महाराणा प्रताप वरिष्ठ नागरिक संस्थान का स्थापना दिवस
उदयपुर। बाल भले ही सफेद या कम हैं लेकिन उर्जा, जज्बा, आंखों की चमक और तजुर्बा वरिष्ठ नागरिकों मे सबसे ज्यादा होता है, लेकिन समस्या यह हैं कि जीवन भर जिस तजुर्बे को प्राप्त किया, उसको इस उम्र में किस तरह उपयोग लें। सरकार या सम्बन्धित विभाग चाहे तो इन वरिष्ठ नागरिकों के अनुभवों को उपयोग में लेकर शहर के विकास में और तेजी ला सकते है।
ये विचार मुख्य आयकर आयुक्त बी.पी. जैन ने महाराणा प्रताप वरिष्ठ नागरिक संस्थान के 8 वें स्थापना दिवस पर आयोजित कार्यक्रम मे मुख्य अतिथि के पद से व्यक्त किये। उन्होंने कहा कि इस संगठन की छोटी-छोटी इकाइयां जो सम्पूर्ण भारत में वरिष्ठ नागरिकों के हितार्थ कार्य कर रही है अपने-अपने क्षेत्र में होने वाली गलत चीजों के बारे मे सम्बन्धित विभाग में शिकायत करें।
अध्यक्षता करते हुए महापौर चन्दसिंह कोठारी ने कहा कि मतदान में वरिष्ठ नागरिकों की हिस्सेदारी भले ही 20 प्रतिशत हो लेकिन अनुभव के मामले में आपका सहयोग शत् प्रतिशत रहता है। अनुभवों की जितनी गुणवत्ता वरिष्ठ नागरिकों में है उतनी किसी मे भी नही होती। वरिष्ठ नागरिकों के अनुभवों से उदयपुर ने भी काफी कुछ प्राप्त किया है और आगे भी उदयपुर को स्मार्ट सिटी बनाने में वरिष्ठ नागरिको के अनुभवों को उपयोग मे लिया जायेगा। महापौर ने इस दौरान यह घोषण की कि संस्थान द्वारा अपने कार्यक्रमों के लिए निगम अपने सामुदायिक भवन एवं शहर मे जहां भी निगम के हॉल हैं वहां 25 प्रतिशत किराये पर हॉल की उपलब्धता करवायेगा।
संस्थान के महासचिव भंवर सेठ ने स्वागत उद्बोधन में कहा कि वरिष्ठ नागरिकों का यह संगठन धीरे-धीरे बढ़ता जा रहा है जिससे कार्यक्रम करने के लिए जगह की उपलब्धता नही हो पाती और अगर हॉल मिलते भी हैं तो उनको किराये को भर पाना संस्थान के लिए मुमकिन नही हो पाता हैं उन्होंने कार्यक्रम मे महापौर से शहर मे संस्थान को जगह देकर हॉल बनवाने का आग्रह किया।
कार्यक्रम मे सम्पूर्ण राजस्थान से वरिष्ठ नागरिक संस्थान के विभिन्न जिलों से अध्यक्ष, मंत्री एवं पदाधिकारी उपस्थित हुए जिनका कार्यक्रम मे संस्थान सदस्यों द्वारा उपरणा पहनाकर सम्मान किया गया। इसके साथ ही सितम्बर माह मे जन्म लेने वाले वरिष्ठ नागरिकों का भी सम्मान किया गया। संस्थान अध्यक्ष चौसरलाल कच्छारा ने धन्यवाद दिया।
सांस्कृतिक कार्यक्रमों ने मन मोहा : संस्थान के स्थापना दिवस पर सांस्कृतिक कार्यक्रमो का भी आयोजन किया गया जिसके दौरान कवि भवानी शंकर गौड ने कविता पाठ, शिवदान सिंह तलेसरा ने बांसुरी वादन, रामचन्द्र कविटकर एवं जगजीत सिंह निशाद ने तबले एवं इकतारा पर मधुर धुन व जुगलबन्दी की प्रस्तुति, श्रेयास कंठालिया द्वारा गीत एवं विमला सनाढ्य व चन्दशेखर सनाढ्य ने गीत की प्रस्तुति दी।