बोतल से दूध न पिलाने के प्रति जागरूकता जरूरी
उदयपुर। ग्रामीण क्षेत्रों में मां बनने वाली महिलाएं बच्चे को कराये जाने वाले मातृ दुग्धपान को लेकर अब काफी जागरूक हो चुकी है। अपने अपने बच्चों को किस प्रकार से दूध पिलाना चाहिये। इसकी जानकारी अब उन्हें होने लगी है लेकिन अब भी महिलाओं ने अपने बच्चों को बोतल से दूध पिलाना जारी रखा हुआ है जो बच्चें के लिए काफी नुकसानदेह साबित हो सकता है। इसके प्रति महिलाओं को जागरूक किया जाना चाहिये।
उक्त बात आज रोटरी क्लब उदयपुर एवं गीतांजली मेडीकल कॉलेज के संयुक्त तत्वावधान में चलाये जा रहे स्तनपान सप्ताह के दूसरे दिन निकटवर्ती गांव ढीकली में आयोजित किये गये कार्यक्रम में ऊभर कर सामनें आयी। गीतंाजली मेडकील कॉलेज के बाल रोग विभागाध्यक्ष डॉ. देवेन्द्र सरीन के नेतृत्व में चिकित्सकों के दल एवं क्लब के पदाधिकारियों ने समारोह पश्चात ढीकली गांव में घर-घर जा कर ग्रामीण महिलाओं को मातृ दुग्धपान की उपयोगिता के बारे में जागृत किया। डॉ. सरीन ने बताया कि कई घरों में दौरा कर दूध पिलाती माताओं एवं बच्चों की दादी-नानी से विशुद्ध रूप से मातृ दुगधपान की चर्चा की गई।
ढाई माह की नेहाना की दादी रूकमणी ने बताया कि वे प्रारम्भ से ही बच्चों को मंा का दूध पिला रही है। उन्होंने बताया कि पंाच-छ माह के पश्चात उसे पौष्टिक आहार भी देना शुरू कर देगी। उन्होंने बोलत द्वारा दूध पिलाने के संबंध में बताया कि यदि बच्चें का पेट नहीं भरेगा तो उसे बोतल से ऊपर दूध पिलान ही पड़ेगा। उनकी इस भ्रान्ति को समझकर एवं पेम्फलेट में पढक़र बताकर उनकी इस बात निराकरण किया। ढाई वर्ष के अंकू की मां बसन्ती ने बताया कि उसने डेढ़ वर्ष तक स्तनपान कराया, उसमें यदा-कदा ही बच्चें को कुछ समय के लिए बोतल से दूध पिलाया।
डॉ. सरीन ने बताया कि 6 माह के रणवीर की मां सोना ने कहा कि अपने दूध के साथ-साथ बोतल से ऊपर का दूध पिलाती है। इस अवसर पर उसे भी बोतल से दूध नहीं पिलाने के बारें में समझाया गया तथा इससे होने वाले नुकसान के बारें मेंं बताया गया। साढ़े तीन माह के यक्षराज की मां पुना बच्चें को बराबर स्तनपान करवा रही है। उसने बताया कि उसने न तो बोतल से दूध पिलाया है और न हीे पिलायेगी। 6 माह की शीला की मां मीना ने बताया कि वह अपने दूध के साथ-साथ बोतल का दूध भी पिलाती है, ताकि बच्चा भूख न रहें। उसे भी आहार शुरू करने की सलाह दे कर बोतल छुड़वाने की सलाह दी गई।
उन्होंने बताया कि बोतल से दूध पिलाने से बच्चें में अधिकाशत: दस्तरोग एवं श्वसन रोग होते है साथ ही बच्चा का कुपोषण से ग्रसित हो जाता है। अत: ग्रामीणों को यह नारा दिया गया कि एक बोतल तोड़ो -एक जिंदगी जोड़ो। इस अवसर पर क्लब अध्यक्ष गजेन्द्र जोधावत ने बताया कि क्लब ग्रामीण क्षेत्रों में वर्ष पर्यन्त यह कार्यक्रम जारी रखेगा। इस अवसर पर रोटरी सर्विस ट्रस्ट के चेयमरेन सुरेश सिसोदिया ने कहा कि यहंा पर समय-समय पर चिकित्सा शिविर आयोजित कर बच्चों के स्वास्थ्य की जानकारी दी जाएगी एवं उनका ईलाज किया जाएगा। इस अवसर पर राकेश माहेश्वरी, हेमन्त मेहता, कांता जोधावत, मंजू सिसोदिया भी मौजूद थी।