श्री महावीर युवा मंच संस्थान का वंशिका जननी अलंकरण समारोह
उदयपुर। जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी मंत्री किरण माहेश्वरी ने कहा कि आज हम शहरों में अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मना रहे हैं और नारी को सर्वोच्च दर्जा दे रहे हैं लेकिन हमें गांवों की महिलाओं की स्थिति को भी उपर लाना होगा, तभी हम सचमुच में महिलाओं को मान्यता दे पाएंगे।
वे रविवार को साउथ एशिया यूनिवर्सिटीज के यूथ फेस्टिवल के तहत सुखाडिय़ा विश्वविद्यालय और श्री महावीर युवा मंच संस्थान के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित वंशिका जननी अलंकरण समारोह को मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित कर रही थीं। समारोह में अपनी कुक्षी से सिर्फ बेटियों को जन्म देने वाली 568 महिलाओं का उपरणा ओढ़ा स्मृति चिह्न भेंटकर सम्मानित किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता सुविवि के कुलपति प्रो. आईवी त्रिवेदी ने की।
माहेश्वरी ने कहा कि हम यहां पर महिला दिवस मनाकर ही अपने कर्तव्य की इतिश्री नहीं करें बल्कि गांवों की ओर भी ध्यान दें। उन्हें भी आश्वस्त करें कि आप तो सिर्फ अपनी बेटियों को पढ़ाएं। उसकी शादी का जिम्मा हम पर छोड़ दें। बेटी और बेटा बराबर नहीं बल्कि बेटी विशेष है। बेटी को वह विशेष अधिकार देना होगा। उसके लिए वह विशेष वातावरण तैयार करने की जरूरत है। अफसोस की बात है कि आज भी गांवों में माता-पिता की प्राथमिकता बेटी को पढ़ाना नहीं बल्कि उसकी शादी करना होता है। उन्होंने एक स्मरण सुनाते हुए कहा कि कानपुर गई थीं तो वहां एक वृद्धाश्रम के बारे में सुना था कि बहुत अच्छी व्यवस्थाएं हैं। वहां जाकर सभी से मिली-जुली और बातचीत की तो सभी ने व्यवस्थाओं पर संतोष जताया लेकिन पूछने पर उन सभी का यही कहना था कि हममें से किसी के भी बेटी नहीं है। शायद बेटी होती तो संभवत: हम यहां नहीं होते। उन्होंने श्री महावीर युवा मंच संस्थान से आग्रह किया कि जिस तरह प्रतिवर्ष जैन समाज का सामूहिक विवाह समारोह होता है, ठीक उसी तरह वर्ष में एक बार सर्व समाज का सामूहिक विवाह कराने पर भी विचार करें ताकि ऐसे पिछड़े लोग आगे आ सकें तभी हम उन्नति की ओर सचमुच प्रगति कर पाएंगे। एक सफल पुरुष के पीछे एक महिला का हाथ होता है लेकिन एक सफल महिला के साथ भी पुरुष खड़ा होता है, यह कभी नहीं भूलना चाहिए। दोनों हाथ पकडक़र चलेंगे तभी सफलता मिलेगी। प्रतिद्वंद्विता घर में नहीं करें अन्यथा झगड़ों का रूप धारण कर लेगी।
मुख्य वक्ता के रूप में विश्वप्रसिद्ध आत्मकथा लेखक दुबई प्रवासी लाजवंती गुप्ता ने विशुद्ध मेवाड़ी शब्दों का उपयोग करते हुए कहा कि यहां आने पर घणो चोखो लाग्यो है। उनके माता-पिता भले ही बंगाल के हों लेकिन राजस्थान उनके कण-कण में बसता था। मां-बाबा दोनों संगीतज्ञ थे। संगीत ज्ञान के बूते ही मां-बाबा विश्वविख्यात हुए और वह संगीत राजस्थान से ही आया। हम जिस संस्कृति को मानते हैं उसमें स्वाभिमान अग्रणी है। संस्कृति भी नारी की तरह ही जननी है। दुबई में यहां से कई महिलाएं आती हैं रोजगार पाने, अपने परिवार का पालन-पोषण करने, बच्चों, भाई-बहनों को शिक्षा देने। 21 वर्ष की उम्र में आती हैं और 50 की उम्र तक वापस लौट जाती हैं तब तक उनका स्थान उनकी भानजी ले लेती हैं अपने परिवार का पालन-पोषण करने की जिम्मेदारी ले लेती हैं। मेरी खुद की तीन बेटियां हुई जब कन्या भ्रूण हत्या का जोर चरम पर था लेकिन मैंने तीनों बेटियों को न सिर्फ अच्छे तरीके से पाला-पोसा और आज तीनों वेल सेटल्ड हैं।
विषिष्ट अतिथि महापौर चंद्रसिंह कोठारी ने कहा कि नारी की महत्ता वैदिक काल से दी गई है। मेवाड़ तो इस मामले में आरंभ से ही भक्ति-षक्ति का प्रतीक रहा है। चाहे वह मीरां बाई हो या पन्नाधाय, रानी कर्मवती हो या पन्नाधाय। महिला अब अबला नहीं रही, वह सबला है। उन्होंने कहा कि हमें ऐतिहासिक पात्रों का स्मरण करते रहना चाहिए ताकि उनसे प्रेरणा मिलती रहे। आज पुलिस, मिलिट्री में भी महिलाओं की बटालियन, टुकडिय़ां हैं। फिर किस तरह महिलाएं पीछे हैं। इसके साथ ही महिलाओं से एक आग्रह है कि वे पाष्चात्य का अंधानुकरण न करें अन्यथा इसके दुष्परिणाम इतने भयंकर होंगे कि हम कल्पना भी नहीं कर पाएंगे।
इससे पूर्व महावीर युवा मंच संस्थान के मुख्य संरक्षक राजकुमार फत्तावत ने कहा कि संस्थान द्वारा आगामी वर्ष प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के अभियान के तहत बेटी बचाओ जागरण अभियान के रूप में मनाया जाएगा। महिला प्रकोष्ठ की अध्यक्ष विजयलक्ष्मी गलुण्डिया ने कहा कि 9 मार्च 2014 से 8 मार्च 2015 तक का वर्ष मंच ने महिला सषक्तीकरण के रूप में मनाया जिसके तहत वर्ष भर विविध कार्यक्रमों का आयोजन किया गया और समापन आज महिला अधिवेशन के साथ हो रहा है। इससे पूर्व आरंभ में अतिथियों ने दीप प्रज्वलन कर कार्यक्रम का आरंभ किया। इससे पूर्व संस्थान की महिला प्रकोष्ठ की कार्यकर्ताओं ने कोमल है कमजोर नहीं तू… सुंदर गीत प्रस्तुत किया। संचालन सरिता जैन ने किया। आभार आशा कोठारी ने जताया।