जैन समाज में हर्ष की लहर
उदयपुर। आज का सोमवार जैन सम्प्रदाय के लिए गोल्डन मंडे साबित हुआ। राजस्थान उच्च न्यायालय द्वारा संथारा-संलेखना को आत्महत्या के समान मानने के निर्णय पर उच्चतम न्यायालय ने रोक लगा दी। इससे सकल जैन समाज में जबरदस्त हर्ष की लहर है।
उल्लेखनीय है कि गत 24 अगस्त को देषव्यापी आंदोलन के तहत उदयपुर में भी महावीर जैन परिषद के संयोजक एवं तेरापंथी सभा कोलकाता के प्रवक्ता राजकुमार फत्तावत के नेतृत्व में 20 हजार से अधिक लोगों के साथ ऐतिहासिक प्रदर्षन कर मौन जुलूस निकाला था तथा राष्ट्रपति एवं प्रधानमंत्री के नाम जिला कलक्टर को ज्ञापन सौंपा था।
फत्तावत ने बताया कि राजस्थान उच्च न्यायालय द्वारा संथारा पर दिये गये अविवेक पूर्ण निर्णय पर रोक के समाचार मिलते ही जैन समाज में हर्ष की लहर दौड़ गई। उन्होंने बताया कि आत्महत्या अपराध है वहीं संथारा-सल्लेखना संसार में संसार से तिर जाने एवं मोक्ष प्राप्त का सबसे बडा मार्ग एवं धर्म सम्मत है जो जैन धर्म में सबसे बडा तप माना गया है।
शिरडी में चातुर्मासत श्रमण संघीय सलाहकार दिनेश मुनि ने कहा कि राजस्थान उच्च न्यायालय द्वारा संथारा या संलेखना तप-साधना पर किये गये फैसले पर सर्वोच्च न्यायालय ने अंतरिम रोक लगाई है। यह संतोष की बात है कि तीन सप्ताह के भीतर ही देश की शीर्ष अदालत ने उक्त फैसले की व्यर्थता महसूस कर ली। उन्हेंनें विश्वाभस व्यक्त किया कि उक्त फैसले पर यह अंतरिम रोक जल्दी ही स्थायी रोक में परिणित हो जाएगी।