मानसून की दस्तक के साथ परिदे हुए सक्रिय
उदयपुर। प्रलय की निस्तब्धता से सृष्टि का अवगान फिर-फिर, नीड़ का निर्माण फिर-फिर, नेह का आह्वान फिर-फिर।’’ ख्यातनाम कवि हरिवंशराय बच्चन की इन्हीं पंक्तियों की भावनाओं के अनुरूप मानसून की दस्तक के साथ-साथ आमजन द्वारा अपने आशियानों को संवारने का सिलसिला प्रारंभ हो जाता है।
न सिर्फ मनुष्य अपितु पक्षी भी मानसून के आगमन के साथ प्रजननकाल व्यतीत करने के लिए अपने नीड़ का निर्माण आरंभ कर देते हैं। नैसर्गिक सौन्दर्य से लकदक उदयपुर शहर की आबोहवा पक्षियों को रास आ रही है और यही कारण है कि इन दिनों चारों तरफ बड़ी संख्या में भांति-भांति के आवासीय और प्रवासी परिंदों द्वारा अपने नीड़ के निर्माण के दृश्य सहज सुलभ होते हैं। पक्षीप्रेमी विनय दवे बताते हैं कि यह सुखद है कि इस बार पूर्व वर्षों की अपेक्षा ज्यादा संख्या में पक्षियों द्वारा अपने घौंसलों का निर्माण किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि लंबे समय बाद प्रवासी पक्षी इण्डियन पिट्ठा का घौंसला भी इस बार शहर के एक पार्क में देखा गया है। इसके साथ ही प्रवासी पक्षी पेरेडाईस फ्लाईकेचर पक्षी व कई स्थानीय पक्षियों के घौंसलों के निर्माण की प्रक्रिया पक्षीप्रेमियों के लिए सुकूनदायी है। शहर में इस बार सभी प्रकार के ईग्रेट्स, बया वीवर, मेक्पाई रॉबिन, वुडपैकर, ओपन बिल स्टार्क्स, रेड वेन्टेड बुलबुल, प्रिनीया, वेबलर, कॉपरस्मिथ सहित कई अन्य पक्षियों के घौंसलों का निर्माण देखा जा सकता है।
दवे बताते है कि क्षेत्र में जनमान्यता है कि सुदूर दक्षिण से आने वाला चातक पक्षी मानसून के आगमन का संदेश लाता है परंतु क्षेत्र में प्रचलित मान्यताओं के अनुसार पक्षियों द्वारा नीड़ के निर्माण को देखकर भी इस बार अच्छी बरसात की भविष्यवाणी की जा रही है।