आचार्य तुलसी का 102 वां जन्मोत्सव
श्रावक मोहनलाल बम्ब के 35 उपवास की तपस्या पर अभिनंदन
उदयपुर। आचार्य तुलसी ने अपने जीवनकाल में कई अवदान दिए। चाहे वे अणुव्रत के हों, प्रेक्षाध्यान हों या ज्ञानशाला के। इन सबको अगर अपने जीवन में व्यक्ति अपना ले तो निश्चय ही उसका जीवन सफल है। आचार्य तुलसी ने नैतिक जागरण के लिए काम किया। उन्होंने मानववाद को अपनाया। उन्होंने न सिर्फ तेरापंथ बल्कि समस्त मानव जाति को नए आयाम दिए।
ऐसे ही कुछ विचार उभरकर आए शुक्रवार सुबह आचार्य तुलसी के जन्म शताब्दी समारोह के अवसर पर अणुव्रत चौक स्थित तेरापंथ भवन में जैन श्वेताम्बर तेरापंथी सभा की ओर से आयोजित धर्मसभा में जहां विभिन्न समाजजनों ने विचार व्यक्त किए। इस अवसर पर आचार्य ऋषिराय के वंशज रावलिया निवासी श्रावक मोहनलाल बम्ब के 35 उपवास की तपस्या पर उनका अभिनंदन किया गया।
राकेश मुनि ने कहा कि 11 का आंकड़ा आचार्य श्री के जीवन में बहुत महत्वपूर्ण रहा। 11 वर्ष की आयु में दीक्षित होकर 22 वर्ष की आयु में वे आचार्य पद पर आसीन हुए। फिर साधु-साध्वी संघ में शिक्षा का स्रोत बनाया। आचार्य महाप्रज्ञ के रूप में उन्हें सहयोगी मिला। बाहर से लेकर अंदर तक का विरोध झेला और शिवशंकर बनकर जहर पीते रहे। श्रमण दीक्षा का आरंभ भी आज के दिन ही हुआ।
मुनि दीप कुमार ने कहा कि आचार्य तुलसी, आचार्य महाप्रज्ञ और अब आचार्य महाश्रमण.. इनका पराक्रम ही है कि श्रावक समाज निरंतर प्रगति पर है। आचार्य तुलसी के जन्मदिवस समारोह पर श्रावक श्री बम्ब की 35 उपवास की तपस्या आचार्य श्री को श्रद्धा सुमन हैं। ऐसी तपस्या समूचे समाज के लिए गौरव की बात है।
मुनि सुधाकर ने कहा कि दुनिया में सबसे बड़ा और शक्तिशाली गुरु ही होता है। एक आचार-एक विचार की धारा इसी पंथ में है। आचार्य श्री ने निम्न विरोध को सहन करते हुए उच्च से उच्च सम्मान की प्राप्ति की।
सभाध्यक्ष राजकुमार फत्तावत ने आचार्य तुलसी का संक्षिप्त जीवन परिचय देते हुए श्रावक मोहनलाल बम्ब के 35 उपवास की तपस्या की सभा की ओर से अनुमोदना करते हुए कहा कि आचार्य तुलसी ने भविष्य की नब्ज टटोलते हुए अणुव्रत आंदोलन का सूत्रपात किया। छोटे कदमों से लम्बे डग भरते हुए निरंतर सकारात्मक सोच के साथ गरीब की झोंपड़ी से राष्ट्रपति भवन तक अपनी बात पहुंचाई। आचार्य ने श्रमण श्रेणी की स्थापना की। आत्म कल्याण से जीव कल्याण की बातें कहीं। श्रमण शक्ति का विकास किया।
तेरापंथ युवक परिषद के अध्यक्ष दीपक सिंघवी ने कहा कि आचार्य ने संसार को एक सूत्र में बांधा। जीवित रहते हुए भी आचार्य पद पर युवाचार्य को सुशोभित किया और खुद मानव कल्याण की राह पर निकल पड़े। तेरापंथ महिला मंडल की उपाध्यक्ष सुमन डागलिया ने आचार्य तुलसी को युगदृष्टा बताते हुए विचार व्यक्त किए।
मासखमण (35 उपवास) की तपस्या करने पर श्रावक मोहनलाल बम्ब का तेरापंथी सभाध्यक्ष राजकुमार फत्तावत, तेयुप अध्यक्ष दीपक सिंघवी, महिला मंडल की मंत्री लक्ष्मी कोठारी आदि ने उपरणा ओढ़ा, अणुव्रत आचार संहिता, स्मृति चिन्ह भेंटकर सम्मान किया। मंगलाचरण महिला मंडल की संरक्षिका शशि चव्हाण ने किया। आभार सभा के संरक्षक शांतिलाल सिंघवी ने जताया। संचालन सभा मंत्री सूर्यप्रकाश मेहता ने किया।