आवासीय बाल संस्कार निर्माण शिविर का समापन
उदयपुर। महापौर चन्द्रसिंह कोठारी ने कहा कि आज के युग में लोगों का मिलना-जुलना कम हो गया है। पारिवारिक रिष्तों की दूरियों को पाटने के तरीके सिखाने का काम ऐसे आवासीय शिविर करते हैं। आज के इस युग में आवासीय विशेषकर संस्कार शिविर आवश्यक है।
वे शुक्रवार को श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथी सभा की ओर से महाप्रज्ञ विहार में पहली बार आयोजित दो दिवसीय बाल संस्कार निर्माण शिविर के समापन समारोह को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि आज बच्चे मोबाइल और कम्प्यूटर तक सीमित होकर रह गए हैं। उनके लिए आउटडोर गेम्स काफी आवश्यक हैं जिनकी पूर्ति ऐसे शिविरों में हो रही है। साथ ही समूह में रहना, समूह में रहकर कैसे काम करना, त्याग करना, कम्प्रोमाइज करना आदि शिविरों से ही सीखा जाता है। उन्होंने बच्चों को सीख देते हुए कहा कि स्पर्धाओं में भाग लेकर पुरस्कार जीतना नहीं बल्कि चुना जाना महत्वपूर्ण है। सभी के बीच में बुलाकर आगे मंच पर सम्मानित करना ही सबसे बड़ा पुरस्कार है। बच्चों ने दो दिन यहां बिताए, ये बहुत बड़ी बात है।
शासन श्री मुनि राकेश कुमार ने कहा कि जिस लक्ष्य के साथ शिविर लगाया गया था, वह पूर्ण हुआ है। बच्चों ने शिविर का पूर्ण लाभ उठाया। शिविर में दोनों तरह का भोजन मिला। पेट की पूर्ति के लिए आयोजकों ने भोजन उपलब्ध कराया वहीं बच्चों की मानसिक वृद्धि के लिए संतों सहित विशेषज्ञों ने अपना ज्ञान बांटा। घर से बाहर हंसी खुशी रहना बहुत बड़ी बात है।
मुनि सुधाकर ने कहा कि अनुशासित जीवन जीना बड़ी बात है। व्यवहार, संस्कार बच्चों में मौजूद है लेकिन जरूरत है जो उसे जागरूक करने की। ज्ञानशाला की प्रशिक्षिकाओं को साधुवाद कि उन्होंने बच्चों को इस तरह तैयार किया। शिविर में भी दोनों दिन प्रशिक्षिकाओं की कर्मठता देखने को मिली कि शिविर में भी पूर्ण सहभागिता रही और बीच बीच में घर जाकर काम भी करती रहीं। जहां ऐसी महिलाएं हों वहां समाज को आगे बढऩे से कोई रोक नहीं सकता। ज्ञानशाला में जो सीखा, उसे जीवन भर याद रखें।
मुख्य अतिथि के रूप में सांसद अर्जुनलाल मीणा ने कहा कि बच्चों के लिए ऐसे शिविर जीवन में काफी सहयोगी साबित हो रहे हैं। बच्चों को भगवान का स्वरूप कहा गया है। ऐसे कार्यक्रम करते रहने वाले आयोजकों को साधुवाद। विशिष्ट अतिथि पार्षद राकेश पोरवाल, ज्ञानशाला निदेशक फतहलाल जैन, ज्ञानशाला संयोजिका सुनीता बैंगानी, सहसंयोजिका संगीता पोरवाल, शिविर संयोजक विनोद मांडोत आदि ने भी विचार व्यक्त किए।
तेरापंथी सभाध्यक्ष राजकुमार फत्तावत ने कहा कि शिविर में कुल 96 बच्चों का रजिस्ट्रेशन हुआ। बच्चों को यहां टीवी, वीडियो गेम्स, मोबाइल नहीं मिलें लेकिन दो दिन तक बच्चों ने पूरा आनंद लिया। उनके लिए विभिन्न इनडोर और आउटडोर गेम्स खेलाए गए। विशेषज्ञों के रूप में आज डॉ. संजय जैन ने पर्सनालिटी डवलपमेंट पर ज्ञानवर्धक उद्बोधन दिया। शिविर में प्रतिभागी बच्चों की प्रस्तुतियों से ज्ञानशाला की उपयोगिता सार्थक हुई। शिविर में बेस्ट शिविरार्थी के रूप में प्रियल मेहता व जय बोहरा चुने गए।
फत्तावत ने बताया कि दो दिन में हुई विभिन्न प्रतियोगिताओं के विजेताओं को पुरस्कृत किया गया। पहले गेम में गर्व कावडिय़ा, तुषार कावडिय़ा एवं सक्षम जैन, दूसरे गेम में सक्षम जैन, विदुषी धाकड़ व जया फत्तावत, तीसरे गेम में सौरव जैन, रिंकल चपलोत, निधि हिरण, क्विज में जय भिक्षु गु्रप प्रथम रहा। आषुभाषण में लविश मेहता, जया फत्तावत व प्रियल मेहता, प्रेक्षा बोहरा, अंटी रेस जूनियर में मन मोगरा, रिदम जैन, भव्या मेहता, अंटी रेस सीनियर में यश मेहता, सोनू जैन व प्रांजुल जैन, चेयर रेस जूनियर में वैश्वी पोखरना, मन मोगरा व अदिति पोरवाल व चेयर रेस सीनियर में रिंकल चपलोत, तुषार कंठालिया व खुशी कावडिय़ा, कॉर्नर गेम जूनियर में वंशिका कच्छारा, खुशी कच्छारा, रिदिमा पोरवाल व कॉर्नर गेम सीनियर में प्रांजुल जैन, हर्ष परमार व आयुषी मेहता, सौ मीटर रेस ध्रुव डांगी, रिदम जैन व यष मांडोत तथा सौ मीटर सीनियर में सौरव कच्छारा, लविश मेहता व सक्षम कच्छारा विजयी हुए। इससे पूर्व अतिथियों का मेवाड़ी पगड़ी, उपरणा, स्मृति चिन्ह और साहित्य भेंटकर सम्मान किया गया।
समारोह में दो दिन के शिविर में प्रतिभागी बच्चों में से साक्षी हिरण, दीपांशी, जय मेहता प्रेक्षा बोहरा आदि ने अपने अनुभव साझा करते हुए कहा कि शिविर में इतना मनोरंजन होगा, यह कभी नहीं सोचा था। ऐसे शिविर प्रतिवर्ष दो बार तथा अधिक समय के लिए होने चाहिए। दो दिन बिना कम्प्यूटर, टीवी व गेम्स के निकल गए कि पता ही नहीं चला। स्वयं का विकास हुआ, वह अलग। समारोह में तेरापंथी सभा के मंत्री सूर्यप्रकाश मेहता दीपक सिंघवी, विकास बोथरा आदि का विषिष्ट सहयोग रहा। आभार ज्ञानशाला की संयोजिका सुनीता बैंगानी ने जताया।