सुविवि छात्रसंघ चुनाव
उदयपुर। आखिर सत्ता जब हाथ में आ जाए तो फिर नियम-कायदे सभी भूल जाते हैं और विचारधारा के बहाने वापस हाथ मिला लिए जाते हैं। कुछ ऐसा ही हुआ है सुविवि छात्रसंघ चुनाव में जहां भाजपा के अग्रिम संगठन एबीवीपी और छात्र हितों के कथित संघर्ष को लेकर भाजपा के बागियों द्वारा वर्ष 2004 में गठित छात्र संघर्ष समिति (सीएसएस) ने वर्ष 2015 में हाथ मिला लिए। छात्र संघर्ष समिति ने एबीवीपी को समर्थन दे दिया है।
उल्लेखनीय है कि वर्ष 2004 में भाजपा नेता प्रमोद सामर के समर्थक प्रत्याशी बनाए जाने के विरोध में कतिपय भाजपा नेताओं ने सीएसएस का गठन कर छात्र हितों के संघर्ष की हरदम अगुवाई करने का संकल्प जताया था। उस वर्ष सीएसएस के उम्मीदवार विजयी रहे। कुछ समय पूर्व हुए पंचायत चुनाव में सीएसएस के कर्णधार कहे जाने वाले भाजपा नेता कैलाश शर्मा बडगांव प्रधान बन गए। इस बार फिर भाजपा नेता प्रमोद सामर के बेटे को एबीवीपी से प्रत्याशी बनाने की बात चली। इस पर सीएसएस ने एबीवीपी और भाजपा के उच्च नेताओं तक बात पहुंचाई कि यदि सामर के बेटे को प्रत्याशी नहीं बनाया जाता है तो सीएसएस अपना प्रत्याशी खड़ा नहीं करेगी और एबीवीपी के प्रत्यााशी को समर्थन दे देगी। यानी विरोध सीधे सीधे प्रमोद सामर का था।
जानकारी के अनुसार सीएसएस की कोर कमेटी में हुए निर्णय में निर्णय किया गया था कि सीएसएस द्वारा एबीवीपी को समर्थन देने का निर्णय कर लिया गया है। कोई विरोध नहीं करे। एबीवीपी ने खेरवाड़ा विधायक नानालाल अहारी के बेटे सोनू अहारी को प्रत्याशी घोषित किया है।
जानकार बताते हैं कि सामर को एक बार फिर मुंह की खानी पड़ी है। हालांकि राज्या संगठन की पूर्व कार्यकारिणी में मंत्री का पदभार संभाल चुके सामर के पास फिलहाल भाजपा का कोई पद नहीं है लेकिन फिर भी वे भाईसाहब के जरिये अपनी जुगाड़ चला रहे हैं। वर्तमान में भी या तो पूर्व मंत्री लिखते हैं या पूर्व लोकसभा प्रभारी जो संगठन ने लोकसभा चुनाव में घोषित किए थे।
वर्ष 2010 में पुन: शुरू हुए छात्रसंघ चुनाव में सीएसएस से दिलीप शर्मा चुनाव जीते थे, वर्ष 2011 में परमवीरसिंह चुण्डावत और इसके बाद वर्ष 2013 में अमित पालीवाल सीएसएस से छात्रसंघ अध्यक्ष बने थे। वर्ष 2014 में लम्बे समय से सत्ता से दूर रही एनएसयूआई के हिमांशु चौधरी अध्यक्ष बने थे।
उधर एनएसयूआई के जिलाध्यक्ष यशवन्त चौधरी ने बताया कि जहां कुछ छात्र नेता रौनक पुरोहित को टिकट देने की मांग कर रहे है जो भाजपा नेता मांगीलाल जोशी के दोहित्र हैं। गत वर्ष भी एबीवीपी छोड़कर आये छात्रनेता को एनएसयूआई प्रत्याशी बनाया गया। इस बार एनएसयूआई पदाधिकारी व कार्यकर्ताओं ने मांग की कि रौनक को टिकट देने से पूर्व कांग्रेस की एवं एनएसयूआई की सदस्यता ग्रहण करावे और वरिष्ठ पार्टी पदाधिकारियों से चर्चा कर स्वीकृति ली जाए। चौधरी ने बताया कि जल्द ही शहर जिलाध्यक्ष नीलिमा सुखाडिया, देहात जिलाध्यक्ष लालसिंह झाला एवं पूर्व सांसद रघुवीरसिंह मीणा, प्रभारी कुलदीप पुनिया की मौजूदगी में पार्टी कार्यालय पर टिकट का ऐलान किया जायेगा।