न्यूरो डवलपमेंट तकनीक द्वारा लकवे का उपचार पर राष्ट्रीय कार्यशाला
उदयपुर। लकवे के मरीज के उपचार में उसके प्रारंभिक 6 से 8 घंटे बहुत ही महत्वपूर्ण होते है। इस दौरान उसका उपचार किया जाना अतिआवश्यक हो जाता है ज्यादातर मरीज समय निकल जाने के बाद आते है और वे इस रोग से ग्रस्त हो जाते हैं।
लकवे के लक्ष्ण होने के बाद मालूम पड़ता हैं इसमें मरीज का कोई भी एक हिस्सा सुन्न हो जाता है, बोलने में दिक्कत आती है, मुंह के टेढ़ापन ये सभी लक्षण हैं जिससे पता लगाया जा सकता है। समय के निकल जाने से मस्तिष्क की कोशिकाएं ज्यादा नष्ट हो जाती है जिससे उसके बचने की संभावनाएं कम होती हैं। यह कहना था एम्स नई दिल्ली के फिजियोथेरेपी विभाग के विभागध्यक्ष डॉ. हरप्रीतसिंह सचदेवा का।
अवसर था जनार्दनराय नागर राजस्थान विद्यापीठ विश्वविद्यालय के संघटक फिजियोथेरेपी चिकित्सा महाविद्यालय की ओर से ‘‘न्यूरो डवलपमेंट तकनीक द्वारा लकवे के मरिजों में उपचार विषयक’’ पर दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला के उद्घाटन का। प्राचार्य डॉ. शैलेन्द्र मेहता ने बताया कि समारोह के मुख्य अतिथि महापौर चन्द्र सिंह कोठारी ने कहा कि समाज में डाक्टर को भगवान का दर्जा दिया गया है। उन्होने कहा कि आज के इस भागमभाग के युग में फिजियोथेरेपी का महत्व दिनो दिन बढता ही जा रहा हैं। फिजियोथेरेपी में बिना दवा के ईलाज किया जाता है इनके प्रचार प्रसार की आवश्यकता है साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों में इसके विस्तार की संभावना काफी है तथा ग्रामीण अंचलों में रह रहे ग्रामीणों को इसका लाभ मिलना चाहिए। ग्रामीण क्षेत्रों में इसकी शाखा खोले जाने की आवश्यकता है। अध्यक्षता करते हुए कुलपति प्रो. एस.एस. सारंगदेवोत ने कहा कि गांवों में फिजियोथेरेपी की स्थापना से नये आयाम स्थापित होंगे तथा विद्यापीठ के ग्रामीण क्षेत्रों में संचालित सामुदायिक केन्द्रों पर फिजियोथेरेपी चिकित्सालय कार्य कर रहे है जिसका ग्रामीणजन लाभ उठा रहे है। उन्होने कहा कि ग्रामीण में इस चिकित्सा के जनजागरण के लिए कुछ विशेष महामारियों जैसे लकवा, डायबिटीज, कमर दर्द, घुटने व कुलहे का दर्द इत्यादि पर लघु पुस्तिकाओं का प्रकाशन किया जायेगा जिसे ग्रामीण क्षेत्रों में वितरित की जायेगी जिससे आम जन में होने वाली बिमारियॉ, उसके लक्ष्ण एवं तुरंत घरेलु उपचार की जानकारी इसमें दी जायेगी। जिससे इस रोग से ग्रसित व्यक्ति को बचाया जा सके तथा बीमारी के रेाकथाम, लक्षण व प्राथमिक उपचार की जानकारी रोगी को हो सके। विशिष्ठ अतिथि अमेरिकन हॉस्पीटल के डॉ. अतुलाब वाजपेयी, गीतांजली कॉलेज के प्राचार्य डॉ. पल्लव भटनागर, डॉ. अनिल गुप्ता, डॉ. देवेन्द्र सिंह राव ने भी अपने विचार व्यक्त किये। सेमीनार का संचालन डॉ. विनता बाघेला एवं डॉ. युतिका राव ने किया जबकि धन्यवाद डॉ. एस.बी. नागर ने दिया। डॉ. मेहता ने अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि इस दो दिवसीय सेमीनार में न्यूरो डवलपमेंट तकनीक द्वारा लकवे के मरिजों में उपचार विषय पर कार्य शाला में मंथन हुआ। सेमीनार के पहले दिन 65 प्रतिभागियों ने अपने पत्रों का वाचन किया।
यहां से आये प्रतिभागी : आयोजन सचिव डॉ. शेलेन्द्र मेहता ने बताया कि इस दो दिवसीय कार्यशाला में दिल्ली, महाराष्ट्र, हरियाणा, पंजाब, गोवा, मध्यप्रदेश सहित देश के विभिन्न राज्यों से 150 से अधिक प्रतिभागियों ने भाग लिया। सेमीनार में विभिन्न प्रकार के लकवे एवं बच्चों में जन्म से होने वाली विकृतियों पर मंथन किया गया।