नॉर्वेजियन यूनिवर्सिटी ऑफ़ लाइफ साइंसेज के युवाओं ने माना
उदयपुर। नॉर्वेजियन यूनिवर्सिटी ऑफ़ लाइफ साइंसेज के युवाओं के दल ने रविवार को डॉ मोहन सिंह मेहता मेमोरियल ट्रस्ट में आयोजित सेमिनार में दक्षिणी राजस्थान में जनजाति महिलाओं की स्थिति, परम्पराओं, जल स्त्रोतों के हालात तथा स्वैच्छिकता के मूल्यों पर व्यापक विचार विमर्श किया।
जयपुर स्थित इंस्टिट्यूट ऑफ़ डेवलपमेंट स्टडीज के दलबीर सिंह तथा नॉर्वे के प्रोफेसर ली के नेतृत्व में उदयपुर आये दल का ट्रस्ट के नन्द किशोर शर्मा तथा विद्या भवन पॉलिटेक्निक के प्राचार्य झील विज्ञानी डॉ अनिल मेहता ने मार्गदर्शन किया।
नन्दकिशोर शर्मा ने कहा की जनजाति समाज में पुरुष एवं महिलाओं को समान अवसर एवं स्थान उपलब्ध है। समरसता तथा समानता यहां की श्रेष्ठ परम्पराए रही है। मेवाड़ में सदियों से स्वेच्छिक कार्य करने की परम्परा रही है। इस सन्दर्भ में सेवा मंदिर, विद्या भवन तथा अन्य संस्थाओं ने स्वैच्छिकता को पुष्ट करने में महत्ती भूमिका निभाई है। दल में शामिल निलना, कैमिला, मारिया ने माना कि मेवाड़ की परहित सर्व हित कि खूबी दुनिया के लिए मिसाल है।
डॉ. अनिल मेहता ने दल को भारत की परंपरागत जल प्रबंधन व्यवस्था के बारे में बताया। मेहता ने कहा कि झीलों, तालाबों, बावडि़यों को निर्मित करने में समाज ने सदैव महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। दल में शामिल इंजीनियर ऐना लोयेडिंग ने उदयपुर में आहर नदी सुधार की प्राकृतिक विधि को जलवायु परिवर्तन की समस्या के सन्दर्भ में कारगर प्रयोग बताया। ऐना ने कहा कि समग्र विकास के लिए जनसहभागिता आधारित जल स्त्रोत प्रबंधन आवश्यक है। गंदे पानी के उपचार में बायो रेमेडिएशन तकनीकी प्रभावी है। सेमिनार में रमेश चन्द्र शर्मा, सोफिया, महासा ने भी विचार प्रस्तुत किए।