’मेटल चिप’ लगने के बाद दामिनी अपने एनक्लॉजर में शिफ्ट
उदयपुर। बायोलोजिकल पार्क में बाघ टी-24 ’उस्ताद’ और बाघिन ’दामिनी’ की दूरियां घटा दी गई है। शनिवार को दामिनी को ’मेटल चिप’ लोहे की चद्दर लगने के बाद उसके निचले तल पर स्थित एनक्लॉजर में शिफ्ट कर दिया गया। दूरियां कम होने के साथ अब वे एक-दूसरे की दहाड़ सुन सकेंगे।
मुख्य वन संरक्षक राहुल भटनागर ने बताया कि बाघ टी-२४ उस्ताद के उदयपुर बॉयोलोजिकल पार्क में शिफ्टिंग के लिए जहां टाइगर ’उस्ताद’ का एनक्लॉजर बनाया गया था उसके नीचले तल पर ही बाघिन ’दामिनी’ का एनक्लॉजर भी मौजूद था। बाघ टी-24 कहीं बाघिन ’दामिनी’ को देखकर क्रोधित ना हो जाए इसके लिए दामिनी को उसके एनक्लॉजर से दूर छोड़ दिया गया था जहां पिछले दो दिनों से बॉयोलोजिकल पार्क में ’फिरोमन’ (सूंघने की क्षमता) से ’उस्ताद’ अपने जैसे वन्य प्राणी के इस अभ्यारण्य में होने का आभास हो रहा था साथ ही दामिनी की दहाड़ भी उस तक पहुंच रही थी। दोनों ही एनक्लॉजर के बीच धातु की चादर का कार्य पूरा होने के बाद अब ’उस्ताद’ के पास ही स्थित एनक्लॉजर में ’दामिनी’ को शिफ्ट कर दिया गया है।
उदयपुर के डॉ. हिमांशु व्यास के साथ जोधपुर से आए चिकित्सक डॉ. श्रवण सिंह राठौड़ 28 मई तक उदयपुर में ही रहेंगे। दोनों चिकित्सक उसकी लगातार देखरेख कर रहे है। चिकित्सकों के अनुसार दोनों एनक्लॉजर के बीच लोहे की चादर लगने से दोनों एक दूसरे की दहाड़ को सुन पाएंगे परंतु वे ’मेटल चिप’ के लगे होने से एक-दूसरे को हर्ट नहीं होंगे। इसके साथ ही ’उस्ताद’ का खाना-पीना एवं दैनिक दिनचर्या भी नियमित है।