महाप्रज्ञ विहार में हुई यौगिक क्रियाएं और प्रेक्षाध्यान के प्रयोग
उदयपुर। पहले योग सिर्फ साधु संत ही करते थे लेकिन आज प्रत्येक व्यक्ति के लिए यह आवष्यक हो गया है। पहले की तरह अब जीवन श्रमषील नहीं रहा है। व्यक्ति आरामपसंद हो गया है इसलिए योग भी आवष्यक हो गया है। विष्व भर के लोग योग पर विश्वास कर रहे हैं।
ये विचार शासन श्री मुनि राकेश कुमार ने अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पर रविवार को महाप्रज्ञ विहार में श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथी सभा की ओर से आयोजित कार्यक्रम में श्रावकों को संबोधित करते हुए व्यक्त किए। इससे पूर्व आचार्य नानेष केन्द्र दातां के प्रशिक्षक सत्यनारायण शर्मा ने कार्यक्रम में मौजूद श्रावक-श्राविकाओं को यौगिक क्रियाएं एवं प्रेक्षा प्रयोग करवाए।
शासन श्री मुनि राकेश कुमार ने कहा कि किसी को बिना किसी राग-द्वेष के देखना भी योग है। बिना स्वास्थ्य को साधे योग में सफलता नहीं मिल सकती। शरीर को ह्ष्ट-पुष्ट बनाने के लिए योग नहीं करना चाहिए बल्कि चित्त शुद्धि के लिए योग करना चाहिए। आचार्य महाप्रज्ञ ने कहा था कि मैं सिर्फ चित्त शुद्धि के लिए अनुप्रेक्षा करता हूं। प्रतिक्रियामुक्त होकर जीएं, यही योग है। बाप बेटे के सामने उसकी गलती निकालता है लेकिन उसके पीछे उसकी तारीफ करता है। अगर वह उसके सामने ही तारीफ करने लग जाए उसी दिन से उसकी प्रगति रूक जाती है।
मुनि दीप कुमार ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के साथ आज फादर्स डे भी मनाया जा रहा है। योग को ही अपना पिता बना लें तो जीवन में स्वास्थ्य सम्बन्धी कभी कोई संकट नहीं आएगा। जीवन के स्वस्थ, सुंदर विश्वसनीय स्थान की सबको तलाश है। स्वस्थ मन, स्थिरता, भीतर की शांति, योग की अनुपम खोज है। आचार्य महाप्रज्ञ ने हमें प्रेक्षाध्यान के रूप में अनूठा ज्ञान दिया है जिससे जीवन सफल हो सके।
मुनि सुधाकर ने कहा कि शरीर में आलस्य के कारण आजकल व्यक्ति काम नहीं करना चाहता। योग को अपनाएं। आलस्य छोड़ें इसके लिए आवष्यक है कि अपने खानपान पर ध्यान दें। अपने मन पर वश रखें। पुराने लोग कह गए हैं कि जैसा खाए अन्न, वैसा हो मन और जैसा पीए पानी, वैसी हो वाणी। पेट हमारा मंदिर है। जिस तरह मंदिर जाते हैं ठीक उसी तरह पेट में सामग्री डालें। मन स्वस्थ है तो शरीर भी स्वस्थ होगा।
इससे पूर्व दातां स्थित आचार्य नानेश केन्द्र के प्रशिक्षक सत्यनारायण शर्मा ने श्रावक-श्राविकाओं को यौगिक क्रियाएं और प्रेक्षा प्रयोग करवाते हुए कहा कि भगवान महावीर ने जितना ध्यान किया, संभवत: उतना ध्यान किसी ने नहीं किया। योग का अर्थ मन, भावना, चित्त से जुडऩा है। सारा ध्यान कंसन्ट्रेट करना है। उन्होंने स्वास्थ्य प्रेक्षा के प्रयोग करवाए। मन को शांत और एकाग्र करने के प्रयोग करवाए। आज के युग में मानव ने भाग्य को भगवान, स्वास्थ्य को डॉक्टर तथा युग को साधु-संतों के भरोसे छोड़ दिया है। स्वयं जीना सीखें।
इससे पूर्व तेरापंथी सभाध्यक्ष राजकुमार फत्तावत ने कार्यक्रम का कुशल संचालन करते हुए कहा कि भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की पहल पर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर योग दिवस आज से मनाया जाना शुरू हुआ है। इससे पहले सिर्फ अहिंसा दिवस ही मनाया जाता था। आचार्य महाप्रज्ञ ने प्रेक्षाध्यान के प्रयोग बताए। इसके कई फायदे हैं।
फत्तावत ने बताया कि महाप्रज्ञ विहार में 28 जून को बुद्धिजीवी सम्मेलन का आयोजन किया जाएगा जिसका विषय स्वस्थ भारत, स्वच्छ भारत रखा गया है। विभिन्न विशेषज्ञ इसमें शिरकत करेंगे। साथ ही तेरापंथ युवक परिषद द्वारा बनाई गई बिजनेस डायरेक्ट्री का भी विमोचन किया जाएगा।