उदयपुर। पेसिफिक मेडिकल काँलेज एंड हाँस्पीटल के ऑर्थोपेडिक सर्जन डॉ. सालेह मोहम्मद कागजी एवं उनकी टीम के अथक प्रयासों से नानी बाई का हाथ नष्ट होने से बच गया।
दरअसल चित्तौड़गढ़ के बड़ी सादड़ी के बनूजा गांव निवासी 30 वर्षीय नानीबाई एक साल से दाएं हाथ की हड्डी के कैन्सर से पीडि़त थी। उसे दैनिक कार्य करने में बहुत परेशानी का सामना करना पड़ रहा था। नानी बाई के परिजनों ने उसे कई जगह दिखाया लेकिन कोई फायदा नहीं मिला। जब उसके परिजनों ने उसे पीएमसीएच में ऑर्थोपेडिक विभाग के डॉ कागजी को दिखाया तो जॉच करने पर हाथ की हडडी का कैन्सर पाया गया। जिसका की तुरन्त ऑपरेशन करना जरूरी हो गया था। लगभग तीन घण्टे तक चले इस जटिल ऑपरेशन को अंजाम दिया अस्थि रोग सर्जन डॉ सालेह मोहम्मद कागजी, डॉ कोमल सोनी ,बृजेश भारद्वाज एवं सुभाष मैथ्यु की टीम ने।
अस्थि रोग सर्जन डॉ सालेह मोहम्मद कागजी ने बताया कि इस ऑपरेशन में केन्सर ग्रस्त हाथ की 6 इन्च हडडी को काट दिया गया एवं उसकी जगह पाँव की हडडी को प्रत्यारोपण कर हाथ को कटने से बचाया गया। ऐसे में पेसिफिक हॉस्पिटल उसके लिए एक वरदान साबित हुआ। उन्होंने बताया कि हाथ की हडडी का यह कैन्सर भारतवर्ष मे काफी पाया जाता है लेकिन समय पर परामर्श व इलाज मे प्र्रशिक्षण की कमी की वजह से कई मरीजों को हाथ गवाना पडता हैं अगर समय रहते इस तरह का कैन्सर का इलाज हो जाए तो मरीज फिर से सामान्य जिन्दगी जी सकता है। जाइन्ट सेल टयुमर कहे जाने वाले इस केन्सर के इलाज मे देरी होने पर हाथ या पांव काटने के अलावा कोई और तरीका नही बचता अथवा कैन्सर शरीर मे फैल सकता हैं। डॉ कागजी ने वताया कि अगर शरीर मे कही भी बिना दर्द के सूजन आती है तो इसे तुरन्त डाक्टर से परामर्श एवं जांच करवा कर ऐसी बीमारी को जाना जा सकता है एवं समय रहते इसका इलाज किया जा सकता है