विद्यापीठ विश्वविद्यालय का सातवां दीक्षांत समारोह
बेटियों ने फिर लहराया परचम, 30 को गोल्ड, 39 को पीएचडी
उदयपुर। जनार्दनराय नागर राजस्थान विद्यापीठ विश्वविद्यालय का सातवें दीक्षांत समारोह में एक बार फिर बेटियों ने अपना लोहा मनवाया। समारोह में 30 विद्यार्थियों को स्वर्ण पदक मिला जिनमें से 18 स्वर्ण पदक बेटियों ने अपने नाम किए। समारोह में पीएचडी करने वाले 39 विद्यार्थियों को तथा 23 विद्यार्थी को कम्प्यूटर साइंस में शिक्षा की उपाधि से नवाजा गया।
स्वर्ण पदकों का वितरण पद्म विभूषण से सम्मानित तथा राज्यसभा सांसद डॉ. कर्णसिंह, कुलाधिपति प्रो. एच.सी. पारीख कुलपति प्रो. एस.एस. सारंगदेवोत, राज्यसभा सदस्य डीपी त्रिपाठी द्वारा दिया गया। एनसीसी कैडेट के गार्ड ऑफ ऑनर की परम्परा के बाद कतारबद्ध सीओडी के सदस्य रजिस्ट्रार प्रो. सीपी अग्रवाल टीम के साथ दीक्षांत समारोह की वेशभूषा में परिसर में आये। सबसे पहले कुलपति प्रो. सारंगदेवोत ने प्रतिवेदन प्रस्तुत किया और उपाधियों का वितरण प्रारंभ किया। समारोह के अगले चरण में स्वर्ण पदक विजेताओं को पुरस्कृत किया गया। बीएड, एम.एड., एमसीए, एमएससी, एमबीए, एमएचआरएम, एमआईबी, एमएसडब्ल्यू, एमए, एमकॉम, बीए, एमए, बीपीटी, एमपीटी, बीएचएमएस, एमफिल, बीबीएम विषयों में प्रथम छात्रों को गोल्ड मेडल से नवाजा गया।
ज्ञान की गंगा का विस्तार करें : दीक्षांत समारोह में पद्मविभूषण से सम्मानित डॉ. कर्णसिंह ने विद्यार्थियों को सम्बोधित करते हुए कहा कि छात्रों ने जो सफलता प्राप्त की है उसे सीमित नहीं होने दे इस ज्ञान की गंगा का और अधिक विस्तार करें। उन्होने कहा कि मैंने कई विश्वविद्यालयों के आकडे देखे है जिस तरह से बालिकाएं उच्च शिक्षा में आगे बढ़ रही है यह उदयपुर ही नहीं पुरे देश के लिए गौरव का विषय है। विद्यार्थियों में शोध की प्रवृत्ति खत्म नहीं होनी चाहिए बल्कि यह जीवनपर्यन्त रहनी चाहिए। विद्यार्थियों ने जिस मेहनत एवं लगन से डिग्री प्राप्त की है उसका उपयोग सार्वजनिक क्षेत्रों में विकास के रूप में नजर आये तभी डिग्रीयों की अहमियत साबित होगी। शिक्षा को समाज एवं राष्ट्र के उत्थान के लिए समर्पित करें। उन्होने युवाअेा से आव्हान किया कि वे ग्रामीण क्षेत्र में जाकर जनता के लिए साक्षरता, स्वास्थ्य तथा जनहित जैसे महत्वपूर्ण कार्य करे क्योकि शिक्षा राष्ट्र निर्माण के लिए जरूरी है।
कुलपति प्रो. एसएस सारंगदेवोत ने कहा कि 1937 में स्थापित विद्यापीठ आज विश्वविद्यालय के वृहद्ध स्तर पर पहुंच गई है। इसकी देश ही नहीं विदेशी विश्वविद्यालयों से भी एक्सचेंज प्रोग्राम के तहत यहां विद्यार्थी वहां तथा वहां के विद्यार्थी यहांे अध्ययन करने आ रहे है। उन्होने कहा कि आज उच्च शिक्षा में भारतीय शिक्षा पद्धति की जो बेडिया है उन्हे हम तोडना चाहते है हम जनता की शिक्षा के लिए जनता के पास जाना चाहते है। आज उच्च शिक्षा का माहौल जनता के लिए ही नहीं समाज के सभी वर्गो के लिए है। अध्यक्षता करते हुए कुलाधिपति एच.सी. पारीख ने विद्यार्थियों से आव्हान किया कि वे उच्च शिक्षा के साथ साथ शोध कार्यो में भी अपनी महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वाहन करें। विद्यापीठ भारत की उस आधी दुनिया के निरंतर प्रयत्शील है भारतीय संस्कृति को देवी का स्थान दिया गया है। क्योंकि महिला के उत्थान के बिना सामाजिक उत्थान संभव नही है।
समारोह में विशिष्ठ अतिथि राज्यसभा सांसद डीपी त्रिपाठी ने कहा कि आजकल गुरू दक्षिणा की परम्परा तो नहीं रही लेकिन दीक्षा की परम्परा तो है। आज जरूरत है गुरू की प्रतिष्ठा को पुनः प्रतिष्ठापित करने की आवश्यकता है। उन्होने कहा कि समारोह में उपाधिक प्राप्त करने वालों की जिम्मेदारी ओर भी बढ गई है। शिक्षा मनुष्य को संस्कारवान व चरित्रवान बनाती है। इस अवसर पर कुल प्रमुख भंवरलाल गुर्जर, रजिस्ट्रार प्रो. सीपी अग्रवाल ने भी सम्बोधित किया।
ये उपस्थित थे : प्रो. एन.एस. राव, प्रो. जीएम मेहता, प्रो. प्रदीप पंजाबी, प्रो. एस.के. मिश्रा, डॉ. हेमशंकर दाधीच, प्रो. सुनिता सिंह, प्रो. सुमन पामेचा, डॉ. मनीष श्रीमाली, डॉ. शशि चितौडा, अरूण पानेरी, डॉ. अर्पणा श्रीवास्तव, डॉ. अमिया गोस्वामी, डॉ. शैलेन्द्र मेहता, डॉ. अलख नन्दा, डॉ. मंजू मांडोत, भवानीपाल सिंह सहित शहर के गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।
डी.लिट की उपाधि से नवाजा गया : कुलाधिपति एचसी पारीख, कुलपति प्रो. सारंगदेवोत एवं डीपी त्रिपाठी द्वारा पद्मविभूषण से सम्मानित एवं राज्यसभा सांसद डॉ. कर्णसिंह को डी.लिट की उपाधि से नवाजा गया। इस अवसर पर राज्यसभा सांसद डीपी त्रिपाठी का भी विश्वविद्यालय की ओर से सम्मानित किया गया। रजिस्ट्रार प्रो. सीपी अग्रवाल ने समारोह के पश्चात कहा कि सोमवार को विश्वविद्यालय के सभी परिसरों में अवकाश रहेगा।