कवि सम्मेलन में छूटे हास्य के फव्वारे
उदयपुर। लायन्स क्लब लेकसिटी एवं लायनेस क्लब लेकसिटी के संयुक्त तत्वावधान में देवाली स्थित स्व भवन में मूक बधिर चिकित्सालय के निर्माण के लिए धन संग्रह हेतु लोक कला मण्डल में आयोजित राष्ट्रीय हास्य कवि सम्मेलन में आज ठंडे मौसम में कवियों के मुंह से निकले व्यंग्य के बाणों एवं हास्य के फव्वारों ने श्रोताओं को हंसा-हंसा कर लोटपोट कर दिया।
झमाझम तेज बारिश में कवि सम्मेलन रंगमंच स्थल से बदल कर कठपुतली सभागार में आयोजित किया गया। कवि प्रकाश नागौरी ने ‘अच्छे दिन आने वाले, साफ-साफ दिख रहा है, इसलिए सेकण्ड हेण्ड सूट भी करोड़ों में बिक रहा है,’, ‘बादल फटे , आसमान खुला,ठण्डी हवा छूट गयी, कल का बजट क्या देखा धूजणी छूट गयी’ जैसी रचनाएं प्रस्तुत दर्शकों का खूब मनोरंजन किया। मध्यप्रदेश के धार जिले से आये जानी बैरागी ने ‘मुझे इस बात का गम है, कि मेरा नाम बम है, मैं हर बार यूं ही छला गया हूं, बिस्मिल के हाथ से निकला और हिजबुल के हाथ चला गया हूं,’, ‘ऐ मेरे पुराने प्यारे मित्र, ऐसे कैसे बदल गया तेरा चरित्र, तू भूलने का इतना आदी कैसे हो गया है, शायद तूने कुरान ढंग से नहीं पढ़ी है, इसलिए जेहादी हो गया है’ आदि रचनाओं पर दर्शकों की खूब तालियां बटोरी।
आगरा के रामेन्द्र मोहन त्रिपाठी ने अपनी रचनाओं में ‘जो जिन्दगी से लड़े होते है, अपने पैरों पे खड़े होते है, मिटते देखे है, सहारों वाले पेड़ तो खुद ही बड़े होते देखे है,’, ‘ किसी दुकान या मकान से नहीं आती,भीख में या अनुदान से नहीं, रोटियां आती है अपनी मेहनत से, रोटियंा आसमान से नहीं आती..’ बांरा जिले के कवि सुरेन्द्र यादवेन्द्र ने अपनी रचनाएं प्रस्तुत करते हुए कहा कि ‘एक बार नहीं बार-बार हकलाती है,हमारे देश की हर सरकार हकलाती है, इतनी हकलाती है कि हर राह से भटक जाती है ह से हम, ह से हिन्दी, ह से हिन्दु और ह से हिन्दुस्तान कहने में बासठ-बासठ साल तक अटक जाती है..’ पर दर्शक ने तालियों की खूब दाद दी।
भोपाल की कवियित्री डॉ.अनु सपन ने ‘मुश्किलों से हमें जूझना आ गया, हार को भूलकर जीतना आ गया, आंधियों से लड़े तो हुआ ये असर हम को तूफंा का रूख मोडऩा आ गया लडऩा ..’, ‘मैं कुआसें में लिपटी हुई भोर हूं, कोई सूरज मिले मैं भी खिल जाऊंगी, हूं नदी भावना की उमड़ती हुई, एक दिन अपने सागर से मिल जाऊंगी, प्यार मैने किया, पूरे मन से किया, फिक्र मुझको नहीं जीत की हार की..’ रचनाओं पर दर्शकों ने खूब अभिवादन किया।
मुंबई के शायर सुरेन्द्र चतुर्वेदी ने कहा ‘जिसको छूं लू वह मेरा हो जाता है, मुझको भी ऐसा जादू आता है,मितनी ही दरगाहें सजदे करती है,तब जा कर रूहानी मौसम आता है,..’ सहित बदनावर के हास्य, व्यंग्य की कविताओं ने सामाजिक व्यंग्य किया व तालियां बटोरी।
इससे पूर्व मुख्य अतिथि आयकर आयुक्त गुर्जर, विशिष्ठ अतिथि लायन्स डिस्ट्रिक्ट 323 ई-2 के उप प्रांतपाल द्वितीय अरविन्द चतुर, पेसिफिक इन्स्टीट्यट के आशीष अग्रवाल, लायन्स क्लब लेकसिटी के अध्यक्ष आरके चतुर, सचिव एके जैन, कार्यक्रम संयोजक वीसी व्यास, राजीव मेहता, प्रमोद चौधरी, लायनेस क्लब अध्यक्ष, लायनेस क्लब सचिव ने मां सरस्वती के चित्र के समक्ष दीप प्रज्जवलन किया। क्लब पदाधिकारियों ने कवियों का अपरना ओढ़ाकर अभिनंदन किया।