विद्यापीठ के होम्योपैथिक चिकित्सा महाविद्यालय में राष्ट्रीय सेमिनार शुरू
उदयपुर। होम्योपेथी अन्य चिकित्सा पद्धतियों से एकदम अलग है। यह सिर्फ रोग को नियंत्रित नहीं करती बल्कि रोगी के मन में उठाने वाले विचारों को भी नियंत्रिक करती है । इस पद्धति में रोग को जड से निकाल फेंकने पर काम होता है। यही कारण है कि इस चिकित्सा पद्धति के परिणाम धीरे लेकिन सटीक होते है।
यह जानकारी केन्दीय होम्योपैथिक नई दिल्ली के अध्यक्ष डॉ. रामजी सिंह ने दी। वे जनार्दनराय नागर राजस्थान विद्यापीठ विश्वविद्यालय के संघटक होम्योपेथेपी चिकित्सा महाविद्यालय की ओर से आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय सेमीनार वर्तमान परिस्थिति में होम्योपेथी शोध एवं विभिन्न बिमारियों पर मुख्य अतिथि के रूप में सम्बोधित कर रहे थे। प्राचार्य अमियानन्द गोस्वामी ने बताया कि मुख्य वक्ता केन्द्रीय होम्योपेथिक परिषद के उपाध्यक्ष डॉ0 अरूण भ्ट्ट ने बताया कि वर्तमान में प्रचलित अन्य चिकित्सा पद्धतियो, एलोपेथी, आयुर्वेदिक, युनानी, की तर्ज पर होम्योपेथिक में भी अब गम्भीर एवं लाईलाज बिमारियों का ईलाज किया जा रहा है जिसके कई सार्थक परिणाम सामने आये है। वैश्विक परिदृश्य में होम्योपेथी चिकित्सा का भरत में तेजी से विस्तार हो रहा है क्योंकि यह सस्ती एवं सुलभ चिकित्सा पद्धति है तथा वैकल्पिक चिकित्सा के रूप में अपना स्थान बना रहा है। अध्यक्षता करते हुए कुलपति प्रो. एस.एस सारंगदेवोत ने कहा कि होम्योपेथी में सबसे पहले रोगी को समझकर फिर रोग की जड से तलाश की जाती है। जिनमें बच्चों की बीमारी, त्वचा जनित रोग, हृदय रोग, किडनी, लीवर, मानसिक रोग, व्यहारिक रेाग,अस्थमा, कैन्सर, रीड की हड्डी, माईग्रेन, आदि में असरदार इलाज सम्भव हैं। विशिष्ट अतिथि डॉ. राधादास, सलाहकार आयुष विभाग भारत सरकार ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों को भी होम्योपेथिक चिकित्सा पद्धति का लाभ मिले इस हेतु आयुष विभाग आयुर्वेदिक, योगा, यूनानी, सिद्धा तथा होम्योपेथिक चिकित्सा पद्धति के माध्यम से नये केन्द्र खोलने जा रहा है। केन्द्रीय होम्यापेथिक शिक्षा परिषद के अध्यक्ष डॉ. एम. के साहनी ने कहा कि नई शिक्षा तकनीक का प्रयोग किया जा रहा है और उसमें सफलता भी मिल रही है । इसमें सभी गम्भीर बिमारियों का इलाज है और लोगों का विश्वास भी हैं।
बीडी चण्डालिया ट्रस्ट के सचिव डॉ.0 भुवन मोहन ने भी विचार व्यक्त किये। प्रारम्भ में प्राचार्य डॉ. अम्यानन्द गोस्वामी ने स्वागत भाषण देते हुए सेमीनार की रूपरेखा प्रस्तुत की । सेमीनार का संचालन डॉ.0 बबीता रशीद व डॉ.0 नवीन विश्नोई ने किया। धन्यवाद आयोजन सचिव डॉ0 राजन सूद ने दिया।
पुस्तक का विमोचन : प्राचार्य डॉ0 अमियानन्द गोस्वामी ने बताया कि सेमीनार में डॉ0 राजन सूद द्वारा लिखित माईग्रेन पर आधारित पुस्तक तथा होम्योपथिक चिकित्सा महाविद्यालय की सोविनियर का विमोचन अतिथियों द्वारा किया गया । तथा अतिथियों को विद्यापीठ की ओर से प्रशस्ति पत्र एवं सम्मान पत्र, पगडी व उपरना पहना कर सम्मानित किया गया ।
समापन आज : आयोजन सचिव डॉ. राजन सूद ने बताया कि सेमीनार के प्रथम दिन 4 समानान्तर सत्रों में बाहर से आये शोधार्थी एवं विषय विशेषज्ञो ने 70 पत्रों का वाचन किया । सोमवार को समापन सत्र के मुख्य अतिथि केन्द्रीय होम्योपेथिक परिषद के डायरेक्टर जनरल डॉ0 आर.के. मनचन्दा , रजिस्ट्रार प्रो. सी.पी अग्रवाल अतिथि होंगे।