उदयपुर। शोध का उद्देश्य केवल बौद्धिक व्यायाम से जुड़ा नहीं बल्कि इसका लक्ष्यों व समाज के विकास के साथ भी गहरा संबंध दिखाई देना चाहिए। शोध के क्षेत्र में तकनीकी व उपकरणों के प्रयोग में व्यापक बदलाव आ चुका है। गणनात्मक के साथ गुणात्मक विकास लाने की जरूरत है।
ये विचार विद्या भवन सोसायटी के अध्यक्ष रियाज़ तहसीन ने विद्या भवन गो.से. शिक्षक महाविद्यालय में रिसर्च पर आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला में प्रस्तुत किए। शिक्षाविद् प्रो. ए.बी. फाटक ने कहा कि शोध की समझ के साथ कुछ पूर्व आवयकताएँ भी जुड़ी हुई है जिसकी समझ के अभाव में शोध को भी नहीं समझा जा सकता है। आज के समय जिस प्रकार के शोध हो रहे है उसमें कई बार शोधार्थी अपने विषय और समस्या को जानता और समझता ही नहीं है। शोध गहराई से जुड़ाव है। शोध की मूल अवधारणाओं पर पकड़ ही शोध का मजबूत आधार बना सकती है। इस दौरान महाविद्यालय की निदेशक प्रो. दिव्य प्रभा नागर ने बताया कि शिक्षा व शोध का गहरा संबंध है और विद्या भवन लगातार अपने नवाचारों द्वारा इस संबंध को और मजबूत बनाने का प्रयास करता रहा है और इसीलिए राष्ट्रीय स्तर पर बनने वाले पाठ्यक्रमों में विद्या भवन की छवि और योगदान दिखायी देता है।
प्रो. एमपी शर्मा ने बताया कि आज के समय शोध का क्षेत्र व्यक्ति से वैश्विक हो चुका है अतः इसी के आधार पर शोध में बदलाव किया जाना चाहिए, जो कि हमारे अस्तित्व के लिए भी जरूरी है। सीटीई प्रभारी प्रो. सुषमा तलेसरा ने इस दो दिवसीय कार्यशाला का कार्यक्रम प्रस्तुत किया। कार्यशाला में राजस्थान के विभिन्न जिलों के शिक्षक शिक्षा महाविद्यालय के 65 प्रतिभागी भाग ले रहे हैं। कार्यशाला के दूसरे दिन गुजरात से प्रो. आशुतोष बिसवाल तथा प्रो. पल्लवी पटेल कार्यशाला के संदर्भ व्यक्तित्व के रूप में प्रतिभागियों से बातचीत करेंगे। संचालन डॉ. फरजाना इरफान ने किया।