पेसिफिक कला महाविद्यालय में राष्ट्रीय संगोष्ठी
उदयपुर। बप्पा एक आदरसूचक शब्द है जो पिता के पर्याय के रूप में काम आता है। सचमुच बप्पा रावल मेवाड़ के पिता ही थे जिन्हों ने परमेष्ठीे राज्य की स्थापना कर लोकहित का कार्य किया।
ये विचार सोमवार को पेसिफिक कला महाविद्यालय में भारतीय इतिहास एवं संस्कृति के संरक्षण एवं विकास में बप्पारावल के योगदान विषयक आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी में विभिन्नच वक्ताषओं ने व्यपक्तो किए। उद्घाटन सत्र् के मुख्य अतिथि डॉ. रघुवीर सिंह सिरोही ने कहा कि मुगल क्रान्ति के सम्मुख केवल मेवाड़ एवं अर्बुदनाथ अर्थात सिरोही राज्य ही नतमस्तक नहीं हुए। उन्होंने सदैव स्वतत्रंता एवं स्वाभिमान की रक्षा करते हुए भारतीय संस्कृति को जीवन्त बनाए रखा। विषय प्रर्वतन करते हुए डॉ. राजशेखर व्यास ने कहा कि बप्पारावल इतिहास के अनुशीलन की आवश्यकता है। विशिष्ट अतिथि डा. राघवराज सिंह ने बप्पा शब्द की व्याख्या की।
विशिष्ट अतिथि प्रो. एसएस सारंगदेवोत ने बप्पा को लेकर भ्रान्तियो को दूर करने के प्रयासों पर बल दिया। विशिष्ट अतिथि सासंद अर्जुनलाल मीणा ने कहा कि ऐतिहासिक स्थानों संरक्षण में राज्य सरकार की सकारात्मक भूमिका का जिक्र किया। महापौर चन्द्रसिंह कोठारी ने कहा कि उदयपुर शहर विश्व में अपना प्रमुख स्थान रखता है। इसके पीछे बप्पा रावल एवं त्यागशील राजाओ का योगदान है। इतिहास में मेवाड का नाम एक अलग पहचान रखता हैं। प्रारम्भ में अतिथियो का स्वागत कला महाविद्यालय के डीन प्रो.टी.पी. आमेटा ने किया। सम्पादन सत्र में गोष्ठी का सार संक्षेप डॉ. चन्द्रशेखर शर्मा ने किया। लक्ष्यराज सिंह मेवाड ने कुलपति के आग्रह पर छात्रो से सीधा संवाद स्थापित किया। क्रिकेट एव इतिहास से जुडे़ प्रश्नों के उत्तर दिए। निवृति कुमारी ने कहा कि मेवाड में महाराजाओं का तो बहुत बहुत योगदान रहा है, परन्तु मेवाड़ में महिलाओं के योगदान पर भी चर्चा कि जानी चाहिए। कुलपति प्रो. बीपी शर्मा ने उद्घोषणा कि अगली गोष्ठी मेवाड़ में महिलाओं के योगदान पर की जाएगी। अध्यक्षीय उद्बोधन एवं अतिथियों का स्वागत कुलपति प्रो. बीपी शर्मा ने किया। कार्यक्रम में पाहेर सचिव श्री राहुल अग्रवाल व कुलसचिव शरद कोठारी भी मौजूद थे।
तकनीकी सत्र : कार्यक्रम में तकनीकी सत्र का आयोजन किया गया जिसमें 70 शोध पत्र एवं अनेक इतिहासकारों व शोद्यार्थियों ने अपने शोध पत्र का वाचन किया। और विषय से सम्बन्धित पहलुओं पर विचार मन्थन किया। तकनीकी सत्र में अध्यक्षता प्रो. केएस गुप्ता, प्रो. मीना गौड़, प्रो. नीलम कौशिक, डॉ. चन्द्रशेखर शर्मा ने की। समापन सत्र में मुख्य अतिथि महारानी निवृत्तिकुमारी, लक्ष्यराजसिंह मेवाड़ व महापौर चन्द्र सिंह कोठारी थे।