अनछुए पहलू उजागर करने का प्रयास होगा पेसिफिक की संगोष्ठी में
उदयपुर। बप्पा रावल के जन्म की 14वीं शताब्दी के प्रवेश वर्ष के उपलक्ष्य में भारतीय इतिहास एवं संस्कृति के सरंक्षण एवं विकास में बप्पा रावल के योगदान पर राष्ट्रीय संगोष्ठी सोमवार को होगी। आयोजन पेसिफिक विश्वाविद्यालय के सामाजिक विज्ञान एवं मानविकी महाविद्यालय के इतिहास विभाग द्वारा किया जा रहा है।
आयोजन समिति के सचिव डॉ. अजातशत्रुसिंह शिवरती ने पत्रकारों से बातचीत में बताया कि बप्पा रावल मेवाड़ ही नहीं वरन् भारत की स्वातंत्र्य अस्मिता से जुडा़ ऐसा प्रसंग है जो कि अरब के साम्राज्य विस्तार को रोकने में एक वृहद दीवार की भांति अडिग रहा। इस विषय पर अत्यधिक शोध सामग्री का अभाव है। अतः इतिहास के अध्येताओं का दायित्व है कि वे संगोष्ठी के माध्यम से तत्कालीन भारत के इतिहास को व्यापकता प्रदान करते हुए अनछुए पक्षों को समाज के सामने रखें।
पाहेर सचिव राहुल अग्रवाल, कुलसचिव शरद कोठारी, डॉ. टीपी आमेटा एवं इतिहासकार डॉ. चन्द्रशेखर शर्मा मौजूद थे। संगोष्ठी के उदघाटन सत्र में मुख्य अतिथि एवं मुख्य वक्ता महाराज रघुवीरसिंह सिरोही, विशिष्ट अतिथि प्रो. एसएस सारंगदेवोत, महाराज राघवराज सिहं, विधायक फूलसिंह मीणा, सचिव पाहेर विवि राहुल अग्रवाल, कुलसचिव पाहेर विवि शरद कोठारी होंगे। अध्यक्षता विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बीपी शर्मा करेंगे। संगोष्ठी में दो तकनीकी सत्र होंगे जिसमें देश के विभिन्न इतिहासविद् एवं शोधार्थी कई शोध पत्रों का वाचन करेंगे। समापन में मुख्य अतिथि लक्ष्यराजसिंह मेवाड़, विशिष्ट अतिथि सांसद अर्जुनलाल मीणा, कुलसचिव पाहेर विवि शरद कोठारी, वित्त् सचिव पाहेर विवि, आशीष अग्रवाल होंगे। कार्यक्रम की अध्यक्षता विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बीपी शर्मा करेंगे।