन, मो. रिजवान मंसूरी, अश्फाक नूर खान, रेखा सिसोदिया ने अभिनय किया।