उदयपुर। किसी भी व्यक्ति को कैंसर से हताश होने की जरूरत नही है, यदि मरीज और उसके परिजन थोडी सी हिम्मत से काम लें, तो कैंसर जैसी जटिल बीमारी को भी मात दी जा सकती है। कुछ ऐसा ही एक केस गीतांजली हॉस्पिटल में आया जहां ऑन्कोलॉजी विभाग के डॉ सुभ्रत दास व डॉ देवेन्द्र जैन ने कैंसर का जटिल ऑपरेशन का सफल उपचार किया।
उदयपुर निवासी 70 वर्षीय तुलसीराम भंवरानी (परिवर्तित नाम) पेट दर्द, पीलिया से परेशान थे। इसके चलते उन्होंने अहमदाबाद में जांच के बाद एंडोस्कोपी करवाई। पता चला कि उनकी भोजन नली के प्रारंभिक भाग (डीओडूनम दूसरा भाग) में कैंसर की गांठ है और ऑपरेशन में भी खतरा है। इसी दौरान वे मुंबई में भी जांच करवाने गए। आखिरकार गीतांजली हॉस्पिटल में की गई बायोप्सी, एमआरआई, सी टी स्केन के बाद पाया कि इन्हें न्यूरोएंडोक्राइन प्रकार का ट्यूमर है, जिसका साढ़े सात घंटे का व्हीपल्स ऑपरेशन कर उन्हें ठीक किया गया। ऑपरेशन के 7 दिनों तक वे स्वस्थ थे, लेकिन इसके बाद ऑपरेशन के दौरान जो रास्ते बनाए थे, उसमें लीक (अग्नाशय में रिसाव) आ गई, इसलिए मरीज का इलाज जारी रखा और 45 दिनों तक भर्ती रखा गया। इस दौरान दो बार मरीज की तबीयत ज्यादा खराब़ हो गई थी। वे येन केन प्रकारेण डॉक्ट र, मरीज और परिजनों के साथ यहां आ गए। गीतांजलि में बीमारी का उपचार किया और छुट्टी के 2 महीने बाद से तुलसीराम स्वस्थ होकर दोबारा अपनी सामान्य दिनचर्या पर लौट गए। डॉ. दास ने बताया कि यह ऑपरेशन बहुत जटिल होता है और इसके दौरान लगभग 2-5 प्रतिशत तक जान का खतरा होता है। रूग्णता संख्या में लगभग 15-20 प्रतिशत का खतरा होता है।