उदयपुर। एक बड़े षड्यंत्र के तहत चार वर्ष पूर्व झीलो की सीमा को तत्कालीन अधिकारीयों ने छोटा कर झील पेटे की जमीन को झील सेबाहर कर दिया। यही कारण है कि फतेहसागर उपरला तालाब सहित पिछोला के पेटे की कई बीघा तालाब भूमि भू माफियाओं के हवाले हो गई। रविवार को झील मित्र संस्थान , झील संरक्षण समिति एवं डॉ मोहन सिंह मेहता मेमोरियल ट्रस्ट द्वारा आयोजित श्रमसंवाद में इसी पर चिंता व्यक्त की गई।
डॉ अनिल मेहता ने कहा कि सिंचाई विभाग तथा एस डी एम् गिर्वा ने 1998 में झीलो को अधिकतम भराव तल तक नोटिफाई किया था।लेकिन वर्ष 2010 के पश्चात तत्कालीन अधिकारियो ने इन्हें 30 से 40 प्रतिशत छोटा करते हुए फुल टैंक लेवल पर मार्किंग करवा दी।वर्तमान मेयर जिला कलेक्टर तथा यू आईटी सचिव की जिम्मेवारी है कि वे इस षड्यंत्र को समाप्त कर झीलो को अधिकतम भराव् तल मीन मैक्सिमम वाटर लेवल पर पुनः लोटाये।
झील मित्र संस्थान के तेज शंकर पालीवाल ने कहा कि झीलों को छोटा करने एवं झील के भराव तल को झील क्षैत्र से बहार करने की कवायद ने ना सिर्फ झीलों को वरन पक्षियों के आवास स्थल तक को ख़त्म कर दिया है। झीलों के किनारो को भी सड़को के नाम पर ऊँचा कर झीलों को टैंक के रूप में परिवर्तित कर दिया गया है। डॉ मोहन सिंह मेहता मेमोरियल ट्रस्ट के नन्द किशोर शर्मा ने कहा कि झीलों को छोटा करने की कवायद में झीलों का मूल स्वरुप व ईको सिस्टम ख़त्म हो गया है। झीलों एवं सम्पूर्ण झील पारिस्थिकीय को बचाये बिना स्वस्थ्य झील की कल्पना बेमानी है। संवाद पूर्व बारीघाट पर झील मित्र संस्थान , झील संरक्षण समिति एवं डॉ मोहन सिंह मेहता मेमोरियल ट्रस्ट द्वारा आयोजित श्रमदान द्वारा झील क्षेत्र से पोलिथिन, फटे कपडे, सडी गली खाद्य सामग्री , शराब ,पानी की बॉटल्स,जलीय घास व कूड़ा करकट निकाला। श्रमदान में रमेश चन्द्र राजपूत , राम लाल गेहलोत,अजय सोनी,ललित पुरोहित,मोहन सिंह चौहान, कुलदीपक पालीवाल,दीपेश,हर्षुल, रिद्धेष गरिमा, भावेश,प्रियांशी,तेज शंकर पालीवाल व नन्द किशोर शर्मा ने भाग लिया।