उदयपुर। अखिल भारतीय दिगम्बर जैन दशा नरसिंहपुरा संस्थान की ओर से संथारा पर प्रतिबंध के विरोध में राष्ट्रपति के नाम जिला कलक्टर को ज्ञापन दिया गया।
संस्थान के मंत्री ऋषभ भाणावत ने बताया कि परम संरक्षक कुंतीलाल जैन, संरक्षक राजमल जैन, अध्यक्ष शांति गांगावत के नेतृत्व में दिए ज्ञापन में बताया गया कि श्रमण संस्कृति एवं जैन धर्मावलम्बियों की भावना को आहत किया जा रहा है। उस अल्पसंख्यक समुदाय में आक्रोष पैदा किया जा रहा है जिसका राष्ट्र की उन्नति में सर्वोपरि योगदान है। प्रतिबंध से सम्पूर्ण जैन धर्म की भावनाएं आहत हुई है। संलेखना तपश्चरण का एक प्रकार है न कि आत्महत्या। व्रतोपवास, के माध्यम से जब कोई अपने शरीर की क्षमता में कमी करता है, धर्म मार्ग पर चलता हुआ संयमित जीवन जीता है और हंसते हंसते कर्मों का क्षय करते हुए मूल्य को प्राप्त करता है। यही संथारा का उत्कृष्ट स्वरूप है। इस दौरान पंकज गांगावत, सुमतिचंद पदारथ, रमेष जुंसोत, सुंदर लालावत, अनिल लुणदिया, हर्ष जैन, जम्बू जैन, रमेष पचौरी, बद्री लुणदिया, महावीर भाणावत सहित कई पदाधिकारी व समाजजन मौजूद थे।