उदयपुर। राजस्थान शिक्षक संघ (राष्ट्रीय) के बैनर तले सैकड़ों शिक्षकों ने विद्यालय समय बढ़ाने के विरोध में एवं अन्य ज्वलंत समस्याओं को लेकर कलेक्ट्रेट के बाहर धरना देकर नारेबाजी करते हुए प्रदर्शन किया।
प्रदेश वरिष्ठ उपाध्यक्ष अरविन्द व्यास के नेतृत्व में शिक्षा मंत्री, राज. सरकार व शासन सचिव माध्यमिक/प्रारम्भिक शिक्षा राज. सरकार के नाम जिला कलेक्टर को ज्ञापन सौपा गया। जिला संयोजक बसन्तीलाल श्रीमाली व सहसंयोजक भेरूलाल तेली ने बताया कि वर्ष 2012 में नियुक्त शिक्षको के स्थायीकरण कर नियमित वेतन देने, पुरूष व महिलाओं की वरिष्ठता सूची एक साथ करने, प्रतिबंधित जिले में कार्यरत शिक्षको को गृह जिले में लाना, उप्रावि व मावि में पातेय वेतन पर कार्य कर रहे प्रधानाध्यापकों को पदावनत न कर उनकी डीपीसी कर चयन करने, नये सत्र से विद्यालयों में समय की बढ़ोतरी वापस लेने व वाणिज्य, कला शिक्षा, गृह विज्ञान, कृषि व शारीरिक शिक्षको की डीपीसी करवाने आदि ज्वलंत समस्याओं के बारे में धरना स्थल पर चर्चा की गई। अरविन्द व्यास ने बताया कि शिक्षा विभाग सरकारी स्कूलों को सीबीएसई की तर्ज पर लाना चाहता है जबकि सरकारी स्कूलो में न तो सीबीएसई स्कूलो जैसी सुविधाएं है न ही संसाधन। पूर्व जिला उपाध्यक्ष वगतलाल शर्मा ने कहा कि एक पारी विद्यालय का समय बढाने व दो पारी विद्यालय का समय यथावत रखने से प्रदेश मे दो तरह के स्कूल हो जाएंगे। एक स्कूल सिर्फ साढे पांच घण्टे चलेगा दूसरा साढे छः घण्टे तक चलेगा। ऐसे में शिक्षक और वि़द्यार्थी के बीच पढने पढाने मे भेदभाव हो जायेगा।
अध्यक्षता करते हुए पुरूषोत्तम दवे ने कहा कि बडी संख्या में सरकारी स्कूल एक व दो शिक्षको के भरोसे चल रहे है। कई विद्यालयो में बिजली, पानी, भवन, शौचालय आदि मूलभूत सुविधाएं भी नही है। समय बढाने से ही शिक्षा मे गुणवत्ता आयेगी ये सरकार की संकीर्ण मानसिकता है। पूर्व जिला मंत्री चन्द्रप्रकाश मेहता ने मांग की है कि शिक्षा में राजनैतिक दखल बन्द कर शिक्षा अधिकारियो को स्थानान्तरण व पदस्थापन हेतु स्वतंत्र कर देना चाहिए। सबसे पहले उपनिदेशक, जिला शिक्षा अधिकारी, अवर उपजिला शिक्षा अधिकारी, प्रधानाध्यापक, व्याख्याता व शिक्षको के खाली पद भरे जाये। शिक्षा में गुणवत्ता लाने के लिए शिक्षा की बेहतर मानटरिंग करने के दिशा निर्देश माननीय शिक्षा मंत्री को ही देने चाहिए।