स्मार्ट सिटी के निर्माण में हमारा योगदान पर तेरापंथी सभा की संगोष्ठी
उदयपुर। उदयपुर को स्मार्ट सिटी बनाने के इस अभियान में अगर धर्म गुरुओं का आशीर्वाद मिल जाए तो सोने पे सुहागा हो जाएगा। स्व जागरूकता होगी तो शहर के साथ देश स्वतः सुधर जाएगा। संयम जीवन प्रधान शैली होनी चाहिए।
ये विचार श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथी सभा की ओर से रविवार को महाप्रज्ञ विहार में आयोजित स्मार्ट सिटी के निर्माण में हमारा योगदान विषयक संगोष्ठी में उभरकर आए। मुख्य अतिथि गृहमंत्री गुलाबचंद कटारिया थे। अध्यक्षता महापौर चन्द्रसिंह कोठारी ने की। विशिष्ट अतिथि के रूप में उपमहापौर लोकेश द्विवेदी, सुविवि के पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो. नीरज शर्मा ने शिरकत की।
शासन श्री मुनि राकेश कुमार ने कहा कि सामुदायिक चेतना का भाव आवश्यक है। स्मार्ट सिटी के लिए आचार्य तुलसी का वाक्य याद आता है कि पहले इंसान इंसान है फिर हिन्दू और मुसलमान है। संवेदनशीलता सभी के मन में जागे, अपने कर्तव्य के प्रति ईमानदारी नहीं जागेगी तब तक हम स्मार्ट नहीं होंगे। पूर्व के समय में कोई संकोच नहीं होता था। कोई नहीं कहता तो भी काम करते थे लेकिन आज जब तक कोई कहे नहीं, तो भी काम करने के बारे में सोचते हैं।
गृहमंत्री गुलाबचंद कटारिया ने कहा कि प्रकृति ने उदयपुर को जो अनुपम सौन्दर्य बख्शा है, वह पूरे विश्व में कहीं नहीं है। मैं कई देशों की यात्रा कर चुका हूं लेकिन ऐसा सौन्दर्य कहीं नहीं दिखा। उदयपुर को स्मार्ट बनाने के लिए हर व्यक्ति अपने स्तर पर जो भी कर सके, करे। सफाई के बाद घर से कचरे की थैली नहीं फेंकें। ऐसे छोटे छोटे काम करके भी स्मार्ट सिटी बनाने में हम अपना अपूर्व योगदान कर सकते हैं। सफाई का काम आप अपने स्तर पर कर लें तो बाकी का सहयोग तो एजेंसिंया कर ही रही हैं। सफाई में एजेंसियों के अतिरिक्त आमजन का सहयोग अत्यावश्यक है।
महापौर चन्द्रसिंह कोठारी ने कहा कि स्मार्ट सिटी का निर्माण कई चीजें मिलाकर होता है जिसमें सफाई, यातायात, जलदाय, विद्युत, हेरिटेज, केबललेस सिटी आदि शामिल हैं। केन्द्र या राज्य सरकार तो बजट दे देगी लेकिन काम स्थानीय लोगों को ही करना है। प्रत्येक व्यक्ति इसमें अपनी भूमिका निभाए तभी हम स्मार्ट सिटी बनाने में कामयाब हो पाएंगे। निगम, सरकार जो नियम बनाए, उस पर अमल करें। घर-दुकान का कचरा सड़क पर न फेंकें। जुर्माना लेकर निगम अपना कोष नहीं भरना चाहता बल्कि अगली बार ऐसा कृत्य करने से रोकना ही हमारा उद्देश्य है। जहां दिन में सफाई नहीं हो पाती वहां के लिए एक दिसंबर से रात्रिकालीन सफाई की व्यवस्था की जा रही है। ठीक रही तो शहर में लागू करेंगे। ऑनलाइन और ऑफलाइन फॉर्म भरने में राज्य में प्रथम और देश में उदयपुर का चौथा स्थान रहा है।
मुनि सुधाकर ने कहा कि दो संस्कृतियों ऋषि और कृषि से देश चलता रहा है। ऋषि ने आत्मा का पोषण किया तो कृषि ने शरीर का संपोषण किया। आत्मा है तो शरीर है और शरीर है तो आत्मा का अस्तित्व है। बाहर से स्मार्ट बनने के लिए पहले अंदर से स्मार्ट बनना होगा। साधन तो निगम, सरकारें दे देंगी लेकिन साध्य तो खुद को ही बनना पड़ेगा।
मुनि दीप कुमार ने कहा कि अध्यात्म आधारित स्मार्ट सिटी का निर्माण कैसे हो, इस पर विचार करने की आवश्यकता है। आचार्य महाप्रज्ञ ने कहा था कि उदयपुर को अध्यात्म की नगरी के रूप् में देखना चाहता हूं। स्मार्ट सिटी के निर्माण में संतों की वाणी से प्रेरित होकर शहरवासी सहयोग करें।
