देर रात इधर-उधर दौड़ाने के दौरान प्रसूता की मौत
उदयपुर। सबसे संवेदनशील स्था़न माने जाने वाले उदयपुर के एमबी चिकित्साेलय में मरीज के साथ एक बार फिर संवेदनहीनता बरती गई जिससे न सिर्फ प्रसूता की मौत हो गई बल्कि उसके गर्भस्था शिशु की भी मौत हो गई। बेकरिया निवासी आदिवासी महिला ने चिकित्सकों और रात्रि में कार्यरत स्टाफ की बेरूखी के चलते उपचार के अभाव में दम तोड़ दिया।
जानकारी के अनुसार गर्भवती मोवली (35) पत्नी लछमाराम गरासिया निवासी पिलका बेकरिया को बुखार के साथ-साथ तबीयत खराब होने और प्रसव का समय नजदीक आने पर उसके परिजन उदयपुर लाए। रात्रि को इस आदिवासी महिला को चिकित्सकों ने मेडिसिन के वार्ड 6 में भर्ती किया। तडक़े पेट में दर्द होने और प्रसव पीड़ा होने पर वार्ड छह से इसे जनाना चिकित्सालय में रैफर किया गया। जहां महिला को जनाना के चिकित्सकों ने भर्ती करने से इंकार कर पुन: लौटा दिया। पुन: वार्ड 6 में जाने पर वार्ड 6 के चिकित्सकों ने उसे भर्ती नहीं किया और एक बार फिर से जनाना में भेज दिया। जनाना में ले जाने और विनती करने पर जनाना के नर्सिंग स्टाफ ने गालियां देते हुए महिला की सोनोग्राफी करवाई। सोनोग्राफी में इस महिला के गर्भस्थ शिशु की मौत हो गई थी।
इसके बाद गर्भ में मृत शिशु को बाहर निकालने के बजाए वापस वार्ड 6 में भेज दिया। वार्ड 6 के चिकित्सकों ने भी गर्भ में मृत शिशु को बाहर निकालने में असमर्थता जताते हुए वार्ड के बाहर बैठा दिया। प्रसूता तेज दर्द के साथ बाहर ही रही और सुबह पांच बजे प्रसूता ने दम तोड़ दिया। प्रसूता की हलचल बंद हुई और परिजनों ने देखा और एक बार फिर से चिकित्सकों को बताया तो चिकित्सकों ने उसे मृत घोषित कर दिया। परिजनों ने विरोध करने का प्रयास किया तो चिकित्सकों ने बाहर निकाल दिया और होमगार्ड के जाब्ते को बुला लिया। बाद में मृतका का शव मोर्चरी में रखवा दिया। सुबह मृतका के परिजनों ने चिकित्सकों के खिलाफ रिपोर्ट दी और शव का पोस्टमार्टम करवा शव परिजन लेकर रवाना हुए।