उदयपुर में शिल्पकला आधारित उद्योग स्थापना की विपुल सम्भावनाएं
उदयपुर। उदयपुर एवं भीलवाड़ा संभाग में हस्तशिल्प उत्पादों के निर्यात की व्यापक सम्भावनाएँ हैं।अकेले उदयपुर सम्भाग में लगभग 4000 हस्तशिल्प एवं कुटीर उद्योग इकाईयाँ पंजीकृत है जिनके द्वारा लकड़ी के खिलौने, मिनिएचर पेन्टिंग, बन्धेज छपाई, तारकशी, मीनाकारी, मार्बल फर्नीचर, पत्थर की मूर्तियाँ, टेराकोटा उत्पाद, ब्लॉक प्रिन्टिंग, थेवा आर्ट तथा चमड़े से निर्मित वस्तुओं का निर्माण एवं उत्पादन किया जा रहा है।
एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल फॉर हैण्डीक्राफ्ट के कार्यकारी निदेशक राकेश कुमार ने बताया कि यहाँ हस्तशिल्प उद्योग परम्परागत व्यवसाय के रूप में स्थापित है। दक्षिणी राजस्थान के इन जिलों की कई हस्तशिल्प इकाईयों द्वारा अपने उत्पादों का प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष निर्यात किया जा रहा है।
वे आज उदयपुर चैम्बर ऑफ कॉमर्स एण्ड इण्डस्ट्री के संयुक्त तत्वावधान में कार्यालय विकास आयुक्त हस्तषिल्प, वस्त्र मंत्रालय के सहयोग से चैम्बर भवन के अरावली सभागार में हैण्डीक्राफ्ट उद्योग से जुडे हस्तषिल्प कारीगरों के लिए दो दिवसीय ट्रेनिंग प्रोग्राम के आयोजन के अवसर पर बोल रहे थे। इस दो दिवसीय ट्रेनिंग प्रोग्राम में उदयपुर एवं आसपास के जिलों जैसे डूंगरपुर, बाँसवाड़ा, चित्तौडग़ढ़, भीलवाड़ा, राजसमन्द एवं सिरोही से हैण्डीक्राफ्ट व्यवसास से जुड़े लगभग 30 अनुसूचित जाति के एवं अन्य हस्तशिल्प कारीगरों ने भाग लिया।
राकेश कुमार ने हैण्डीक्राफ्ट उद्योग को बढ़ावा दिये जाने की आवश्यकता पर बल देते हुए कहा कि आधुनिकीकरण एवं मशीनीकरण के कारण रोजगार के अवसरों में कमी आई है। लघु एवं कुटिर उद्योगों के माध्यम से बेरोजगारी की समस्या को काफी सीमा तक नियन्त्रित किया जा सकता है। इससे पूर्व कार्यक्रम के आरम्भ में चेम्बर के वरिष्ठ उपाध्यक्ष हंसराज चौधरी,हस्तषिल्प विकास आयुक्त कार्यालय उदयपुर के सहायक निदेशक ए.के. मीणा,पेसिफिक कॉलेज की डॉ. हर्षिता श्रीमाली,जोधपुर इंस्टीटयूट ऑफ एक्सपोर्ट एण्ड शिपिंग मैनेजमेंट की फेकल्टी के रईस अहमद, इण्डियन इंस्टीट्यूट ऑफ क्राफ्ट एण्ड डिजाईन, जयपुर के डिजाईनर मनोज यादव,राजस्थान मरूधरा ग्रामीण बैंक के क्षेत्रीय अधिकरी आर.पी. अत्रे, आर.एल. वर्मा,उदयपुर चैम्बर ऑफ कॉमर्स एण्ड इन्डस्ट्री के कार्यकारिणी सदस्य चेतन चौधरी ने भी संबोधित किया। प्रारम्भ में इस अवसर पर अध्यक्ष वी.पी. राठी ने प्रशिक्षण शिविर में भाग लेने हेतु आए हैण्डीक्राफ्ट आर्टीजन्स का स्वागत करते हुए कहा कि बड़े उद्योगों द्वारा अपने उत्पादों के विज्ञापन पर भारी राशि व्यय की जाती है,किन्तु सीमित संसाधनों के कारण लघु एवं कुटिर उद्योगों को बाजार में अपने उत्पाद की पहचान बनाने तथा विपणन व विक्रय की समस्या का सामना करना पड़ रहा है। इन शिविरों में प्रशिक्षण के साथ साथ सामुहिक परिचर्चा एवं चिन्तन के माध्यम से लघु उद्योगों द्वारा तैयार उत्पादों को लोकप्रिय बनाने हेतु प्रयास करने चाहिए। उन्होंने कहा कि हाट बाजार के माध्यम से हस्तशिल्प द्वारा निर्मित उत्पादों के विपणन को बढ़ावा दिया जा सकेगा। कार्यक्रम के अन्त में यूसीसीआई के मानद महासचिव जतिन नागौरी ने आभार ज्ञापित किया।