विद्यापीठ में सात दिवसीय पुस्तक प्रकाशन प्रमाण पत्र
उदयपुर। वरिष्ठ इतिहासकार एवं लेखक डॉ. राजशेखर व्यास ने कहा कि वर्तमान में पुस्तकों का स्तर गिरता जा रहा है। वर्तमान समय में लेखक प्रकाशक के पास जाता है और अपनी पुस्तक प्रकाशन के लिए आग्रह करता है लेकिन छह दशक पूर्व प्रकाशक किसी विषय वस्तु केा लेकर लेखक के पास जाता था और लिखने का आग्रह करता था।
डॉ. व्यास शुक्रवार को जनार्दनराय नागर राजस्थान विद्यापीठ विश्वविद्यालय एंव राष्ट्रीय पुस्तक न्यास भारत, मानव संसाधन विकास मंत्रालय भारत सरकार के संयुक्त तत्वावधान आयोजित सात दिवसीय पुस्तक प्रकाशन प्रमाण पत्र के चौथे दिन मुख्य वक्ता के रूप में प्रतिभागियों को सम्बोधित कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि पुस्तकों के गिरते स्तर का प्रमुख कारण लेखकों की संख्या में वृद्धि होना। आज हर क्षेत्र का लेखक चाहता है कि मेरी पुस्तक का प्रकाशन हो। राजस्थान में पुस्तक लेखन की पम्परा मेवाड़ 7 वीं एवं 8वीं शताब्दी में शुरू हुई। पुस्तकें लिखने में मेवाड़, हाड़ौती, मारवाड़ प्रमुख केन्द्र रहे। लाखों हस्तलिखित पाण्डुलिपियां प्राच्य विद्यापीठ संस्थान, साहित्य संस्थान, जोधपुर संस्थान, हाडोती शोध संस्थान में रखी हैं जिनके संरक्षण एवं संवर्द्ध्रन की आवश्यकता है।
अध्यक्षता करते हुए प्रो. एस.एस. सारंगदेवोत ने कहा कि मेवाड़ में प्राचीन समय से मेवाड़ में लेखन की परम्परा रही है। उन्होने कहा कि मेवाड़ में राजा महाराजाओं के समय से बावजी चतुरसिंह जी, गुमानसिंह जी, केसरीसिंह बारहठ, विजयदान देथा, दीन दयाल शर्मा, मावजी महाराज, कर्नल जेम्स टाड ने राजस्थान का इतिहास पुस्तक डबोक स्थित विद्यापीठ परिसर में बैठकर लिखी। अनेक संत व लेखकों ने लेखन परम्परा शुरू की थी। उन्होंने कहा कि पुस्तक का प्रकाशन वही व्यक्ति व संस्था कर सकता है जिसका उद्देश्य व्यवसायिक न हो कर सेवा भावना का हो। नेशनल बुक ट्रस्ट के डिप्टी डायरेक्टर डी. सरकार ने प्रतिभागियों को फोटो शॉप एवं पेजमेकर में कैसे बुक्स का प्रकाशन किया जाता है उसका लाइव डेमो के माध्यम से विस्तार से बताया। सेमीनार में प्रोडेक्शन आफिसर नरेन्द्र कुमार ने बताया कि चार तकनीकी सत्रों में 125 प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया। सेमीनार में डॉ. जेहरा बानू, प्रतिभा सामर, मुकेश निरूणे, सिद्धेश्वर बिराजवार, अंकित मेघवाल, कुशाग्र जैन, चन्द्रे छतवानी, डॉ. कुलशेखर व्यास, डॉ. बबीता रसीद, डॉ. नवीन बिश्नोई, डॉ. देवेन्द्रा आमेटा सहित अनेक प्रतिभागियों को सवाल जवाब किए।