संस्कार और संस्कृति के संवर्धन में जनप्रतिनिधियों की भूमिका विषयक संगोष्ठी
उदयपुर। भारत की संस्कृति विश्व की संस्कृति की द्योतक है। यहां के मूल ध्येय वाक्य सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामया से प्रतीत होती है। सिर्फ भारतीय ही नहीं सभी मनुष्य सुखी हों, कोई दुखी न हो। भारतीय संस्कृति त्याग और संयम की भूमिका पर आधारित है। आज इसका अभाव हो गया है।
ये विचार शासन श्री मुनि राकेश कुमार ने रविवार को अणुव्रत चौक स्थित तेरापंथ भवन में संस्कार और संस्कृति के संवर्धन में जनप्रतिनिधियों की भूमिका विषयक संगोष्ठी में व्यक्त किए। संगोष्ठी का आयोजन श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथी सभा और नगर निगम के साझे में किया गया। मुख्य अतिथि के रूप में राजसमंद सांसद हरिओमसिंह राठौड़ ने शिरकत की। अध्यक्षता चित्तौड़गढ़ सांसद सीपी जोशी ने की। विशिष्ट अतिथि के रूप में महापौर चन्द्रसिंह कोठारी, उपमहापौर लोकेश द्विवेदी, सलूम्बर प्रधान फूलचंद मीणा मौजूद थे। कार्यक्रम में करीब सौ से अधिक प्रतिभागियों ने शिरकत की जिनमें पार्षद सहित जिला परिषद सदस्य, विभिन्न पंचायत समितियों के प्रधान शामिल थे।
राकेश मुनि ने कहा कि राष्ट्र के तपस्वी एवं ज्ञानी पुरुषों से विश्व के लोग चरित्र का प्रशिक्षण प्राप्त करें लेकिन आज की स्थिति परिवर्तित हो गई है। आज राष्ट्र का हर नागरिक व्यक्तिवाद और स्वार्थवाद की भावना से पीड़ित है। यही कारण है कि हर क्षेत्र में चरित्रहीनता, रिश्वतखोरी, भ्रष्टाचार के कैंसर की व्याधि से ग्रस्त हो गए है। आचार्य तुलसी प्रवर्तित अणुव्रत आंदोलन का लक्ष्य नैतिक पुनर्जागरण है। यह जातिवाद एवं सम्प्रदायवाद की संकीर्ण विचारधारा से मुक्त है। भ्रष्टाचार और साम्प्रदायिकता के विरुद्ध यह महायज्ञ है। अनैतिकता, साम्प्रदायिकता, शराब, तम्बाकू आदि नशीली वस्तुओं के विरुद्ध अभियान में अपने सक्रिय सहयोग से संस्कार और संस्कृति के संवर्धन में अपना सहयोग प्रदान करें। कॉर्पोरेशन तो करप्शन का पर्याय बन गया है, लोगों की इस भ्रान्ति को दूर करने में आप सहभागी बनें।
इससे पूर्व तेरापंथी सभाध्यक्ष राजकुमार फत्तावत ने सभा की ओर से आगंतुक जनप्रतिनिधियों का स्वागत करते हुए कहा कि देश को विश्व गुरु की ओर अग्रसर करने के क्रम में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी आज जो प्रयास कर रहे हैं, उनसे हम भली भांति परिचित हैं। हमारा देश जो सोने की चिड़िया कहलाता था, उसे वापस पुनर्स्थापित किया जा सके, उसके लिए प्रयास करने होंगे। आज यह संगोष्ठी जनप्रतिनिधियों और जननेताओं की हमारे संस्कारों और संस्कृति के उत्थान में भूमिका पर बुलाई गई है।
मुख्य अतिथि राजसमंद सांसद हरिओमसिंह राठौड़ ने कहा कि संस्कृति किसी राष्ट्र या राज्य की भौगोलिक सीमा में नहीं बंध सकती। भौगोलिक सीमाओं से बढ़कर ही संस्कृति का स्वरूप है। संस्कार नहीं होंगे तो संस्कृति और राष्ट्र निर्माण कभी नहीं हो पाएगा। आज सामाजिक, धार्मिक में भी जननेता होते हैं लेकिन राजनीति में जनप्रतिनिधि को जननेता का रूप धारण करना होगा जो संस्कृति और संस्कारों की बदौलत ही आ पाएगा। धर्मनिरपेक्ष राजनीति समाज निर्माण में जनप्रतिनिधि को जननेता के रूप में स्थापित कर सकें, ऐसा प्रयास हो।
