धूमधाम से मनाया भगवान महावीर जन्मकल्याणक महोत्सव
उदयपुर। माता त्रिशला को आए 14 स्वप्नों के बारे में साध्वी श्रद्धांजना श्रीजी ने कहा कि देव व गुरु के पास कभी खाली हाथ नहीं जाना चाहिए। मंगलकारी सपनों का फल मंगलकारी होता है। शाास्त्रों में कहा गया है कि सवेरे आने वाला सपना 10 दिन में पूरा होता है। भगवान महावीर का नामकरण उनके गर्भ में रहने के दौरान ही वर्धमान रख दिया गया था। महावीर ने अपनी माता को पीड़ा न हो, इसके लिए गर्भ में ही अपने शरीर को संकुचित कर दिया था।
वे मेवाड़ मोटर्स गली स्थित जैन श्वेताम्बर मूर्तिपूजक वासुपूज्य मंदिर में भगवान महावीर का जन्मकल्याणक महोत्सव में धर्मसभा को संबोधित कर रही थीं। उन्होंने कहा कि धर्म कहता है कि कभी रूप का प्रदर्शन नहीं करना चाहिए। उन्होंने कहा कि देश में यदि सब जैन एकत्र हो जाएं तो पूरे विश्व में जैन की जय जयकार हो सकती है। संगीतमय भक्ति गीतों के साथ भगवान महावीर का जन्मकल्याणक महोत्सव मनाया गया। सभी को नारियल-गोला एवं मिश्री की प्रभावना वितरित की गई।
ट्रस्ट के प्रतापसिंह चेलावत ने बताया कि विभिन्न प्रकार की तपस्या पंचोला, छठ, अ_म, अ_ाई करने वाले श्रावक-श्राविकाओं का बहुमान किया गया। भगवान महावीर के जन्म पर उन्हें चांदी के झूले में झुलाया गया। माता त्रिशला को आए 14 स्वप्नों की बोलियां लगाई गई। बोलियां लेने वाले श्रावक-श्राविकाओं का बहुमान किया गया। समाजसेवी एवं चातुर्मास मुख्य संयोजक किरणमल सावनसुखा ने भगवान महावीर के मुनीम बनने का लाभ लिया।
चातुर्मास संयोजक भोपालसिंह दलाल एवं चातुर्मास सहसंयोजक दलपत दोशी ने बताया कि मंगलवार को कल्पसूत्र वाचन होगा। प्रभावना पवनबेन-मनोहरसिंह गन्ना परिवार की ओर से वितरित की जाएगी। आंगी भक्ति कोकिलाबेन भद्रपाल सालगिया परिवार एवं विमलाबेन सोहनलाल चपलोत परिवार की ओर से होगी।
भगवान महावीर के जन्म वाचन का श्रवण करने उमड़े श्रद्धालु
श्री जैन श्वेताम्बर मूर्ति पूजक संघ जिनालय की ओर से आज हिरण मगरी से. 4 स्थित शांतिनाथ सोमचन्द्र सूरी आराधना भवन में चल रहे पर्युषण पर्व के दौरान आज आचार्य विजय सोमसुन्दर सुरीश्वर महाराज द्वारा भगवान महावीर के जन्म से पूर्व उनकी माता त्रिशला को आये 14 सपनों का वाचन किया गया।
14 सपनों के वाचन का श्रवण करने हजारों की संख्या श्रावक-श्राविकाएं भवन में मौजूद थी। आचार्यश्री ने कहा कि माता त्रिशला को आये ये सपने विश्व के सर्वश्रेष्ठ सपनों में से एक थे। उन्होंने बताया कि माता त्रिशला को गजराज, वृषभ, सिंह, लक्ष्मीजी, दो पुष्पमाला, चन्द्रमा, सूर्य,ध्वज,पूर्ण कलश, लक्ष्मीजी के स्थान के रूप में पद्म सरोवर ,रत्नाकर, देवविमान, रत्न राशि,निर्धुम अग्नि के सपने आयें। इनके पश्चात भगवान महावीर का जन्म हुआ। धर्मसभा में विशेष रूप से लक्ष्मी जी एंव पद्म सरोवर के सपनों का वाचन सुनने में अत्यधिक उत्साह देखा गया। इस अवसर पर भगवान महावीर को चंवर ढुलाये गये।
संघ अध्यक्ष सुशील बांठिया ने बताया कि माता त्रिशला को आये 14 सपनों एवं भगवान महावीर को पालना में झुलाने के चढ़ावे के रूप में श्रावक-श्राविकाओं द्वारा अधिक से अधिक रूपयों की बोलियां बोली गई। इस प्राप्त राशि का उपयोग प्राचीन मंदिरों के जीर्णोद्वार मेें किया जाएगा। आचार्य ने कहा कि एक नए मंदिर के निर्माण से आठ गुना अधिक पुण्य प्राचीन मंदिर के जीर्णोद्वार पर मिलता है। भगवान महावीर के जन्म के बाद थाली मादंल बजाने के साथ खुशियंा मनायी गई। शाम को भक्ति संध्या का आयोजन किया गया।