विश्व पुस्तक दिवस पर संगोष्ठी
उदयपुर। जनार्दनराय नागर राजस्थान विद्यापीठ विश्वविद्यालय के केन्द्रीय पुस्तकालय में गुरुवार को विश्व पुस्तक दिवस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि सहायक कुलसचिव डॉ. हेमशंकर दाधीच ने कहा कि नई शिक्षा नीति के चुनौतीपूर्ण दस्तावेज थे उनमें पुस्तकालयों को भी शिक्षा का महत्वपूर्ण अंग माना गया है।
इसके बाद पर्यावरण शिक्षा, कम्प्यूटर शिक्षा, खेल शिक्षा, स्वास्थ्य शिक्षा व सूचना तकनीकी व संचार शिक्षा तक पाठ्यक्रम आ गये लेकिन पुस्तकालय शिक्षा का कहीं भी महत्व शिक्षण संस्थाओं में होता है, यह किसी पाठ्यक्रम में देखने में नहीं आया, जबकि शिक्षण संस्थाओं को खोलने हेतु सबसे पहले पुस्तकालय का उल्लेख होता है। अध्यक्षता करते हुए कम्प्यूटर एण्ड आईटी विभाग के निदेशक डॉ. मनीष श्रीमाली ने बताया कि मेवाड़ में सर्वप्रथम चल पुस्तकालय की स्थापना जनू भाई ने की थी जो राजस्थान विद्यापीठ के जनपद विभाग द्वारा संचालित होता है। जनू भाई चाहते थे कि शिक्षा तथा पुस्तकों का लाभ दूरदराज गांवों तथा ढ़ाणियों के लोगों को भी मिले। विशिष्ट अतिथि डॉ. दिलीप सिंह चौहान, डॉ. प्रदीप सिंह शक्तावत, भवानीपाल सिंह राठौड़, घनश्याम सिंह परिहार, किशन सिंह राव आदि ने भी विचार व्यक्त किए।