दक्षिण एशियाई देशों के विश्वविद्यालयों का फेस्टिवल शुरु
उदयपुर। मोहन लाल सुखाडिया विश्वविद्यालय की मेजबानी और पेसिफिक यूनिवर्सिटी के द्वारा प्रायोजित दक्षिण एशिया के देशों के विश्वविद्यालयों का फेस्टिवल शनिवार को पूरी भव्यता के साथ शुरु हुआ। उद्घाटन समारोह के बाद दोपहर के सत्र में गीत संगीत की प्रस्तुतियों पर प्रतिभागी झूम उठे।
फतहसागर के पाल पर सुबह 9 बजे सभी देशों के छात्र प्रतिनिधियों की एक रैली उनके ध्वजों के साथ बग्गियों में निकली। रैली को उच्च शिक्षा मन्त्री कालीचरण सर्राफ, संभागीय आयुक्त भवानी सिंह देथा, सुविवि के कुलपति प्रो आईवी त्रिवेदी, पेसिफिक यूनिवर्सिटी के सचिव राहुल अग्रवाल, पेसिफिक यूनिवर्सिटी के प्रेसिडेन्ट प्रो बीपी शर्मा, रजिस्ट्र्रार शरद कोठारी, राजीव गांधी जनजाति विवि के कुलपति डा टीसी डामोर, महाराणा प्रताप कृषि विवि के कुलपति प्रो ओपी गिल, नगर निगम के महापौर चन्द्र सिंह कोठारी ने हरी झंडी दिखा कर रवाना किया। सारी बग्गियां फेस्टिवल के थीम सांग की गूंज के साथ फतहसागर से शुरु हुई।
रैली में विद्यार्थियों का उत्साह देखते ही बन रहा था। अपने अपने देशों के पारम्परिक परिधानों में छात्र छात्राएं गीत गाते, ढोल नगाड़े बजाते और नृत्य करते चल रहे थे। रैली फतहसागर की पाल पर होते हुए शहर के मुख्य मार्गों से होते हुए सुखाडिय़ा विश्वविद्यालय के विवेकानन्द आडिटोरियम पहुंची।
आडिटोरियम में पुष्प वर्षा के साथ सभी देशों की टीमों का भव्य स्वागत किया गया। यहां फस्टिवल की विधिवत शुरुआत की घोषणा उच्च शिक्षा मन्त्री कालीचरण सर्राफ ने की। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि दक्षिण एशिया के देशों की सांस्कृतिक परम्पराएं अलग अग जरुर है लेकिन इन सबक उद्भव भारत में ही हुआ है। उन्होंने कहा कि सभी देशों को उपनीवेशिकरण से बाहर आकर अपनी सांस्कृतिक विरासत और इसकी जड़ों को मजबूत करना होगा। उन्होंने राजस्थान की समृद्ध ऐतिहासिक विरासत का जिक्र करते हुए कहा कि राजस्थान का इतिहास इसकी अलग और अनूठी पहचान है। इस अवसर पर अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के राष्ट्र्रीय संगठन मन्त्री सुनील आम्बेकर ने कहा कि यह आयोजन एक सांस्कृतिक अनुष्ठान है। उन्होंने कहा कि सभी देशों के शिक्षाविद् सांस्कृतिक सहभागिता के साथ ही साथ शिक्षा के क्षेत्र में आ रही चुनौतियों पर भी विचार विमर्श करें और उसका कोई सामूहिक हल भी सोचे। पेसिफिक यूनिवर्सिटी के प्रेसिडेन्ट प्रो बीपी शर्मा ने कहा कि दक्षिण एशियाई देश सामाजिक, आर्थिक एवं अन्य समस्याओं के निराकरण की दिशा में भी एक समन्वित प्रयास करे साथ ही नई तकनीकी का भी इसके लिए इस्तेमाल करे तो कार्य प्रभावी तरीके से हो सकता है। नगर निगम के महापौर चन्द्रसिंह कोठारी ने कहा कि विद्यार्थियों के लिए सपने देखने का समय है। सपने दिन में देखे, खुली आंखों से देखें क्योंकि रात को नींद में देखे जाने वाले सपने कभी पूरे नहीं होते। सांसद अर्जुन मीणा, चित्तौडग़ढ़ विधायक चन्द्रभानसिंह आक्या, छात्रसंघ अध्यक्ष हिमांशु चौधरी तथा एसोसिएशन आफ इंडियन यूनिवर्सिटीज के संयुक्त सचिव सेमसन डेविड ने भी विचार व्यक्त किए। सुखाडिया विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो आईवी त्रिवेदी ने सभी अतिथियों का स्वागत किया। सभी अतिथियों ने फेस्टिवल की स्मारिका का भी विमोचन किया। छात्र कल्याण अधिष्ठाता प्रो डीएस चुंडावत ने धन्यवाद दिया जबकि संचालन अनुया वर्मा ने किया।
दोपहर बाद गीत संगीत का दौर चला। सुखाडिया विवि की छात्राओं ने पधारो म्हारो देस गीत की शानदार प्रस्तुति के साथ संगीत कार्यक्रम की शुरुआत की। इसके बाद श्रीलंका के विद्यार्थियों ने अपनी पारम्परिक वेशभूषा में वहां का लोकनृत्य पेश कर समां बांध दिया। इसके बाद अमृतसर की गुरुनानक देव यूनिवर्सिटी के विद्यार्थियों ने फ्यूजन नृत्य से पंजाबी और पोप का मिश्रित गीत पेश कर माहौल को संगीत मय बना दिया। भूटान की रायल यूनिवर्सिटी के विद्यार्थियों ने भी उनका लोकनृत्य प्रस्तुत किया जिस पर सभी प्रतिभागी झूम उठे। इस के बाद बनस्थली विद्यापीठ की छात्राओं ने घूमर के साथ ही विभिन्न राजस्थानी लोकगीतों की मिली जुली प्रस्तुति से माहौल का राजस्थानी के पारम्परिक संगीत में रंग दिया। बांगलादेश की बीआरएई यूनिवर्सिटी की टीम ने अपनी दो शानदार प्रस्तुतियों से समां बांध दिया। संत बाबा विवि, एमडीएस यूनिवर्सिटी रोहतक ने नगाड़ा तथा पेसिफिक यूनिवर्सिटी की टीम ने निम्बुडा निम्बुडा गीत पर संगीतमय प्रस्तुति से प्रतिभागियों को झूमने पर मजबूर कर दिया।