उदयपुर। नाट्यांश सोसाइटी ऑफ ड्रामेटिक एण्ड परफोर्मिंग आर्ट्स के कलाकारों द्वारा रविवार और सोमवार को नुक्कड़ नाटक ‘अनचाही’ का मंचन किया गया। नाटक का प्रदर्शन सुबह गुलाब बाग और संध्या समय फतहसागर पाल पर हुआ।
नुक्कड़ नाटक ‘अनचाही’ कन्या भ्रूण हत्या, नवजात कन्या हत्या और लिंग जाँच जैसे अहम मुद्दों पर आधारित था। नाटक के माध्यम से यह दिखाया गया कि किस तरह समाज में लडकियों के साथ होने वाले दोहरे व्यवहार से परेशान होकर कोई भी माता-पिता बेटी नहीं चाहते और कैसे डॉक्टर और हॉस्पिटल पैसा कमाने के लिये माता पिता के इस काम मे उनका सहयोग करते हैं।
नुक्कड़ के कलाकारों ने आमजन को कन्या भ्रूण हत्या और लिंग जांच को रोकने के लिये बनाये गये कानूनों से भी अवगत करवाया गया। इस नुक्कड़ के पहले भी शहर भर मे कई मंचन हुये है। हाल ही में यह नाटक कोटडा में भी प्रदर्शित किया गया। संयोजक अश्फाक नूर खान ने बताया कि नाटक का लेखन एवम् निर्देशन अमित श्रीमाली ने किया। कलाकारों में अरुण जैन, प्रियांगी कपूर, अखिल नायर, प्रशांत गुप्ता, राहुल गुजराती, रेखा सिसोदिया, श्लोक पिम्पलकर और अमित श्रीमाली ने अभिनय किया। नाटक की प्रस्तुति में श्वेता बावा, मो. रिजवान मंसूरी और अब्दुल मुबिन ख़ान का भी सहयोग रहा।
कथा सार : नाटक मे पति-पत्नी के वार्तालाप से यह दिखाया गया है कि लिंग परिक्षण के बाद जब ये पता चलता है कि कोख में बेटा नहीं बेटी है तो कैसे घर का माहोल तनावग्रस्त हो जाता है और कन्या भ्रूण को कोख मे ही मारने की बातें होने लगती है लेकिन माँ अब अपनी बेटी को नहीं मरने देना चाहती है, क्योंकि वो घरवालों के दबाव मे पहले ही अपनी तीन बेटियों कोख में ही खो चुकी है। जब वो अपने पति से बेटी को जन्म ना देने का कारण पूछती है तो जवाब में पाती है कि बेटी की पढाई-लिखाई, शादी-दहेज और लड़कियों के प्रति बढते अपराधो को उसका पति ना तो रोक सकता है और ना ही सम्भाल सकता है, इसलिये उसे बेटी नहीं चाहिए।
माँ अपनी बेटी को जन्म देने के लिये अपने डॉक्टर से बात कर के यह झूठ बुलवाती है कि उसकी कोख में बेटी नहीं बेटा है। बेटी के जन्म के बाद जब उसके पति को सच का पता चलता है तो वो उस नन्हीं कली को भी मारना चाहता है पर इस बार माँ अपनी बेटी के जीवन के लिये लड़ती है और उसे बचाती है।