उदयपुर। जनार्दन राय नागर राजस्थान विद्यापीठ विश्व विद्यालय के माणिक्य लाल वर्मा श्रमजीवी महाविद्यालय के हिन्दी विभाग द्वारा “कबीर जयंती पर आयोजित संगोष्ठी के मुख्य अतिथि रजिस्ट्रार प्रो. सीपी अग्रवाल ने कबीर को आज के सन्दर्भ में एक जन-प्रांसगिक कवि बताते हुए कहा कि कबीर ने अपने समय की सच्चाइयों को जनता के सामने रखा। उन्होंने निर्गुण पंरपरा को सच्चे अर्थों में मनुष्यों तक पहुँचाने में अपनी भूमिका निभाई।
हिन्दी-विभागाध्यक्ष प्रो. मलय पानेरी ने कहा कि कबीर को अपने जन्म से ही समाज का तिरस्कार का सामना करना पडा था। अतः आगे चलकर कबीर एक प्रकार से विद्रोह के रचनाकार होकर भी समाज की नयी मान्यताओं को प्रतिस्थापित करने में समर्थ हो सके। वास्तव में कबीर का समय हर प्रकार से विडम्बनाओं का समय था, उसमें विद्रोही होना एक संगति ही कही जायेगी। डॉ. सुषमा इंटोदिया ने कबीर के समय सापेक्ष रचनाकार के महत्व को बताया। कबीर एक एकेश्वोरवाद तथा उलट बांसियो को विशेष संदर्भित किया। संचालन डॉ. रमेश शर्मा ने किया। इस अवसर पर डॉ. ममता पानेरी, बीएल सोनी, डॉ. निर्मला पुरोहित, डॉ. महजबीन, राजकुमार चौधरी, मयंक भटनागर व ओम पारीक ने कबीर साहित्य पर सार्थक चर्चा की। धन्यवाद डॉ. कुसुमलता टेलर ने दिया।