नई दवाओं की खोज मधुमेह बीमारी में सहायक
उदयपुर। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान के विभागाध्यक्ष डॉ. निखिल टंडन ने कहा कि हर व्यक्ति मधुमेह की बीमारी,उसके लक्षण तथा उससे शरीर के विभिनन अंगों पर पडऩे वाले दुष्प्रभवों के बारें में सबकुछ जानता है लेकिन इसके बावजूद शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों की जनता को जागरूक किया जाना आवश्यक है।
वे आज रिसर्च सोसाइटी फॉर द स्टडी ऑफ़ डायबिटीज इन इंडिया की ओर से पहली बार उदयपुर में राजस्थान व गुजरात राज्यों के चेप्टर की कोडिय़ात रोड़ स्थित होटल अनन्ता में अयोजित दो दिवसीय वार्षिक डायबिटीज कॉन्फ्रेंस के उद्घाटन सत्र में मुख्य वक्ता के रूप में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि जानकारी होने के बावजूद 60 से 70 प्रतिशत रोगियों को मधुमेह बीमारी की रोकथाम के लिए अच्छी केयर उपलब्ध नहीं है। साथ ही देश में डायबिटीज चिकित्सकों की कमी भी एक समस्या है। उन्होंने कहा कि बीमारी की जानकारी के लएि अच्छी डायग्नोसिस होने लगी है। अब युवावस्था में मोटापा की समस्या के बढऩे से मधुमेह रोगियों की संख्या में लगातार बढ़ोतरी हो रही है जो चिंताजनक है। युवावस्था में मधुमेह के शिकार होने वाले रोगियों को जीवन में अधिक सावधानी बरतने की आवश्यकता है।
अन्य वक्ता एवं कॉन्फ्रेन्स के चेयरमैन डॉ. डीसी शर्मा ने बताया कि मधुमेह बीमारी में अब कुछ नवीन कारगर दवाएं बाजार में उपलब्ध हो गयी है। नई दवाओं में एसजीएलटी-2 इनीबीटर नामक दवा की खोज पिछले 20 वर्षो से जारी थी जो वर्ष 2012 में जा कर पूरी हुई। इस दवा के लेने से रोगी का न केवल वजन कम होता है वरन् उसे हाईपो भी नहीं होता है। यह दवा शुगर नियंत्रण में काफी प्रभावी है। इस दवा को लेने से शरीर में गुर्दे को अधिक मात्रा में शक्कर को छानकर पेशाब के जरिये बाहर निकाल देते है। साथ ही सम्मेलन में जीएलपी-1 एनालेाग नामक दवा पर भी विस्तृत चर्चा की गई। यह दवा टेबलेट व इजेंक्शन में फॉम में उपलब्ध है। डायबिटीज की जटिलताओं में खासकर हृदय, गुर्दे, आंख व पैरों में होने वाली जटिलताओं के कारण, उपचार व रोकथाम पर विस्तृत चर्चा की गई।
सम्मेलन में इनके अतिरिक्त जयपुर के डॉ. एसएस शर्मा, अहमदाबाद के डॉ. बंशी साहू, अहमदाबाद के ही डॉ. मयूर पटेल सहित करीब 15 चिकित्सकों ने बीमारी के विभिन्न आयामों पर गहन मंथन किया। सम्मेलन के दूसरे एंव अंतिम दिन पांडिचेरी, दिल्ली सहित अन्य स्थानों के चिकित्सकों के पत्रवाचन होंगे। सम्मेलन में दोनों राज्यों के लगभग 400 से अधिक चिकित्सक भाग ले रहे है। सम्मेलन में के कुल 50 फेकल्टी स्पीकर्स अपने पत्रों का वाचन करेंगे।