मुनि सुधाकर ने कहा कि प्रजा ही राजा का निर्माण करती है। अनुशासनहीन राजा सत्ता का सदैव दुरुपयोग करता आया है। पूर्व में ऋषि और कृषि दो ही संस्कृति होती थी। ऋषि से आत्मा का और कृषि से शरीर का पोषण होता था। धर्मनीति राजनीति से भिन्न नहीं हो सकती। एक विश्वास जन्म लेता है जो जननेता को मजबूत बनाता है। मेरी समस्याओं, आकांक्षाओं से उपर उठकर पहले मेरा राष्ट्र पहले नम्बर पर लाना होगा। प्रामाणिकता, दायित्व बोध एवं व्यवहार कौशल इन तीनों चीजों का ध्यान रखना होगा। आरोप-प्रत्यारोपों में निचले स्तर तक नहीं गिरें। मतभेद हों लेकिन मनभेद कभी नहीं हों, तभी भयमुक्त, भ्रष्टाचार और भूखमुक्त भारत बन सकेगा।
मुनि दीप कुमार ने कहा कि उदयपुर सुंदर नहीं क्योंकि यहां के बाजारों में अहिंसा, नैतिकता का अभाव है। जनहित के काम करते हैं लेकिन नशामुक्ति के लिए काम करें।
अध्यक्षता करते हुए चित्तौड़गढ़ सांसद सीपी जोशी ने कहा कि आज सफेद कुर्ते पायजामे पहने व्यक्ति को देख आम आदमी गालियां देने लगता है। इस सोच को परिवर्तित करना होगा। जनता किस नजर से राष्ट्र को देखती है, पहली बार राजनीति के अलावा सेना, चिकित्सा, खेल में काम करने वाले लोगों की सोच बनी है, उसे अपने संस्कार, आचरण के दम पर बदला गया है। बरसों से जनप्रतिनिधि के नाम पर जो काई जम गई है, उसे हटाने का काम भी आप और हमें करना है। आज राजनीति में धर्म की आवश्यकता है। पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री के जमाने से अन्न के संकट के समय प्रति सोमवार व्रत रखने का नियम आज भी जयपुर में कई लोग करते हैं। दो दिन पूर्व ऐसे ही कुछ लोगों का जयपुर में सम्मान किया गया था। योग दिवस आज 177 देशों में मनाया जाने लगा है। हमें अपनी संस्कृति और संस्कारों को आगे लाना होगा तभी विश्व गुरु का सपना साकार हो पाएगा।
सलूम्बर प्रधान फूलचंद मीणा ने कहा कि जनता अपने प्रतिनिधियों का अनुसरण करती है इसलिए वे जो भी करें, सोच-समझ कर करें। गांवों में तो ऐसी छोटी छोटी समस्याएं आती हैं लेकिन फिर भी उन्हें दूर करना हमारी प्राथमिकता है, तभी जननेता बन पाएंगे।
आरंभ में महापौर चन्द्रसिंह कोठारी ने निगम की ओर से आगंतुक अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि 68 वर्ष बाद आज जननेता कहलाना कोई पसंद नहीं करता। जब जब जरूरत पड़ी, महात्मा गांधी से लेकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी तक जनप्रतिनिधियों ने ही देश को दिशा दी है। जनमानस उद्वेलित हुआ। जैसा शासक वैसा ही जनता का व्यवहार हुआ। लोकसभा चुनाव के दौरान गांव-ढाणियों में लोग भले ही भाजपा को जानते थे या नहीं, लेकिन नरेन्द्र मोदी को जरूर जानते थे।
उपमहापौर लोकेश द्विवेदी ने कहा कि आज जनता जनार्दन का क्षेत्र समस्याओं का भंडार है। जनप्रतिनिधि का संस्कार कैसा होना चाहिए, यह ध्यान रखे। जनता तो शिकायत करेगी, उसने आपको चुनकर भेजा है। आपका संस्कार कैसा है, उस पर निर्भर करता है कि आप किस तरह जवाब देते हैं। बजाय आक्रोशित स्वर में जवाब दें बल्कि उसे सहज समझकर भले ही कोई जवाब न दें या समझाएं तो उन्हें अपना नेता होने का आभास होता है। विरासत के रूप में हमें बावड़ियां, तालाब मिले हैं, उनका संवर्धन करें। न कर सकें तो उनके वर्तमान स्वरूप को ही बचाए रखें। बड़े-बुजुर्गों के साथ बैठकर विचार-विमर्श करें।
कार्यक्रम संयोजक राकेश पोरवाल ने संचालन करते हुए कहा कि शॉर्ट नोटिस पर सभी महानुभाव यहां एकत्र हुए, उसके लिए निगम और सभा की ओर से आभार व्यक्त करता हूं। साथ ही उम्मीद है कि संगोष्ठी के निष्कर्षों से हम लाभान्वित होंगे।
कार्यक्रम का आरंभ राकेश मुनि के मंगलाचरण से हुआ। संगोष्ठी के बाद प्रश्नोत्तरी कार्यक्रम भी हुआ जिसमें जनप्रतिनिधियों ने मुनिवृंदों से सवाल किए। आभार सभा के मंत्री सूर्यप्रकाश मेहता ने दिया। आगंतुक जनप्रतिनिधियों को सभा की ओर से अणुव्रत आचार संहिता, साहित्य एवं उपरणा भेंटकर सम्मानित किया गया।