चौथे दिन वाणी संयम दिवस पर विविध आयोजन
उदयपुर। शासन श्री मुनि राकेश कुमार ने कहा कि वार्तालाप करें, विलाप नहीं। शब्दों का गणित बेजोड़ होता है। वार्तालाप करते-करते कई लोग विलाप करने लग जाते हैं। इस विलाप के दौरान कई जानी-अनजानी बातें निकल जाती हैं जिसमें अपनी वाणी पर संयम नहीं रख पाते और अनायास ही सामने वाले को दुख पहुंचा देते हैं।
वे जैन श्वेताम्बर तेरापंथी सभा की ओर से अणुव्रत चौक स्थित तेरापंथ भवन में पर्वाधिराज पर्यूषण के चौथे दिन वाणी संयम दिवस पर धर्मसभा को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि पत्नी पति को सिर्फ यह कहती है कि सुनो जिसमें भी जुबानी जंग हो सकती है। निर्भर करता है कि सुनो कहने में अधिकार है, आदेश है या प्यार है। जो कर्म हमने किए हैं, उनका परिणाम तो हमें ही भुगतना है। तीर्थंकरों और चक्रवर्ती राजाओं तक को उनके कर्मों का फल भुगतना पड़ा था। मौन एक मानसिक तप है। अगर नहीं बोल सकें तो और नहीं समझ आता हो तो मौन रहना श्रेयस्कर है। मौन एक मानसिक तप है। मौन की पूरी साधना है। पर्यूषण के इन सिर्फ आठ दिन में ही नहीं बल्कि पूरा वर्ष पर्यूषण की तरह जीएं ताकि कर्मों का बंधन हल्का हो सके।
मुनि दीप कुमार ने गीतिका ‘तौल कर बोलो निरंतर मधुर सी वाणी’ सुनाते हुए कहा कि कैसे भी बोलें लेकिन क्या बोल रहे हैं, यह महत्वपूर्ण है। ज्ञान की बात भी अगर तीव्र स्वर में बोलेंगे तो मधुर लगेगी। कम बोलें या अधिक लेकिन क्या बोलना महत्वपूर्ण है। बंदूक की गोली से बना घाव तो फिर भी भर सकता है लेकिन कड़वी बोली से बना घाव जिंदगी भर नहीं भरता और टीस देता रहता है। विद्वानों की सभा में पहुंचने वाला मूर्ख भी अगर बोले तो स्वयं घृणा का पात्र बनता है। बोली पर संयम नहीं रखेंगे तो आए दिन टकराव-बिखराव होंगे।
मुनि सुधाकर ने कहा कि नवदीक्षित साधु को आगम कंठस्थ कराया जाता है। वक्त शुद्धि यानी वाणी शुद्धि। जो सत्य है, उचित है, वैसी ही भाषा का उपयोग न करें जिससे अनर्थ होता हो। वाणी से रिष्ते बनते हैं, समाज का निर्माण होता है। ग से गधा तो ग से गणेष भी होता है उसी प्रकार स से सत्य तो स से सत्यानाष भी होता है। उन्होंने बताया कि चार चीजें वापस लौटकर नहीं आती। कमान से निकला तीर, बीता हुआ वक्ता, गया हुआ अवसर और मुंह से निकला हुआ शब्द। जिस तरह तुलसीदासजी को उनकी पत्नी की फटकार के कारण ही उनका उद्धार होता है। चोर को चोर न कहें क्योंकि आपकी वाणी से किसी को ठेस पहुंचती है।
आचार्य प्रवर के नेपाल स्थित विराट नगर में चल रहे चातुर्मास सम्बन्धी एक वीडियो क्लिप दिखाने पर तेरापंथ सभाध्यक्ष राजकुमार फत्तावत ने नेपाल के राजा से लेकर आमजन तक हर व्यक्ति दर्शन कर रहा है। उदयपुर तेरापंथी सभा की ओर से भी अक्टूबर में स्पेषल ट्रेन ले जाई जा रही है। इसमें भीलवाड़ा से भी लोग शामिल होंगे। संचालन मंत्री सूर्यप्रकाष मेहता ने किया। इससे पूर्व 9 से 9.30 बजे तक संगीता पोरवाल ने प्रेक्षाध्यान के प्रयोग एवं जप कराए। प्रारंभ में प्रेक्षा नंदावत, मिनी सिंघवी व अन्य बहनों ने मंगलाचरण किया। 11 वर्षीय बालिका पलक जैन के मुख से भक्तामर स्रोत का पाठ सुनकर पूरा हॉल ओम अर्हम की ध्वनि से गूंज उठा।
तेरापंथ युवक परिषद के अध्यक्ष दीपक सिंघवी ने बताया कि आध्यात्मिक रात्रिकालीन प्रतियोगिता के तहत आध्यात्मिक खुला प्रष्न मंच हुआ। इसमें जैन धर्म एवं तेरापंथ से सम्बन्धित प्रष्न पूछे गए। सही जवाब देने वालों को हाथों हाथ पारितोषिक प्रदान किए गए। विजयसिंह अषोक डोसी द्वारा प्रायोजित इस प्रतियोगिता के संयोजक प्रणव कोठारी एवं चिराग कोठारी थे। तेरापंथ महिला मंडल की अध्यक्ष चन्द्रा बोहरा ने संघ की आगामी सूचनाएं दीं।