’अस्तित्व’ के 2 सशक्त मंचन
उदयपुर। लड़कियों को सिर्फ इसलिए रोकना कि वो एक लड़की है, 10 मिनट देर हो जाए तो सवालों की बारिश, फोन की ऐसे तलाशी जैसे अंतरराष्ट्रीय आतंकवादियों के सम्पर्क में हो जैसे मार्मिक और कटु संवादों के साथ नाट्यांश सोसायटी ऑफ ड्रामेटिक एण्ड परफोर्मिंग आर्ट्स द्वारा अर्न्तराष्ट्रीय महिला दिवस पर आज नाट्य प्रस्तुतियां दी गईं।
महिला सशक्तिकरण आधारित एकल नाटक ’अस्तित्व’ का मंचन किया गया। नाटक की दो प्रस्तुतियों में प्रथम प्रस्तुति शिक्षांतर पर और दूसरी प्रस्तुति नारायण सेवा संस्था न में की गई। नाटक महिलाओं के जीवन संघर्ष पर आधारित है। एक एसा संघर्ष जो उनके जन्म से पहले से ही शुरू हो जाता है और फिर जीवन भर चलता है। लड़कियाँ अपनी मां की कोख से ही अपने अस्तित्व, अपने वजूद को बचाने की लड़ाई, लड़ना सीख जाती है।
नाटक देश में व्याप्त कन्याभ्रूण हत्या, लिंग भेद, कार्यालय और रास्तों में होने वाला दुर्व्यवहार, घरेलू हिंसा और दहेज प्रथा जैसी कई कुरितियों के खिलाफ आवाज उठाता हैं। साथ ही पुरूष प्रधान इस समाज में महिला के साथ होने वाला दोहरे व्यवहार और दोहरी मानसिकता पर भी सवाल खडा करता है। इस एकल नाट्य प्रस्तुति में नाट्यांश की कलाकार रेखा सिसोदिया ने अपने जीवन्त अभिनय से दर्शकों को बान्धे रखा। एक घण्टे की इस प्रस्तुति में रेखा ने 13 किरदार अकेले ही निभाए।
संयोजक आयुष माहेश्वरी और मों. रिजवान मंसुरी ने बताया कि इस कार्यक्रम का मंच संचालन अरूण जैन ने किया तथा नाट्य प्रस्तुति मे शिक्षांतर के संचालक मनिश जैन और विधी जैन और नारायण सेवा सस्ंथान के संचालक प्रशांत अग्रवाल जी का विशेष योगदान रहा है। नाटक का लेखन, परिकल्पना एवं निर्देशन युवा रंगनिर्देशक अमित श्रीमाली ने किया।