उपमहापौर लोकेश द्विवेदी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने स्मार्ट सिटी का दर्जा देने की बात इसलिए कही ताकि हम स्मार्ट की परिकल्पना को सोचें, समझें और उसे इम्प्लीमेंट करें। बच्चों को प्राथमिक शिक्षा से ही ये सुझाव देने होंगे। वहीं से शुरूआत करेंगे तो धीरे धीरे मानसिकता परिवर्तित होती जाएगी। हम बातें भले ही स्मार्ट सिटी की कर रहे हैं लेकिन हमारी मानसिकता आज भी अगर वैसी ही है तो हम आधुनिक समय में साथ नहीं चल पाएंगे।
निर्माण समिति के अध्यक्ष पारस सिंघवी ने कहा कि सभी के सहयोग से ही उदयपुर का नाम स्मार्ट सिटी में आया है। कटारिया रूपी पौधा आज वटवृक्ष बन चुका है जो हर समय उदयपुर का भला ही सोचता है। हर समय उनके दिमाग में यहां के लोगों की समस्याओं को लेकर कुछ न कुछ चलता रहता है।
तेरापंथी सभाध्यक्ष राजकुमार फत्तावत ने ओजस्वी व्याख्यान में कहा कि ऋषि मुनियों और सोने की चिड़िया कहलाने वाला देश आज छोटे छोटे कामों को लेकर तरस रहा है। स्मार्ट सिटी को लेकर तेरापंथ धर्मसंघ ने 24 घंटे में एक हजार फॉर्म भरकर अपने सुझाव दिए। आचार्य महाप्रज्ञ ने तो वर्ष 2007 में अपने चातुर्मास के दौरान कहा ही था कि उदयपुर को अध्यात्म की नगरी बनाएं लेकिन हम सोचें कि हमने कितना सहयोेग किया। बच्चों को क्या हम संस्कार दे रहे हैं। स्वयं तो मुनि श्री के पास नहीं जाते लेकिन बच्चों को कहते हैं कि मुनि श्री के पास जाना चाहिए। बिजली, पानी, स्वच्छता, समसामयिक विषयों पर विचार करें और मंथन कर अपने जीवन में उतारें।
तेरापंथ महिला मंडल की राष्ट्रीय अध्यक्ष कल्पना बैद ने कहा कि मुनि राकेश कुमार का सान्निध्य उदयपुरवासियों को मिल रहा है। यह स्मार्ट सिटी की परिकल्पना तैयार करने जैसा है। तेरापंथ समाज तो हरसंभव सहयोग कर ही रहा है लेकिन महिला मंडल भी अपने स्तर पर अपना अपूर्व सहयोग देने को तैयार है।
सुविवि के पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो. नीरज शर्मा ने कहा कि स्मार्ट सिटी का रूप लिविंग, पीपुल, एन्वायरमेंट, गवर्नेंस एवं ट्रांसपोर्टेशन तय करती हैं। सरकार स्मार्ट पीपुल नहीं बना सकती, ये तो संस्कार से ही बनेंगे। ऋतुचर्या, दिनचर्या का तालमेल स्मार्ट सिटी का पैरामीटर तय करेगा। आज जो भी विकास है, वह विनाश की शर्त पर होगा लेकिन वह स्थायी नहीं होगा। हमें सोचना है कि आरोग्य चाहिए या सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल। किसी के दुख पर सुख नहीं चाहिए। पंचमहाभूत प्रसन्न रहें। जलाशयों का संवर्धन करें, यातायात का विकास हो लेकिन फुटपाथ भी रहें। रिदम नहीं तोड़नी हैं। पाश्चात्य से हम थ्योरी लेकर तो आ गए लेकिन प्रेक्टिकल अपने यहां पर किए जिसका नतीजा लाभ कम और हानि अधिक होते हैं। ऐसा विकास नहीं चाहिए जो धर्म विरोधी हो। भीतर से समाधान खोजें। स्मार्टनेस अंदर से तलाशें।
इससे पूर्व अतिथियों कटारिया, महापौर कोठारी, उपमहापौर द्विवेदी, प्रो. शर्मा, पार्षद राकेश पोरवाल का उपरणा ओढ़ा, साहित्य एवं स्मृति चिन्ह भेंटकर तेरापंथी सभा के शांतिलाल सिंघवी, छगनलाल बोहरा, निर्मल जैन, ओम खोखावत, सुबोध दुग्गड़, तेयुप अध्यक्ष दीपक सिंघवी, मंत्री अजीत छाजेड़, विनोद माण्डोत, रवि जैन, अभिषेक पोखरना आदि ने सम्मान किया। कार्यक्रम का आरंभ राकेश मुनि के नमस्कार महामंत्र से हुआ। मंगल गीतिका शशि चव्हाण ने प्रस्तुत की। संचालन उपाध्यक्ष सुबोध दुग्गड़ ने किया। आभार सभा के मंत्री सूर्यप्रकाश मेहता ने व्यक्त किया।