बार बार टोकने के कारण था परेशान
उदयपुर। प्रतापनगर थानांतर्गत सुंदरवास में किरायेदार ने अपनी मकान मालकिन वृद्धा की हत्यार कर शव को कचरे के कंटेनर में फेंक दिया। पुलिस ने हत्या का पर्दाफाश कर आरोपी किरायेदार को गिरफ्तार कर लिया।
पुलिस अधीक्षक राजेन्द्र् प्रसाद गोयल ने प्रतापनगर थाने में पत्रकारों से बातचीत में बताया कि प्रार्थी रामचन्द्र पूर्बिया ने अपनी माता मोहनीबाई की गुमशुदगी की रिपोर्ट रविवार को दर्ज कराई थी। प्रथम गुमषुदगी रिपोर्ट पर शंक होने पर शनिवार को दिन में श्रीमती मोहनी बाई की हत्या का प्रदाफार्ष करते हुवे पुलिस से उसी के वहां रहने वाले किराये दार श्री रमेष गर्ग को गिरफ्तार किया । प्रार्थी ने किरायेदार रमेश ब्राह्मण का कमरा चेक किया तो दीवार व फर्श पर खून के धब्बे नजर आए। मोहल्लेवासियों ने किरायेदार रमेशचंद्र गर्ग पर हत्या् की आशंका जताई। अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक डॉ. राजेश भारद्वाज के नेतृत्व में गठित पुलिस टीम वृत्ता,धिकारी नगर पूर्व माधुरी वर्मा व प्रताप नगर थानाधिकारी मनजीत सिंह ने रात में ही किराये रहने वाले व्यक्तियों पर अनुसंधान किया। मोहनी बाई किरायेदारों का, बिजली-पानी आदि का बडा ध्यान रखती थी। अनावश्यनक पंखा नहीं चलाने, लाइट न जलाने व पानी पनघट से भर कर लाने के लिये कहती रहती थी। शनिवार दिन में मकान में कोई किरायेदार नहीं था। किरायेदार रमेश चन्द्र गर्ग कमरे में पंखा चलाकर सो रहा था कि मोहनी बाई कमरे मे जाकर पंखा बन्द कर दिया तो किरायेदार ने अकेली वृद्धा को देखकर नाराजगी जताते हुए सफेद कलर की चुन्नी से उसका गला दबा दिया। फिर मोहनी बाई के कानों में पहनी हुई गाला व ओगणीया को खींच लिए जिससे मोहनी बाई के कानों से चमड़ी जेवर के साथ आ गई। तब तक भी कोई किरायेदार व अन्य व्यक्ति नही आने के कारण अकेला होने से पैरों में से चांदी की कडिया निकालने की कोशिश की लेकिन नहीं निकलने से घर में ही पड़े चाकू व मसाले पीसने की पत्थर की लोड़ी से दोनों पैर काट कर चांदी की कडि़यां निकाल ली।
रात में करीब 12-12.30 बजे प्लास्टिक के सफेद कट्टे में मोहनी बाई की लाश भरी व गठरी बांध कंधे पर उठाकर कमरे से ले जाकर कचरा पात्र में डाल दिया। कचरा पात्र नगर निगम द्वारा बलीचा में आईआईएम के पास जोगी तालाब के पास खाली किया। जहां से मृतका मोहनी बाई की लाश गठरी में बंधी मिली।
ठोस गवाह चेतन ने दिखाई राह
जिस समय रमेश मोहनी बाई का गला दबा रहा था, उस समय किरायेदार किशन लाल का रिश्तेगदार चेतन आ गया था जिसने अधखुले दरवाजे में देखा तो मोहनी बाई कह रही थी कि मुझे मत मार, लेकिन रमेश लगातार गला दबाता रहा। चेतन ने आंखों देखी घटना देखने के बाद अपने रिश्ते दारों व दोस्तों को शेयर की। रात को रमेश प्लास्टिक का कट्टा ले जा रहा था तो चेतन खिड़की से देख रहा था। घटना से चेतन पूरी रात नहीं सोया। जब वह जेवर कपड़े की थैली में ले जा रहा था तो चेतन ने अपने दोस्त को फोन कर उक्त बात बताई तथा मोटरसाइकिल लेकर बुला लिया। दोनों ने रमेश के बस में बैठने के बाद प्रतापनगर चौराहे तक पीछा किया। चेतन की इस बात से पुलिस को अनुसंधान में व मृतका की बॉडी बरामद करने में तथा घटना का पर्दाफाश करने में योगदान रहा।
रमेश ने गहन पूछताछ में काफी गुमराह किया तथा चश्म दीद गवाह चेतन के बताये प्रत्येक साक्ष्य को अन्त तक नकारता रहा। पूछताछ में वह खुद की बातों में ही उलझ गया और कबूल कर लिया। रमेश पुत्र रामस्वरूप शार्प सिक्योखरिटी में सिक्योरिटी गार्ड था। वर्ष 1987 से 2005 के बीच मे रोडवेज में स्थायी कण्डक्टर की नौकरी की थी जिसमें रिमार्क लगने से सस्पेण्ड रहा। 23 जुन को शार्प सिक्यो रिटी की नौकरी भी छोड़ दी थी। घटना का खुलासा करने में थानाधिकारी मनजीत सिंह, एएसआई लालसिंह, हेड कांस्टेाबल मुकेश कुमार, जगदीश चन्द्र, पर्वत सिंह, कांस्टेपबल विक्रम सिंह, उम्मेद सिंह, महिपाल सिह तथा प्रमोद का विशेष सहयोग रहा।