एसीबी को दो सडक़ों में ही दिखा घोटाला, लम्बाई में भी गड़बड़
उदयपुर। प्रधानमंत्री ग्राम सडक़ योजना में बनी सडक़ निर्माण में मिली अनियमितताओं की शिकायत पर मात्र दो सडक़ों की जांच करने के लिए गए भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो की स्पेशल यूनिट उस समय हैरान रह गई जब उन्हें पता चला कि सार्वजनिक निर्माण विभाग के अधिकारियों ने मिलीभगत कर कहीं ओर के लिए स्वीकृत सडक़ का निर्माण ऐसी जगह करवा दिया जहां पर पहले ही सडक़ बनी थी।
ब्यूरो की स्पेशल यूनिट के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक उमेश ओझा ने बताया कि कुछ दिनों पूर्व गोगुन्दा में प्रधानमंत्री ग्राम सडक़ योजना में बनी सडक़ों में अनियमितताओं की शिकायत मिली थी। इस शिकायत पर एएसपी ओझा के नेतृत्व में पुलिस निरीक्षक हनुवंतसिंह राजपुरोहित, कांस्टेबल नारायणसिंह, भगवतसिंह, अशोक, धर्मेन्द्र की एक टीम ने मौके पर जांच की। विभाग के अधिकारियों ने श्रीमालियों की मादड़ी से मन्नाजी का गुड़ा और मोड़ा से घाटा की भागल दो सडक़ों की जांच की। जहां देखते ही स्पष्ट हो गया कि सडक़ निर्माण में घटिया सामग्री का इस्तेामाल किया गया है। इसके साथ ही सडक़ की लम्बाई में भी घालमेल है। ब्यूरो की टीम ने सार्वजनिक निर्माण विभाग के अधीक्षण अभियंता अनिल नेपालिया के कार्यालय में जाकर रिकार्ड जब्त किया।
इस रिकार्ड की जांच की तो सार्वजनिक निर्माण के अधिकारियों का एक नया ही कारनामा सामने आया। जांच में स्पष्ट हुआ कि श्रीमालियों की मादड़ी से मन्नाजी का गुड़ा तक सडक़ निर्माण की स्वीकृति थी, वहां तो निर्माण हुआ ही नहीं है। इस स्वीकृति के आधार पर तरपाल से रावजी का मादड़ा तक सडक़ बना दी गई है और पैसा भी उठा लिया है। सडक़ निर्माण में भी घटिया सामग्री उपयोग में ली गई है। इसके साथ ही जो दूसरी सडक़ मोड़ी से घाटा की भागल की जांच की तो स्वीकृति में दे रखी लम्बाई से कम लम्बाई की सडक़ बनाई और पूरी सडक़ का पेमेंट उठा लिया गया है।
एएसपी ओझा ने बताया कि सडक़ निर्माण में घटिया से घटिया निर्माण सामग्री को उपयोग में लिया गया है। इसी कारण निर्माण के कुछ दिनों बाद ही सडक़ पुन: उखड़ गई या बड़े-बड़े गड्डे हो गए हैं। दोनों सडक़ों पर करीब एक करोड़ का टेण्डर हुआ जो आसपास की ढाणियों को जोड़ती है। सार्वजनिक निर्माण के लिए बना विभाग जिसके उपर पूरे जिले में सडक़ निर्माण कर रोड़ नेटवर्क को बेहतर करने की जिम्मेदारी है और उसके द्वारा निर्माण करवाई जाने वाली सडक़ की हालत कुछ ही दिन में खराब हो जाती है उससे ऐसे कारनामें की उम्मीद थी।
ठेकेदार ही जांचते हैं खुद की क्वालिटी : एएसपी ओझा ने बताया कि सबसे बड़े हैरत तो उस समय हुई जब अधीक्षण अभियंता नेपालिया से सडक़ निर्माण के बाद क्वालिटी जांच के बारे में पूछा तो नेपालिया ने मशीन ही खराब होने की जानकारी दी। जब पूछा कि मशीन खराब है तो जांच कैसे होती है तो अधिकारी ने बताया कि ठेकेदार स्वयं ही अपनी जांच करवाते है और रिपोर्ट देते हैं। मतलब स्पष्ट है कि ठेकेदार घटिया निर्माण करवाकर अच्छी सी रिपोर्ट दे देते हैं और अधिकारी भी आंख बंद कर आगे भेज देते हैं।
मात्र दो सडक़ पर गबन तो जिले में तो अरबों : एएसपी ओझा ने बताया कि मात्र दो सडक़ों मंै ही लाखों रूपए गड़बड़ी बू आ रही है तो पूरे जिले में 17 पंचायत समितियां है और 429 गांव है। ऐसे में यदि सार्वजनिक निर्माण विभाग द्वारा इस योजना में बनाई गई पूरे जिले की सडक़ों की जांच करवाई जाए तो अरबों-खरबों के गबन का मामला सामने आ रहा है। जो कि इस प्रदेश का सबसे बड़ा मामला हो सकता है।