जीने के तरीके बताए हैं आचार्यों ने : उपमहापौर
तेरापंथी सभा की ओर से सम्मान समारोह
उदयपुर। मुनि राकेश कुमार ने कहा कि संयम, अनुशासन साधु जीवन के प्राण हैं। इनके पालन का हर व्यक्ति को प्रयास करना चाहिए। जहां असंयम और अनुशासनहीनता है वहां मृत्यु समान जीवन है।
वे रविवार को जैन श्वेताम्बर तेरापंथी सभा की ओर से अणुव्रत चौक स्थित तेरापंथ भवन में आयोजित सम्मान समारोह में चतुर्दशी पर हाजिरी विषयक व्याख्यान को संबोधित कर रहे थे। समारोह में सभा की ओर से आचार्य तुलसी की स्मृति में चलाए जा रहे तीन स्थायी प्रोजेक्ट चिकित्सा केन्द्र, आचार्य तुलसी सिलाई प्रशिक्षण केन्द्र, आचार्य तुलसी कम्प्यूटर प्रशिक्षण केन्द्र के प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र एवं पर्यूषण में तेरापंथ युवक परिषद की ओर से आओ धर्म की आराधना करें विषयक आयोजित परीक्षा के विजेताओं को सम्मानित किया गया।
उन्होंने कहा कि साधु जीवन का आधार 13 व्रत, 5 महाव्रत, 3 समिति, 3 गुप्ती है। गति में संयम, भाषा में संयम होना चाहिए। गोचरी खोजकर लेनी चाहिए। कहीं पर भी ठहरने के लिए आज्ञा आवश्यक है। सभी साधु साध्वी एक आचार्य की आज्ञा मानें। अपने शिष्य नहीं बनाएं। इसके बाद उन्होंने 25 बोल का विवेचन करते हुए संबोधन दिया। उन्होंने कहा कि गतिचार यानी एक जन्म से दूसरे जन्म में जाने के प्रयास को गतिचार कहते हैं। सिद्ध जीव की गति नहीं होती।
मुनि सुधाकर ने कहा कि प्रत्येक जीव यह मानकर चले कि उस पर 12345 का कर्ज है। इसमें से पहला अक्षर 1 हटाने का प्रयास करें तो कर्ज स्वतः कम हो जाएगा। पहला मिथ्यात्व, दूसरा अव्रत, तीसरा प्रमाद, चौथा कषाय एवं पांचवा अयोग। मिथ्यात्व का असर कम करें यानी धर्म को अधर्म, साधु को असाधु, अधर्म को धर्म मानना ही मिथ्यात्व है। संयम का पालन जीव-अजीव को जानने वाला ही कर सकता है। संयम की साधना के विकास के लिए 9 तत्वों को जानना जरूरी है। आजकल तत्वज्ञान का अभाव नजर आता है। 4 गतियां मनुष्य, नरक, तिर्यंच एवं देवगति है।
मुनि दीप कुमार ने कहा कि आचार्य तुलसी ने कहा था कि आचार्य पद पर पदासीन होने वालों को बहुत कुछ सहन करना पड़ता है। आचार्य को अपने शिष्यों के प्रति सहानुभूति थी कि कोई काम करना भी पड़े तो पहले स्वयं करते थे। सहनशीलता से समूह में खुशहाली नजर आती है।
सम्मान समारोह के मुख्य अतिथि उपमहापौर लोकेश द्विवेदी ने कहा कि तेरापंथ धर्मसंघ की आचार्य परम्परा ने हमेशा से यह संदेश दिया है कि जीवन मिल तो गया है लेकिन उसे कैसे जीया जाए? जीने के तरीके बताए गए हैं। पुण्य की बदौलत पृथ्वीलोक पर आ तो गए लेकिन वापस कैसे काम करें कि जीवन-मरण के इस क्रम से मुक्ति पाकर मोक्ष प्राप्ति हो जाए। सिर्फ पुष्पांजलि देने या माला फेरने से ही भक्ति नहीं होगी, भक्ति तो मन लगाने से होगी। सांसारिक जीवन में आए हैं तो क्या काम करना है ताकि जीवन सफल हो सके। इस पर ध्यान देना है।
सभाध्यक्ष राजकुमार फत्तावत ने तीनों स्थायी प्रोजेक्ट की जानकारी देते हुए बताया कि प्रति माह के दूसरे रविवार को तेरापंथ भवन में चिकित्सा शिविर लगाया जाता है। दोनों अन्य प्रोजेक्ट सिलाई प्रशिक्षण एवं कम्प्यूटर प्रशिक्षण में जैन समाज के अतिरिक्त अन्य समाजों की महिलाएं, बहनें भी लाभान्वित हो रही हैं। सिलाई प्रशिक्षण केन्द्र के दूसरे सत्र की प्रतिभागी शन्नो बानो, मोमिना बानो, मुन्नी बानो, अरूणा वैष्णव, सुनीता गौतम, शांता लोहार, सीमा पाण्डे, मंजू पोरवाल, हर्षिता शर्मा, रीता सेठ तथा तीसरे सत्र की प्रतिभागी संतोष सुथार, रेशमा सिंह, डिम्पल लोहार, शिल्पा सिंह, विमला रावत, सुनीता त्रिवेदी, शोभा सिसोदिया, हिना लोहार, ललिता वैष्णव एवं रंजीता चौबीसा को प्रमाण-पत्र प्रदान किए गए।
तेरापंथ युवक परिषद के अध्यक्ष दीपक सिंघवी ने बताया कि पर्यूषण में आयोजित आओ धर्म की आराधना करें विषयक प्रतियोगिता में सातों दिन भाग लेने वाले प्रतिभागियों में नीता खोखावत, भंवरलाल पोरवाल एवं स्वीटी कोठारी क्रमशः प्रथम, द्वितीय व तृतीय को नकद पुरस्कार प्रदान किए गए। इनके अतिरिक्त प्रस्तुति 1 में दीपिका मारू, भंवरलाल पोरवाल, चन्द्रप्रकाश पोरवाल, प्रस्तुति 2 में स्नेहलता पोरवाल, चित्रा बाबेल एवं हर्षिल बोहरा, प्रस्तुति 3 में नीता खोखावत, लक्ष्मणसिंह कर्णावट, निकिता बैद, प्रस्तुति 4 में सुनीता जैन, उषा चव्हाण, कंचनदेवी, प्रस्तुति 5 में मंजूलता सिंघवी, कमला कंठालिया, स्नेहलता पोरवाल, प्रस्तुति 6 में पुष्पा कोठारी, कान्ता खिमावत, ज्योति नाहर, प्रस्तुति 7 में चन्द्रकांता पोरवाल, बसंतीदेवी पोरवाल एवं पुष्पा सोनी क्रमशः प्रथम, द्वितीय व तृतीय रहने पर भी नकद पुरस्कार प्रदान किए गए।
अतिथियों का उपरणा ओढ़ा, स्मृति चिन्ह एवं साहित्य भेंटकर सम्मान किया गया। समारोह का आरंभ मुनि राकेश मुनि के मंगलाचरण से हुआ। आभार सभा मंत्री सूर्यप्रकाश मेहता ने किया। संचालन तेयुप अध्यक्ष दीपक सिंघवी ने किया। कार्यक्रम में तेयुप के विनोद माण्डोत द्वितीय, मंत्री अजीत छाजेड़ आदि का सहयोग रहा।